इस दिग्गज खिलाड़ी ने अर्श से फर्श तक का सफर किया हैं तय, कभी धूमकेतु की तरह उदय हुआ था यह दिग्गज 1

नरेंद्र हिरवानी एक भारतीय क्रिकेट के जगत का एक ऐसा नाम. जिनके अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरुआत किसी शानदार टिमटिमाते हुए सूरज की तरह हुई थी, लेकिन वो टिमटिमाता और जगमगाता हुआ सूरजना जाने कब अस्त हो गया पता ही नहीं चला. नरेंद्र हिरवानी का जन्म सन 1968 में 18 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर गोरखपुर में हुआ था. किसी ने शायद ही, उम्मीद की होगी, कि गोरखपुर जैसे छोटे से शहर में जन्मे नरेंद्र हिरवानी कभी भारतीय क्रिकेट टीम में खेलेंगे और ना सिर्फ खेलेंगे, बल्कि अपने करियर के पहले ही मैच में ऐसा प्रदर्शन करेंगे जो आज तक कोई अन्य नहीं कर पाया था. जयंत यादव के टेस्ट डेब्यू से बहुत खुश हुए पूर्व स्पिन गेंदबाज़ नरेंद्र हिरवानी 

नरेंद्र हिरवानी ने अपने प्रथम श्रेणी क्रिकेट की शुरुआत सन 1984 से की थी. मध्यप्रदेश की टीम ने सबसे पहले उनके हुनर को पहचाना था. अपने पहले ही प्रथम श्रेणी मुकाबलें में नरेंद्र हिरवानी ने राजस्थान के विरुद्ध पांच विकेट हासिल किये थे. भारतीय टीम में आने से पहले नरेंद्र हिरवानी घरेलू क्रिकेट में लगातार अच्छा प्रदर्शन कर चयनकर्ताओं की नज़र में आ रहे थे. नरेंद्र हिरवानी ने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत साल 1988 में वेस्टइंडीज के विरुद्ध चेन्नई टेस्ट से की थी. मात्र 20 वर्ष की आयु में भारतीय टीम के लिए अंतर्राष्ट्रीय टेस्ट करियर की शुरुआत करने वाले नरेंद्र हिरवानी ने अपने पहले ही टेस्ट मैच में वो कर दिखाया, जो अच्छे से अच्छे गेंदबाज़ नहीं कर पाते. आपकों बता दे, कि नरेंद्र हिरवानी पेशे से एक लेग स्पिनर थे. यही नहीं नरेंद्र हिरवानी सिर्फ अपनी लेग स्पिन के कारण ही नहीं, बल्कि अपनी लाजवाब गुगली के कारण बेहद प्रसिद्ध हुए.

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नरेंद्र हिरवानी ने अपने पहले ही टेस्ट मैच में वेस्टइंडीज के आठ खिलाड़ियों को अपना शिखर बनाया. नरेंद्र हिरवानी यही नहीं रुके और चेन्नई टेस्ट की दूसरी पारी में भी, उन्होंने आठ वेस्टइंडीज खिलाड़ियों की विकेट हासिल की. यानी अपने टेस्ट डेब्यू मैच में ही नरेंद्र हिरवानी ने सभी को चौंकते हुए 16 शानदार विकटें प्राप्त की. अपने पहले ही टेस्ट मैच में नरेंद्र हिरवानी पारी में पांच विकेट लेने वाले भारत के पांचवें खिलाड़ी बने, जबकि विश्व क्रिकेट के नौवें. यही नहीं अपने पहले ही टेस्ट मैच में सबसे बढ़िया गेंदबाज़ी करने वाले भी नरेंद्र हिरवानी दुनिया के पहले गेंदबाज़ बने और यह रोचक रिकॉर्ड नरेंद्र हिरवानी के नाम आज भी दर्ज हैं. गेंदबाज़ जिन्होंने दुलीप ट्राफी मैच में दो बार चटकाएं पांच विकेट 

नरेंद्र हिरवानी ने अपने डेब्यू टेस्ट मैच में दोनों पारियों में मिलकर केवल 33.5 ओवरों की गेंदबाज़ी में लाजवाब 16 विकेट अपनी झोली में डाली थी. इस दौरान हिरवानी ने मात्र 136 रन खर्च किये थे. नरेंद्र हिरवानी की इस करिश्माई गेंदबाज़ी के सामने दिग्गज और उस समय के अतिसर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी सर विवयन रिचर्ड्स, कोर्टनी वाल्स और कार्ल हॉपर जैसे बड़े नाम पानी भरते हुए दिखाई दे रहे थे. मेजबान भारतीय टीम ने यह लाजवाब टेस्ट मैच रवि शास्त्री की कप्तानी में 255 रनों के बहुत ही बड़े अंतर से जीता था.

नरेंद्र हिरवानी के 16 विकटों 6 खिलाड़ी हिरवानी की घुमती गेंदों के सामने टीम के विकेटकीपर किरन मोरे के हाथों स्टंप आउट हुए थे. इसी श्रृंखला के बाद नरेंद्र हिरवानी को एकदिवसीय टीम का टिकेट भी मिल गया. पहला वनडे मैच भी वेस्टइंडीज के खिलाफ ही खेला, लेकिन ग्वालियार में खेले गये अपने डेब्यू वनडे मैच में हिरवानी अपनी छाप नहीं छोड़ सके. हिरवानी को उनके पहले वनडे में एक भी विकेट नहीं मिली.

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शुरूआती तीन वनडे मैचों में तो नरेंद्र हिरवानी कुछ कमाल नहीं दिखा सके, लेकिन 1987/88 के शारजाह कप में नरेंद्र हिरवानी एक वो रिकॉर्ड अपने नाम कर गये, जो आज तक कोई ना कर सका था. शारजाह कप के तीन मैचों में फाइनल सहित नरेंद्र हिरवानी ने 10 विकेट अपनी झोली में डाले थे. फाइनल मैच में न्यूजीलैंड के विरुद्ध नरेंद्र हिरवानी ने शानदार गेंदबाज़ी करते हुए 4/46 के आंकड़े दर्ज किये थे और भारतीय टीम को 52 रनों से ऐतिसाहिक जीत दिलाई थी. इस टूर्नामेंट में नरेंद्र हिरवानी देश के पहले ऐसे गेंदबाज़ बने थे, जिन्होंने लगातार दो मैचों में एक पारी में चार चार विकेट लिए हो. शारजाह कप में नरेंद्र हिरवानी को ”मैन ऑफ़ द टूर्नामेंट” का ख़िताब भी मिला था.

चेन्नई में खेले गये इस टेस्ट मैच के बाद भारतीय क्रिकेट में स्पिन गेंदबाज़ी को लेकर मानो एक नई परिभाषा ही बन गयी. एक ऐसी परिभाषा जिसके प्रिंसिपल खुद नरेंद्र हिरवानी थे, वो हिरवानी जो कुछ दिनों पहले तक भारतीय टीम में खेलने के लिए मचलते थे. आज सभी के चहेते बन चुके थे. चेन्नई में मिले शानदार प्रदर्शन का इनाम, नरेंद्र हिरवानी को अगली सीरीज में भी मिला. जब टीम के नये कप्तान दिलीप वेंगेस्कर ने उन्हें न्यूजीलैंड के विरुद्ध घरेलू सीरीज के तीनों के तीनों के टेस्ट मैचों में खिलाया. नरेंद्र हिरवानी की शानदार फॉर्म का सिलसिला सिर्फ एक मैच के बाद ही नहीं थमा, हिरवानी ने अपने दूसरे टेस्ट मैच में भी आठ विकेट हासिल किये. बेंगलुरु में खेले गये श्रृंखला के पहले टेस्ट मैच में नरेंद्र हिरवानी ने पहली पारी में दो और दूसरी पारी में शानदार आठ किवी खिलाड़ियों को आउट किया. नरेंद्र हिरवानी की धारधार गेंदबाज़ी पूरी श्रृंखला में जारी रही. दूसरे टेस्ट में सात और अंतिम टेस्ट मैच में हिरवानी ने पांच खिलाड़ियों को आउट किया. यानि न्यूजीलैंड के विरुद्ध फिरकी के जादूगर हिरवानी ने पूरी श्रृंखला में 20 विकेट हासिल किये. आईसीसी ने क्रिकेट के विकास के लिए उठाये नए कदम

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चार टेस्ट मैचों में नरेंद्र हिरवानी के विकटों की संख्या 36 पर पहुंच गयी थी. पूरी दुनिया नरेंद्र हिरवानी की गेंदबाज़ी का लोहा मान चुकी थी. साल 1988-89 में नरेंद्र हिरवानी ने पहली बार भारतीय टीम के साथ विदेशी दौरा किया. नरेंद्र हिरवानी का पहला विदेशी दौरा वेस्टइंडीज का रहा. सभी को उम्मीद थी, कि भारत की तरह वेस्टइंडीज में भी लाजवाब प्रदर्शन करेंगे. मगर वेस्टइंडीज के सभी खिलाड़ी तो चेन्नई में मिली बड़ी हार का बदला लेने के इंतजार में बैठे थे. नरेंद्र हिरवानी ने तीन टेस्ट मैचों की श्रृंखला में मात्र 6 विकेट हासिल किये, जिसमें उनका सबसे बढ़िया प्रदर्शन 2/59 का रहा. पूरे दौरे पर नरेंद्र हिरवानी विकेट के लिए झुझते रहे. आलम तो यह तक था, कि जो खिलाड़ी चेन्नई में नरेंद्र हिरवानी के सामने पानी भर रहे थे, उन्हीं खिलाड़ियों और उसी टीम के सामने नरेंद्र हिरवानी की भी आज कुछ वैसी हालत थी.

सभी को लगा, कि विदेश में पहली बार खेलने का असर नरेंद्र हिरवानी पर पड़ा. इसके बाद 1990 के न्यूजीलैंड के दौरे पर भी नरेंद्र हिरवानी तीन मैच में मात्र 6 विकेट ही हासिल कर पाए. इस दौरे पर हिरवानी का सबसे बढ़िया प्रदर्शन 3/143 रहा. इस दौरे पर नरेंद्र हिरवानी का गेंदबाज़ी औसत 51.50 का रहा. जिन नरेंद्र हिरवानी के चार टेस्ट मैचों में 36 विकेट थे, उन्हीं हिरवानी के नाम अब दस टेस्ट मैचों में 48 विकेट थे. धीरे धीरे नरेंद्र हिरवानी की स्पिन की धार और गुगली का जल्वा कम हो चूका था. अगर महेंद्र सिंह धोनी क्रिकेट से सन्यास ले लेते तो मैं उनके घर के बाहर धरने पर बैठ जाता : सुनील गवास्कर 

इस दिग्गज खिलाड़ी ने अर्श से फर्श तक का सफर किया हैं तय, कभी धूमकेतु की तरह उदय हुआ था यह दिग्गज 5अब बारी थी भारतीय टीम के सबे बड़े दौरे इंग्लैंड की. भारत ने 1990 में इंग्लैंड का दौरे किया. जहाँ तीन टेस्ट मैचों की सीरीज का आयोजन किया गया. यहाँ पर भी नरेंद्र हिरवानी का प्रदर्शन तीन टेस्ट मैचों में बहुत खराब रहा. नरेंद्र हिरवानी ने केवल 9 विकेट हासिल की. मेनचेस्टर में उनका सबसे बढ़िया प्रदर्शन रहा, जहाँ हिरवानी साहब ने 4/174 का रिकॉर्ड दर्ज किया. दुर्भाग्यवश नरेंद्र हिरवानी का यह आखिरी विदेशी दौरा रहा.

वेस्टइंडीज, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड तीनों विदेशी दौरे पर नरेंद्र हिरवानी भारतीय टीम के मुख्य स्पिन गेंदबाज़ के तौर पर गये थे, लेकिन विदेश में खेले 9 टेस्ट मैचों में नरेंद्र हिरवानी मात्र 21 विकेट प्राप्त कर सके. यही नहीं एक भी बार नरेंद्र हिरवानी पारी में पांच विकेट नहीं ले सके. आलम तो यहाँ तक आ गया था, कि जो नरेंद्र हिरवानी सबके चाहिते बन चुके थे, आज उन्हीं नरेंद्र हिरवानी के अंतिम एकदाश में शामिल होने पर भी सवाल उठाये जा रहे थे. भारतीय कोच अनिल कुंबले ने की इस खिलाड़ी की जमकर तारीफ 

यही एक ऐसा वक़्त भी था, जब नरेंद्र हिरवानी ने एकदिवसीय क्रिकेट में भी लगातार नाकामयाब हो रहे थे.

लगातार ख़राब फॉर्म के कारण भारतीय टीम के चयनकर्ताओं ने उन्हें टीम से बाहर कर दिया और यही एक ऐसा समय भी रहा, जहाँ भारतीय टीम को अनिल कुंबले के रूप में एक नया और अनोखा स्पिन गेंदबाज़ मिल गया. भारतीय टीम से बाहर होने के बाद नरेंद्र हिरवानी ने घरेलू क्रिकेट में वापसी की. मगर भारतीय टीम में वापसी करने में नरेंद्र हिरवानी को पूरे पांच साल लग गये. एक बहुत ही लम्बे समय के बाद नरेंद्र हिरवान फिर से एकबार टेस्ट क्रिकेट में वापसी करते हुए दिखाई दिए. न्यूजीलैंड के खिलाफ कटक टेस्ट में नरेंद्र हिरवानी ने सभी को चौंकते हुए पहली पारी में 6 विकेट अपनी झोली में डाले. पूरी दुनिया नरेंद्र हिरवानी की गेंदबाज़ी को देखती रह गयी. सभी को लगा अब एकबार फिर से लोगों को नरेंद्र हिरवानी की घुमती हुई गेंदों का जलवा देखने को मिलेंगा.

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न्यूजीलैंड के विरुद्ध लाजवाब वापसी करने के बाद एक और घरेलू श्रृंखला के लिए नरेंद्र हिरवानी को टीम में शामिल किया गया, लेकिन दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध पहले दो टेस्ट मैच में हिरवानी मात्र 2 विकेट ही ले सके. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेला गया कोलकाता टेस्ट उनके करियर का आखिरी टेस्ट बन गया. इस खिलाड़ी ने रचा इतिहास एक ओवर में ले डाली दो दो हैट्रिक 

अपनी ख़राब फॉर्म और भारतीय टीम में अपने रस्ते बंद होते हुवे देख नरेंद्र हिरवानी ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से सन्यास ले लिया. नरेंद्र हिरवानी का टेस्ट करियर भारत के लिये मात्र 8 सालों का और एकदिवसीय करियर मात्र चार सालों का ही रहा.

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अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद भी लगभग 10 सालों तक नरेंद्र हिरवानी ने मध्यप्रदेश के लिए घरेलू क्रिकेट में खेलना जारी रखा. प्रथम श्रेणी में उनका प्रदर्शन लाजवाब रहा. नरेंद्र हिरवानी ने भारत के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाजों में से एक रहे हैं. घरेलू क्रिकेट में गुगली के बादशाह नरेंद्र हिरवानी 167 मैचों में 732 विकेट हासिल किये हैं. नरेंद्र हिरवानी का सबसे अच्छे प्रदर्शन 8/52 का रहा. इतिहास के पन्नो से: जब 1993 मुंबई में हुए हमलों में सुनील गावस्कर ने किया था एक परिवार की हिफाजत 

साल 2008 में नरेंद्र हिरवानी को भारतीय क्रिकेट टीम की सिलेक्शन कमिटी के साथ जोड़ा गया था. क्रिकेट छोड़ने के बाद 3, सितम्बर 2014 में नरेंद्र हिरवानी को मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा रणजी ट्रॉफी टूर्नामेंट की सिलेक्शन कमिटी का मुखिया बना दिया गया.      हमारा सलाम हैं सर आपको…

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Akhil Gupta

Content Manager & Senior Writer at #Sportzwiki, An ardent cricket lover, Cricket Statistician.