भारतीय क्रिकेट की अंतर्राष्ट्रीय स्तर की दो टीम पुरुष क्रिकेट टीम और महिला क्रिकेट टीम ने हाल ही में दो बड़े टूर्नामेंट खेले. पुरुष टीम ने जहां चैंपियंस ट्रॉफी में फाइनल तक का सफ़र किया, वहीं भारतीय महिला टीम ने आईसीसी महिला विश्वकप के फाइनल में जगह बनाई. हालाँकि दोनो ही टीमें ट्रॉफी जीतने में असफल रहीं. पुरुष टीम जहां चैंपियंस ट्रॉफी जीतने में असफल रही वहीं महिला टीम वर्ल्डकप ट्रॉफी. लेकिन इन दोनों प्रदेर्शानो में कोच की क्या भूमिका निकल कर आई. और दोनों टीम के कप्तानो की उनके कोच से कैसे सम्बन्ध रहे इस पर एक विश्लेषण करते हैं.
मैन इन ब्लू में काला अध्याय-
अभी ज्यादा दिनों की बात नहीं है जब भारतीय पुरुष टीम में कोच विवाद अपने चरम पर था. विराट कोहली और अनिल कुंबले का विवाद इतना बढ़ गया कि भारत के सर्व्श्रेस्थ स्पिनर को अपना इस्तीफ़ा देना पड़ा.
जबकि जब भारत ने चैंपियंस ट्रॉफी अभियान की शुरुवात की. उस समय भारत चैंपियंस ट्रॉफी का प्रबल दावेदार था. लेकिन बीच में वैसी खबर आई कि ड्रेसिंग रूम में सब कुछ सही नही है. पकिस्तान के साथ फाइनल ने इस खबर को पुख्ता कर दिया. नतीजा भारत चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला हार गया. और भारत आने से पहले ही अनिल कुंबले ने कोच पद से स्तीफा दे दिया.
मिताली राज का कोच से सम्बन्ध-
विमेंस वर्ल्डकप चैंपियंस ट्रॉफी के बाद खेला गया. भारतीय महिला टीम से किसी ने ज्यादा उम्मीदे नही की थी, लेकिन टीम ने फाइनल तक का सफ़र तय किया और रनर-अप के साथ अपने अभियान को खत्म किया.
कप्तान मिताली राज ने माना कि एक टीम के लिए एक कोच बहुत उपयोगी होता है. और इस प्रदर्शन में कोच का महत्वपूर्ण योगदान रहा है.
मिताली राज ने कहा कि “मुझे पता है कि मेरा कप्तान के तौर पर क्या रोल है. और कोच का क्या रोल है. हम दोनों ने आपसी सहमती के साथ फैसले लिए जिसने टीम को अच्छा करने में बहुत मदद किया. सभी अपना अपना पक्ष रखते हैं. लेकिन आखिर में आप को अपने कोच की सुननी चाहिए. हम दोनों हमेशा एक दुसरे का सकारात्मक पक्ष देखते हैं और शायद यही कारण है कि हमारे बीच विवाद की सम्भावना कम रही.”