मुनाफ पटेल जिन्हें भरूच एक्सप्रेस के नाम से भी जाना जाता था. मुनाफ ने जब अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट में खेलना शुरू किया था तो उस समय उनकी गेंदों की रफ़्तार काफी तेज हुआ करती थी, लेकिन फिर उसके बाद चोटिल हो जाने के कारण उनकी रफ्तार में कमी आती गयी और एक तेज गेंदबाज से मुनाफ मध्यम गति के गेंदबाज बनकर रह गए, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने अपनी गेंदों की धार को कम नहीं होने दिया और 2011 के क्रिकेट वर्ल्डकप में जिताने में अहम भूमिका निभाई थी.सब था तय, कर ली थी पूरी तैयार, हो गयी थी विराट कोहली से बात और कोच के लिए होने वाला था नाम का ऐलान, लेकिन इसलिए सहवाग नहीं बने कोच
गुजरात के छोटे से गांव के थे
मुनाफ पटेल गुजरात के छोटे से गांव इखार के रहने वाले थे, जिसके बाद उन्होंने वहां से निलकर अपनी प्रतिभा का परिचय सभी से करवाया. मुनाफ ने इसी महीने की 12 तारीख को अपने जीवन के 34 साल पूरे किये. मुनाफ अपने स्कूल के दिनों से क्रिकेट जरुर खेलते थे, लेकिन इसके बावजूद उन्हें क्रिकेट खिलाड़ी बनने का सपना कभी नहीं देखा. मुनाफ पटेल का परिवार काफी गरीब था, जिस कारण मुनाफ को अपने परिवार की आर्थिक हालात के कारण एक मार्बल फैक्ट्री में काम तक किया हैं. इस काम के लिये उन्हें एक दिन का 35 रुपया मिलता था.अमरानाथ यात्रियों पर हुए हमले के बाद सचिन के साथ सहवाग, लक्ष्मण और कुंबले का फूटा गुस्सा, नम आँखों से दी भावभीनी श्रध्दांजलि
पिता को मिलते थे 7 रूपए
मुनाफ पटेल के पिता को दूसरे के खेतों में काम करने पर एक दिन में 7 रूपये मिलते थे, इसी कारण मुनाफ ने काफी कम उम्र में ही कमाने लगे थे, ताकि अपने परिवार को मजबूती दे सके. मुनाफ के इस काम के बारे उनके स्कूल के टीचर को जब पता चला तो उन्होंने मुनाफ से कहा कि पैसे कमाने की उम्र में जाकर कमाना अभी आप सिर्फ अपने खेल पर ध्यान दो, इसके बाद उनके दोस्त यूसुफ उन्हें बडौदा लेकर आये जहाँ पर उन्होंने मुनाफ को एक क्रिकेट एकेडमी में दाखिला दिलवा दिया, जिसके बाद मुनाफ की किस्मत ने उनका साथ दिया और वे एक बड़े खिलाड़ी बन गए.
अभी भी गांव में ही रहते हैं
मुनाफ पटेल इतने बड़े खिलाड़ी बन जाने के बाद भी अभी भी अपने गांव में ही रहते हैं. मुनाफ के गांव में कोई भी उनके पास आता हैं तो वे उसकी मदद के लिए तुरंत तैयार हो जाते हैं और उनसे जो भी मदद हो सकती हैं वे उसे तुरंत करते हैं. मुनाफ इस पर कहते हैं कि ” यदि हमारे पास कोई मदद के लिए आता हैं तो यदि मैं उससे कुछ पूछ लेता हूँ तो पिता जी मना कर देते थे, कि सवाल क्यों पूछ रहे हों इससे क्या हो जायेगा.” ज़िम्बाब्वे के खिलाफ शानदार प्रदर्शन करने के साथ ही अनिल कुंबले का एक बहुत बड़ा रिकॉर्ड तोड़ने के बहुत करीब पहुंचे हेराथ