बीसीसीआई ने हितों के टकराव के मामले में अधिकारीयों पर नकेल कसने के बाद अब बोर्ड ने पूर्व क्रिकेटरों और मौजूदा क्रिकेटरों पर भी दिशा निर्देश जारी किये हैं| बीसीसीआई ने अपने इस फरमान का पुरा ब्योरा अपने वेबसाइट के माध्यम से दिया है|
ये हैं वो नए नियम:
a. जो पूर्व खिलाड़ी बोर्ड से अनुबंधित है उनसे वेतन लेते हैं वो किसी कमेटी की हिस्सा नहीं हो सकते।
b. मैच रेफ़री, किसी टीम का कोच या चयनकर्चा बनने से पहले खिलाड़ी का क्रिकेट से संन्यास अनिवार्य है।
c. किसी टीम का कोच या चयनकर्ता बनने वाला पूर्व खिलाड़ी प्राइवेट कोचिंग अकादमी नहीं चला सकता।
d. बोर्ड से जुड़ने वाला पूर्व खिलाड़ी का किसी प्लेयर मैनेजमेंट कंपनी का हिस्सा नहीं हो सकता।
e. किसी टीम के कोच या चयनकर्ता का मीडिया कंपनी के साथ कोई करार नहीं होना चाहिए।
f. बोर्ड में पदाधिकारी रहते हुए कोई पूर्व खिलाड़ी राष्ट्रीय चयनकर्ता नहीं बन सकता।
इन नियमों के अनुसार सचिन तेंदुलकर जो मुंबई इंडियंस के मेंटोर है वो बोर्ड की क्रिकेट सलाहकार समिति में नहीं रह सकते। सौरभ गांगुली CAB के अध्यक्ष होते हुए, कोचिंग अकादमी नहीं चला सकते, आईपीएल गवर्निंग काउंसिल में नहीं बने रह सकते। साथ ही बीसीसीआई ने वर्तमान क्रिकेटरों को भी नहीं छोड़ा है|
1. मौजूदा क्रिकेटर की अब किसी प्लेयर मैनेजमेंट कंपनी में हिस्सेदारी नहीं हो सकती|
2. बोर्ड से जुड़ी किसी व्यवसायिक कंपनी में खिलाड़ी पद अधिकारी नहीं हो सकता|
3. सपोर्ट स्टाफ़ का कोई सदस्य टीम के खिलाड़ी के साथ कोई व्यावसायिक करार नहीं कर सकता|
4. टीम के खिलाड़ी आपस में भी कोई व्यवसायिक करार नहीं रख सकते|
इन नए कानून का पालन करने के लिए बोर्ड ने क्रिकेटरों को कई डेडलाइन नहीं दी है| मगर इतना ज़रूर है कि अगर किसी ने बोर्ड के लोकपाल को शिकायत की तो फिर कानून अपना काम करेगा|