न्यूज़ीलैण्ड ने टीम इंडिया को चौकते हुए दूसरे एकदिवसीय में दिल्ली के फ़िरोजशाह कोटला मैदान पर एक रोमांचक जीत हासिल की. टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने टॉस जीत कर एक बार फिर मेहमान टीम को बल्लेबाज़ी का न्योता दिया.
न्यूज़ीलैण्ड की शुरुआत बेहद ख़राब रही और दूसरी ही गेंद पर मार्टिन गुपिटल बोल्ड हो गए, पारी की शुरुआत में जल्दी विकेट गवाने के बाद केन विलियमसन और टॉम लैथम के बीच एक शानदार साझेदारी हुई जिसकी बदौलत न्यूज़ीलैण्ड ने भारत के सामने 243 रनों का लक्ष्य रखा.
भारत इस लक्ष्य के जवाब में अपनी ताकतवर बल्लेबाज़ी के साथ उतरा, लेकिन शुरुआत ही बेहद ख़राब रही और रोहित शर्मा 15 रन बनाकर आउट हो गए और इसके बाद उनके बाएं हाथ में चोट भी आई जिसपर अभी तक कोई औपचारिक जानकारी नहीं आई है. इसके बाद अपने घरेलु मैदान पर खेल रहे, टीम इंडिया की बैटिंग के स्तम्भ विराट कोहली भी कुछ ख़ास नहीं कर सके और केवल 9 रन बनाकर आउट हो गए इसके बाद लगातार विकेट गिरते रहे.
भारत इस मैच में 6 रनों से हार गया और अब यह पांच मैचों की श्रृंखला 1-1 की बराबरी पर आ गयी है, इस श्रृंखला का अगला मैच 23 अक्टूबर को मोहाली के पीसीए मैदान पर खेला जाना है.
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आइए अब हम आपको बताते है वो पांच कारण जिनकी वजह से भारत को 11 साल गवाना पड़ा कोटला वनडे
1) ख़राब अंपायरिंग
भारतीय टीम जब 243 के लक्ष्य का पीछा करने उतरी, तो उस समय शुरुआत ख़राब रही और रोहित जल्द ही आउट हो गए. अजिंक्य रहाणे एक छोर से अच्छी बल्लेबाज़ी कर रहे थे, तभी उन्होंने एक पुल शॉट मारा और गेंद सीधा कोरी एंडरसन के पास गयी, लेकिन एंडरसन ने अंपायर की ओर इशारा किया कि उन्हें नहीं पता गेंद सीधा उनके हाथ में आई या नहीं.
ऑन फील्ड अंपायर ब्रूस औक्सेंफर्ड ने तीसरे अंपायर को पास जाने का इशारा किया लेकिन जब खिलाड़ी को खुद ही विश्वास नहीं है ऐसे में अंपायर ने फील्ड का निर्णय आउट दिया और तीसरे अंपायर शमसुद्दीन को ऐसा कोई ठोस कारण नहीं दिखा जिससे वो ब्रूस के निर्णय को उलट सके और रहाणे को आउट करार दिया गया. जिसका असर मैच के अंतिम नतीजे पर पड़ा.