कोक्लियर के ग्लोबल ब्रैंड एंबेसडर के रूप में नियुक्त किए गए पूर्व ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज ब्रेट ली ने मंगलवार को कहा, कि समस्या की प्रारंभिक जांच किसी भी समस्या से बचने के लिए अनिवार्य होनी चाहिए.
गतिरोध विकलांगता के बाद श्रवण बाधित(कम सुनना) विकलांगता दूसरी सबसे अधिक पाई जाने वाली विकलांगता हैं. 2011 की जनगणना केअनुसार, भारत में 50 लाख से अधिक नागरिक हैं, जो कम सुनने जैसी विकलांगता से पीड़ित हैं.
ली ने आईएएनएस से कहा, “भारत में लगभग 63 मिलियन लोग कम सुनने की विकलांगता से पीड़ित हैं. माता-पिता और परिवार के सदस्यों को कम सुनने की विकलांगता के सबसे छोटे लक्षणों को अनदेखा नहीं करना चाहिए और उन्हें शीघ्र इसकी जांच करनी चाहिए. ऑस्ट्रेलिया में प्रत्येक नवजात शिशु के लिए इसकी जांच करना अनिवार्य किया गया हैं.” विराट कोहली को डोनाल्ड ट्रम्प करार दिये जाने पर बॉलीवुड के महानायक अमिताभ ने किया ऑस्ट्रेलियाई मिडिया पर कटाक्ष
“हालाँकि, भारत में सार्वभौमिक नवजात के सुनने की शक्ति की स्क्रीनिंग के बारे में जागरूकता अब भी कम है. मैं पिछले हफ्ते केरल में था, जहाँ राज्य सरकार द्वारा ज्यादातर अस्पतालों में नवजात शिशु की सुनने की शक्ति स्क्रीनिंग करने के लिए किये गए प्रयासों की सराहना करने की जरूरत है.”
“केरल ने सभी अस्पतालों में सुनने की शक्ति के लिए अनिवार्य स्क्रीनिंग करने की एक योजना की पहल की हैं. केरल ने हमारे लिए एक शानदार उदाहरण पेश किया है और मैं भारत के अन्य हिस्सों को इसपर ध्यान देने और इस पर अमल करने के लिए आग्रह करता हूँ.”
ली ने इस संदर्भ में अपने व्यतिगत अनुभव को भी शेयर किया. ली ने बताया जब उनका बेटा 5 वर्ष का था तब उनके सर पर कान के करीब फ्रैक्चर आ गया था, जिस कारण उनके बेटे को एक काम से कम सुनने की समस्या हुई थी. OMG: शादी कर फँस गये युवराज सिंह, पत्नी हेजल ने कर दी है इस दिग्गज की ऐसी हालत
“सौभाग्य से, अगले आठ महीने या उससे कुछ अधिक समय के बाद इलाज के बाद उसकी सुनने की शक्ति सामान्य हो गई, लेकिन उन दिनों उन्होंने महसूस किया कि यह एक ऐसा विषय है, जिसपर जागरूकता फ़ैलाने की जरूरत हैं.”
40 वर्षीय ली ने कहा कि, उनका मिशन महत्वपूर्ण चिकित्सा और इसके सामाजिक और आर्थिक प्रभाव के बारे में जागरूकता फैलाना है, जो कम सुनने वाले व्यक्तियों और उनके परिवारों पर पड़ सकते हैं.