टी-ट्वेंटी विश्वकप से पहले भारतीय टीम का विश्लेषण
हाल मे हुई भारत बनाम श्रीलंका टी-ट्वेंटी श्रृंखला को मार्च में होने वाले विश्वकप के अभ्यास के रूप मे देखा गया. श्रृंखला के बाद भारतीय टीम पर नज़र डाले तो यही लगता है,कि अगर भारत अपना हाल का प्रदर्शन बरकार रखता है, तो विश्वकप जीत सकता है. 10 दिनों में एशिया कप आगाज होने को है. भारतीय टीम धोनी की अगुवाई में एशिया कप जीतने के इरादे से बांग्लादेश जायेगी.
भारतीय टीम मे वो सब विशेषता है, जो एक विश्व विजेता टीम मे होती है, अनुभवी खिलाडियों के साथ युवा खिलाडियों का अच्छा संगठन है. धोनी की सेना ने जीत की शुरुआत एडिलेड से की , भारत ने ऑस्ट्रेलिया को ऑस्ट्रेलिया में टी-ट्वेंटी श्रृंखला में 3-0 से हराया.
भारत से गड़बड़ी तब हुई जब गेंद गेंदबाज़ी की अनुकूल पिच पर भारतीय टीम पुणे में श्रीलंका के विरुद्ध 101 रनों पर आल-आउट हो गई, मगर जल्द ही भारत ने कमियों को दूर किया और श्रृंखला को 2-1 से जीता.
ICC विश्वकप ट्वेंटी मे भारतीय टीम के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह होगी, कि अगर विश्वकप की पिच पुणे की तरह बर्ताव वाली हुए तो ऐसे पिच भारतीय टीम की राह मे रोड़ा बनेगी,
घूमती और उछाल लेती गेंद हमेशा भारत के लिए मुस्किल पैदा करती रही है.
भारतीय टीम बहुत संतुलित और मजबूत दिखाई देती है. कुछ महीने पहले घरेलु सरजमी पर दक्षिण-अफ्रीका के विरुद्ध हुई एकदिवसीय श्रृंखला में भारत की कुछ ख़राब रणनिति और गलत फैसले देखे गए.
शिखर धवन का लय में आना धोनी की लिए सबसे ख़ुशी की बात होगी, धीमी गति से रन बनाने की शैली के कारण धवन को कई बार आलोचनाओ का सामना करना पड़ा है, धवन ने अपनी शैली में बदलाव किया है.
भारत का नंबर 3 का बल्लेबाज़ वर्तमान में टी-ट्वेंटी का बेहेतरीन बल्लेबाज़ है, विराट कोहली को श्रीलंका के विरुद्ध आराम दिया गया था. कोहली अकेले किसी भी गेंदबाज़ी आक्रमण को तहस-नहस कर सकते है. मध्यक्रम मे रैना,युवराज और धोनी जैसे धुरंधर है.
श्रीलंका के विरुद्ध रांची में पंड्या ने यह दिखाया है, कि उनमे अहम मौको पर तेजी से रन बनाने की कला है.
आश्विन और जडेजा की घातक जुगलबंदी टीम मे है. तेज गेंदबाज़ बहुत प्रभावशाली और लय में दिख रही है. बुमराह धोनी के अंतिम ओवेरो के सबसे अहम हथियार होगे, बुमराह की शक्ति उनकी तेज गेंद और उनकी यार्कर है.
बाकि प्रतियोगिता की तरह टी-ट्वेंटी विश्वकप मे भी स्पिन गेंदबाजी की अहम भूमिका होगी. भारत की ओर से स्पिन गेंदबाजी की कामन आश्विन के हाथ में होगी, जबकि उनका साथ देने के लिए भारत के पास जडेजा, रैना और युवराज के रूप मे विकल्प है.
जिस प्रकार रिंकी पोंटिंग की अगुवाई में वर्ष 2003, 2007 में ऑस्ट्रेलिया का दबदबा रहा कुछ इस तरह की छाप धोनी 2016 टी-ट्वेंटी विश्वकप में छोड़ना चाहेगे.