आज के दौर में क्रिकेट सिर्फ बल्लेबाज़ों की चकाचौंध का खेल नहीं रह गया. आज गेंदबाज भी भीड़ को आकर्षित करने व् सुर्खियां बटोरने में उतने ही आगे हैं जितने कि बल्लेबाज़. ब्रेट ली, शोएब अख्तर , शेन वार्न , लसिथ मलिंगा जैसे दिग्गज गेंदबाज़ो को देखने के लिए दर्शक उतावले रहते थे. लेकिन कुछ अन्य खिलाडी भी हैं जो इतना लोकप्रिय नहीं हैं. वे अपनी टीम के नेतृत्व गेंदबाजों में से नहीं हैं,वह सहयोगी गेंदबाज के रूप में टीम में खेलते हैं. मुख्य गेंदबाजों को तो श्रेय मिलता ही है लेकिन इन समर्थक गेंदबाज़ो को उनका प्रयप्त श्रेय नहीं मिल पाता.
5 साइमन जोन्स
अपने करियर में बहुत बार चोटिल होने की वजह से साइमन जोन्स सिर्फ 18 टेस्ट मैच खेले. इंग्लैंड के सबसे प्रतिभाशाली गेंदबाजों में से एक होने के नाते यह पर्याप्त नहीं था. वह अपने पहले टेस्ट के दौरान भी चोटिल हो गए थे उनका घुटना फ्रैक्चर हो गया था. लेकिन 2003-2005 में ये दो साल की अवधि में वह अपने आप को फिट रखने में कामयाब रहे. और उस अवधि में जिसमे 2005 की एशेज शामिल है इंग्लैंड ने 25 वर्ष के बाद एशेज जीता था. यह इंग्लैंड की गेंदबाज़ी का ही कमाल था. एंड्रयू फ्लिंटॉफ ने जबरदस्त गेंदबाज़ी की, इस दौरान यह खिलाडी सर्वोच्च व् शानदार था और बेहद सुर्खियां व् वाह-वाही बटोरी. लेकिन साइमन जोन्स को ज्यादा क्रेडिट नहीं मिला, जितना कि इस खिलाडी से उम्मीद थी और जितना कहा गया था उसकी तुलना में जोन्स ने काफी अधिक किया था लेकिन उन्हें अपने प्रदर्शन का प्रयप्त श्रेय नहीं दिया गया.
4 पॉल हैरिस
जब भी हम दक्षिण अफ्रीका के स्पिनरों के बारे में बात करते हैं तो हमारे मन में पॉल एडम्स, निकी बोए और इमरान ताहिर के नाम आते हैं. पॉल हैरिस नाम इतना लोकप्रिय नहीं है. पॉल हैरिस ने 37 टेस्ट मैच खेले हैं. लेकिन फिर बाद में जैसे ही ताहिर को दक्षिण अफ्रीका की नागरिकता मिली पॉल हैरिस को हटा दिया गया. ताहिर की टेस्ट गेंदबाजी उतनी अच्छी नहीं थी जितनी कि उम्मीद थी. इस खिलाडी ने बिना कोई विकेट लिए बहुत रन दिए. इनका प्रदर्शन ख़ास अच्छा नहीं चल रहा था. दक्षिण अफ़्रीकी टीम में कुछ कमी लग रही थी और वह थे पॉल हैरिस, उनके सेवानिवृत्त होने के बाद ही लोगो को उनके मूल्य का एहसास हुआ. तब लोगो को उनके महत्व का एहसास हुआ कि वह टीम में क्या भूमिका निभा रहे थे. दक्षिण अफ्रीका टीम की जीत में भले ही उन्होंने मदद की और करियर में 103 टेस्ट विकेट भी लिए लेकिन उन्हें उसका क्रेडिट नहीं मिला.
3 इशांत शर्मा
जब इशांत ने 2007-08 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलकर अपनी शुरुवात की तब वह भारतीय टीम के हीरो थे. लेकिन उनका जादू बस थोड़े समय ही चला, इशांत ने विकेट लेना बंद कर दिया तो लोगो का प्यार मिलना भी बंद हो गया. इशांत शर्मा ने पहले जहीर खान के साथ और अबरविचंद्रन अश्विन के साथ भागीदारी में बहुत अच्छी गेंदबाजी की है. वह विकेट तो नहीं लेता लेकिन वह ऐसे अवसरों को पैदा करता है कि बल्लेबाज़ कुछ न कुछ गलती कर बैठे. इशांत सिर्फ 26 साल के है और वह 64 टेस्ट मैच खेल चुके हैं. एक तेज गेंदबाज के लिए यह एक उपलब्धि है. इस दौरान उन्होंने 37 की औसत से 192 विकेट लिए हैं. लॉर्ड्स, 2014 में ईशांत शर्मा ने बढ़िया प्रदर्शन करते हुए दूसरी पारी में सात विकेट लिए. बस एक यह जीत थी जिसमे इस खिलाडी को पूरा श्रेय दिया गया था.
2 पीटर सिडल
2008 में मोहाली के पीसीए स्टेडियम में एक तेज गेंदबाज ने ऑस्ट्रेलिया के लिए अपनी शुरुआत की. तब वह एक उचित ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज था. लेकिन अब 57 टेस्ट और 198 विकेट के बाद अब वह वो नहीं है जिसे हम एक ठेठ ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज कह सके. हर इच्छुक तेज गेंदबाज डेनिस लिली और ब्रेट ली की तरह गेंदबाजी करने की चाह रखता है. सिडल को भी ऐसा ही कुछ करना था लेकिन हालात कुछ और ही हो गए थे. जब सिडल टीम में अपनी जगह जोड़नेवाला था तब ऑस्ट्रेलिया बदलाव के दौर से गुजर रहा था. उसके साथ अविश्वसनीय मिशेल जॉनसन जैसे गेंदबाज थे जबकि सिडल विश्वसनीय था. यह वैसा ही था जैसा कि ऑस्ट्रेलिया को उस समय जरूरत थी. सिडल ने वास्तव में वही किया था जो उसे करने को कहा गया था. उसका काम विरोधियों पर दबाव बनाने का था. उसने उतने विकेट नहीं लिए जितने कि वह लेसकता था. उसने प्रमुख गेंदबाज़ो को विकेट लेने में मदद की. लेकिन उसे सराहना कभी नहीं मिली.
1 अजित अगरकर
भारत के खिलाडी रहे अजित अगरकर वनडे क्रिकेट में श्रेष्ठ गेंदबाज़ो में से एक थे. इनके नाम लगभग 300 के करीब वनडे विकेट हैं लेकिन फिर भी लोगो ने इस खिलाडी की ओर इतना ध्यान नहीं दिया. अगरकर के नाम कुछ ऐसा ख़ास नहीं है जिससे कि उनका वह प्रदर्शन लोगो के दिलो में बस जाये. लेकिन वे अपने हर मैच में अपना बेहतरीन प्रदर्शन करते रहे. बिना किसी कारण के वर्ष 2004 और 2006 के बीच में एक दो साल की अवधि के लिए उन्हें टीम से बाहर रखा गया. हालाँकि टीम बने रहने के दौरान उन्होंने अपना काम बखूबी किया लेकिन वे उतने बड़े स्टार नहीं कहलाये गए.