मौजूदा समय में क्रिकेट का खेल लगभग दुनिया के सभी देशी में बेहद लोकप्रिय हो चुका हैं. भारत में क्रिकेट फैन्स को क्रिकेट को धर्म के तरह मानते हैं. विश्वकप 2003 में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध फाइनल मैच में 125 रनों की हार ने सभी भारतीय क्रिकेट फैन्स के दिल तोड़े. लेकिन उस हार के बाद से भारतीय टीम के प्रदर्शन में बेहद अधिक सुधार देखने को मिला हैं. इसी सुधार और मेहनत के कारण वर्ष 2011 में भारतीय टीम ने विश्वकप जीता. मौजूदा समय में भारतीय टीम एकदिवसीय रैंकिंग में चौथे पायदान पर हैं. भारतीय टीम के शानदार प्रदर्शन के पीछे कुछ महत्वपूर्ण खिलाड़ियों की अहम भूमिका रही हैं.
इस लेख में हम वर्ष 2003 विश्वकप के बाद की बेस्ट भारतीय टीम के बारे में जानेगे:-
1) वीरेंद्र सहवाग
भारत के आक्रामक बल्लेबाज़ नजफ़गढ़ के नवाब वीरेंद्र सहवाग ने वर्ष 1999 में पाकिस्तान के विरुद्ध पदार्पण किया. दुनिया के सबसे आक्रामक सलामी बल्लेबाज़ बनने से पहले वीरेंद्र सहवाग ने अपने शुरुआत करियर के दौरान निचलेक्रम में बल्लेबाजी किया. जिसके बाद मुल्तान टेस्ट में सहवाग ने तीसरा शतक लगाया. एकदिवसीय क्रिकेट में सहवाग की बल्लेबाजी की आक्रामकता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है, कि पाकिस्तान के शाहिद अफरीदी के बाद सहवाग की स्ट्राइक रेट (min.5000 रन) सबसे अधिक हैं. सहवाग ने अपने करियर के दौरान 13 में 7 शतक शतक लक्ष्य का पीछा करते हुए लगाये.
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विश्वकप 2011 के दौरान भी सहवाग ने पहले ही मैच बांग्लादेश के विरुद्ध शानदार 175 रनों की पारी खेली थी. 8 दिसम्बर 2011 को सहवाग ने वेस्टइंडीज के विरुद्ध 149 गेंदों अपर 219 रनों की पारी खेलकर विश्व रिकॉर्ड बनाया. एकदिवसीय क्रिकेट से संन्यास से पहले सहवाग ने 8000 से अधिक रन बनायें.