फुटबॉल के बाद दुनिया का दुसरा सबसे लोकप्रिय खेल क्रिकेट अगर इतना लोकप्रिय है, तो वह अपनी अनिश्चिताओ के लिए है. क्रिकेट का दूसरा नाम अनिश्चिताओ भरा गेम भी है. क्रिकेट में कहा जाता है कि कभी भी कुछ भी हो सकता है और यह बात हम मैदान में भी कई अनिश्चित क्रिकेट घटनाओं के साथ देखते रहते है.
क्रिकेट का गेम समय-समय में बदलता चला गया और समय-समय में बदलने के साथ क्रिकेट का गेम और मनोरंजक होता चला गया. अगर इस खेल को समय-समय में किसी ने रोमांचक बनाया, तो वह टीमों कप्तानो ने बनाया और आज इसी के चलते हम आपको पांच ऐसे कप्तानो की ऐसी दिलेरी भरी घटनाओं के बारे में बताएंगे जिसने क्रिकेट को बदलने के साथ क्रिकेट की लोकप्रियता भी बढ़ा दी.
पहली घटना : ग्रेग चैपल के 9 स्लिप फिल्डर
क्रिकेट को लेकर लोगो का नजरिया उस समय काफी बदल गया था, जब 1976 में ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ग्रेग चैपल ने स्लिप पर पुरे के पुरे 9 फील्डर खड़े कर दिये थे. 1976 में न्यूजीलैंड के खिलाफ एक टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ग्रेग चैपल ने फील्डिंग लगाने की परिभाषा ही बदल दी थी.
ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाजी डेनिस लिली इस मैच में अपनी धार-धार तेज गेंदबाजी से आग उगल रहे थे. उनकी इसी प्रचंड फॉर्म को देखते हुए ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ग्रेग चैपल ने 9 स्लिप फील्डर लगाने का फैसला किया. जो उस समय की क्रिकेट को देखते हुए एक कठिन निर्णय था. हालाँकि इसके कुछ साल बाद ऑस्ट्रेलिया के ही दुसरे कप्तान स्टीव वा ने भी एक मैच में 9 स्लिप फील्डर खड़े किये, मगर यह मैच एक कमजोर टीम जिम्बाब्वे के खिलाफ था.
दूसरी घटना : मार्टिन क्रो के पिंच हीटर
क्रिकेट के प्रति लोगो की सोच न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान मार्टिन क्रो ने भी उस समय भी बदल डाली थी, जब न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान मार्टिन क्रो ने 1992 में एक मैच के दौरान पहली बार पिंच हीटर के तौर पर अपने गेंदबाज मार्क ग्रेटबैच को भेज दिया था और उन्हें विस्फोटक बल्लेबाजी करने का पूरा लाइसेंस दे दिया था.
मार्टिन क्रो के इस दिलेरी भरे फैसले को देख इसके बाद कई कप्तानो ने ये योजना अपनाई और मार्टिन क्रो की ये योजना आज भी क्रिकेट में कई कप्तानो द्वारा अपनाई जाती है. अधिकतर मार्टिन क्रो की ये योजना वर्तमान में टी20 क्रिकेट में देखने को मिलती है.
तीसरी घटना : धोनी का फिल्ड प्लेसमेंट
धोनी अपने अजीबो-गरीब फैसले के लिए तो जाने ही जाते है. मगर अपनी जबरदस्त फिल्ड प्लेसमेंट के लिए भी जाने जाते है. धोनी ने भी फील्डिंग लगाने की परिभाषा तब बदल दी थी तब आईपीएल 2010 के फाइनल मैच में धोनी ने मुंबई इंडियन के किरन पोलार्ड के लिए एक अलग ही फील्ड लगाई थी.
हुआ यु की धोनी अच्छे से जानते थे कि पोलार्ड सीधे बल्ले से हवा में स्ट्रेट शॉट काफी अच्छा खेलते है. पोलार्ड के इसी स्ट्रेट शॉट के लिए धोनी ने स्ट्रेट से बस थोड़ा सा हटके एक फिल्डर लगा दिया. उन्हें उनकी इस चाल में कामयाबी भी मिली और उन्होंने पोलार्ड के लिए ये जाल 2017 के आईपीएल फाइनल में भी बिछाया और वहां भी उन्हें कामयाबी मिली.
चौथी घटना : क्रो का ही स्पिन गेंदबाजी से शुरुआत करवाना
आजकल निर्धारित ओवर्स के क्रिकेट में देखा जाता है कि टीम के कप्तान अपनी गेंदबाजी की शुरुआत स्पिन गेंदबाजी से करते है. मगर शायद यह आपको पता नहीं होगा कि सबसे पहले क्रिकेट में इस सोच को न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान मार्टिन क्रो ने ही अपनाया. 1992 में ही मार्टिन क्रो ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारतीय मूल के स्पिन गेंदबाज दीपक पटेल को नई गेंद दे दी थी. जिसे मार्टिन क्रो ने एक बार फिर अपनी दिलेरी भरी कप्तानी को साबित किया था.
पांचवी घटना : रणतुंगा की शुरुआती 15 ओवर्स में रनों की लुट
1996 का विश्वकप अगर आज भी किसी चीज के लिए याद किया जाता है तो वह श्रीलंकाई पूर्व कप्तान अर्जुन रणतुंगा की कप्तानी के लिए याद किया जाता है. अर्जुन रणतुंगा की सोच ने श्रीलंकाई टीम को ये विश्वकप तो दिलाया ही मगर साथ में क्रिकेट के प्रति लोगो के सोचने का नजरिया भी बदल दिया.
श्रीलंका के कप्तान अर्जुन रणतुंगा ने इस विश्वकप में अपने ओपनर बल्लेबाज सनथ जयसूर्या और रमेश कालूवितरने को शुरुआती 15 ओवर्स में पॉवरप्ले का पूरा फायदा उठाने का लाइसेंस दे दिया जिसके बाद कई टीमों ने अर्जुन रणतुंगा की इस सोच को अपनाया.