उनकी उपस्थिति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता
जब किसी के ऊपर मैच फिक्सिंग जैसे आरोप लगे हों और लोग आपको ताना मार रहे हो तो आपको लगता है कि किसी तरह इन सब चीजों से दूरी बना ली जाए और उस व्यक्ति की कोशिश रहेगी कि वह चकाचौंध से दूर रहे। लेकिन अजहर के साथ ऐसा नहीं हैं इतना सब होने के बाद भी वह देश के लिए कुछ न कुछ करते रहे।
अजहर का एक दूसरा रूप संसद में देखने को मिला था। उन्होंने कहा था- संसद में आना मेरे लिए कोचिंग टीम का हिस्सा होने जैसा है और मैं दोनों को नियंत्रित कर सकता हूं। फारुख अब्दुल्ला ने मुझसे एक बार कहा था कि मैं जम्मू कश्मीर की टीम का कोच बन जाऊं मुझे इससे कोई दिक्कत नहीं है, मैं इसे खुशी से करूंगा।
कहने का तात्पर्य इतना है कि किसी एक व्यक्ति के व्यक्तित्व और प्रतिभा का निर्धारण सिर्फ आरोपो से नहीं किया जा सकता है। आपको यह भी देखना चाहिए कि उसने आखिर अभी तक किया क्या क्या है।