क्रिकेट डेस्क। आखिरकार नाटक खत्म हुआ। बीसीसीआई को अब नया अध्यक्ष मिल गया है, लेकिन भूलिए नहीं कि एक और रहस्यभरी कहानी इंतजार कर रही है। इस वर्ष आईपीएल खत्म होने के बाद भारतीय क्रिकेट को आगामी वर्षों में आकार देने पर विचार करना है, जिसमें भारतीय टीम के नए कोच की नियुक्ति प्रमुख है। 2014 में इंग्लैंड दौरे के बाद डंकन फ्लेचर का कोच पद से हटना और फिर टीम निदेशक के रूप में रवि शास्त्री की नियुक्ति और टी-20 विश्व कप के बाद उनका कार्यकाल खत्म होना। अब भारतीय टीम को नए कोच की तलाश है।
हालांकि दृश्य बदल रहा है। नया कोच कौन होगा यह मामला ज्यादा पेचीदा हो गया है। भारतीय खिलाडि़यों ने रवि शास्त्री को कोच पद पर बने रहने के लिए अपनी स्वीकृति दे दी है और शास्त्री ने भी इस जिम्मेदारी को दोबारा उठाने में कोई आपत्ति नहीं दर्ज कराई है।
भारतीय टीम के कोच पद की भूमिका निभाना देश का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। इसे निभाकर लोगों को संतुष्ट करना प्रधानमंत्री के कार्य से ज्यादा मुश्किल नजर आता है। इसलिए जब भारत के पसंदीदा क्रिकेट सितारों को यह जिम्मेदारी सौंपी जाएगी तो उनसे बहुत उम्मीदें रखी जाना स्वाभाविक है।
पिछले कुछ सप्ताहों में मिश्रित संकेत आए हैं। भारतीय टेस्ट कप्तान ने डेनियल विटोरी के नाम की सिफारिश की है जबकि सुनील गावस्कर ने अगले कोच की नियुक्ति के रूप राहुल द्रविड़ को दावेदार बताया है। हरभजन सिंह ने भी गावस्कर के विचार से समर्थन दर्शाया है।
मगर सभी मुद्दों पर गौर करते हुए सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि बीसीसीआई अगले कोच के रूप में विदेशी या भारतीय में से किसे आजमाएगा। हम सभी जानते है कि यह नई बहस का मुद्दा नहीं है, लेकिन इससे टीम का भाग्य जरूर जुड़ा है।
जरा पीछे ध्यान दीजिए, कुछ प्रमुख खिलाडि़यों ने ड्रेसिंग रूम के बाहर राजनीति नहीं हावी होने देने के कारण विदेशी कोच की नियुक्ति को सही समझा। फिर सोचिए, जैसे खेल वैश्विक हुआ है वैसे विदेशी कोच बनाने की प्रवृत्ति भी खोती हुई नजर आई है।
इसी समय कोच जो स्थानिय दृश्यों और परिस्थितियों को नहीं समझ पाते हैं, वह मुश्किल में घिर जाते हैं। पिछले कुछ वर्षों में पेशेवर अंदाज बढ़ गया है तथा मीडिया के दबाव ने भारतीय कोच को लेकर कई मुसीबतें खड़ी की हैं।
यह आसान विकल्प नहीं है। बीसीसीआई की सीएसी कमेटी के त्रिमूर्ति सचिन तेंडुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण सभी अच्छे और बुरे पहलुओं पर ध्यान देकर भारतीय कोच की नियुक्ति करेंगे। मगर जो भी विकल्प हो, कुछ पहलुओं को ध्यान में रखना जरूरी है।
1 कप्तान की राय हमेशा महत्वपूर्ण है। भारतीय क्रिकेट में वर्तमान में सीमित और टेस्ट प्रारूप में अलग-अलग कप्तान है।
2 कोच को आधुनिक क्रिकेट की जरूरतों से जुड़ा होना चाहिए, उसे खिलाड़ियों के प्रति चिंतित रहना जरूरी है।
3 नियुक्ति का संबंध लंबे समय के लिए प्रभाव छोड़ने वाला होना चाहिए। पांच वर्ष बहुत लंबे होते हैं जबकि एक वर्ष बहुत छोटा। तीन वर्ष तक नियुक्ति आदर्श होगी जिसमें 50 ओवर का विश्व कप जैसा भव्य टूर्नामेंट शामिल होगा।
4 यह बिलकुल आकर्षक काम होगा, लेकिन नतीजे देना बहुत जरूरी होगा। कोच की अच्छी कमाई होना तय है, जिसमें कई प्रकार के बोनस शामिल होंगे। भारतीय क्रिकेट विश्व का सबसे अमीर बोर्ड है, लेकिन टीम खेल के मामले में सर्वश्रेष्ठ नहीं है। आपको दिमाग में रखना होगा कि आगामी भविष्य में क्रिकेट के हर प्रारूप में टीम शीर्ष स्थान पर हो।
भारत को 2016 जून से 2017 मार्च के बीच न्यूजीलैंड, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसी प्रमुख टीमों के खिलाफ 18 टेस्ट खेलने है, ऐसे में टीम को प्रमुख कोच की जल्द से जल्द जरूरत पड़ेगी।