पिछले कुछ महीने भारत के प्रमुख ऑफ स्पिनर “आर अश्विन” के लिए अच्छे रहे हैं. भारतीय टीम की सफलता में आश्विन का महत्वूर्ण योगदान रहा है.चाहे वह टेस्ट कप्तान विराट कोहली हों या सीमित ओवरों के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी दोनों ने आश्विन में विश्वास दिखाया है.
एक ख़ास इंटरव्यू में अश्विन ने विभिन्न पहलुओं के बारे में बात की .और जब उनसे हरभजन सिंह के साथ किसी भी प्रतियोगिता के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्होंने किसी के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं की सिर्फ अपने व्यक्तिगत प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित किया.
यहाँ पेश है टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ उनके इंटरव्यू के कुछ अंश..
2013-14 में कुछ ख़ास न रहने के बाद 2014-15 के सर्वश्रेष्ठ स्पिनरों में से एक के रूप में उभरे.यह बदलाव कहा से आया?
वह बहुत मुश्किल दौर रहा. यह सच है कि (2013 दिसंबर में )जोहांसबर्ग में अंतिम दिन मैं भारत को एक टेस्ट मैच नहीं जीता सका. और अगले टेस्ट मैच में मैं नहीं खेल रहा था.मुझे नहीं पता थे कि मैं क्या कर रहा था,मैं कहाँ रखा गया था इस तरह मेरे दिमाग में बहुत से सवाल थे. मैं ये सोचता रहता था कि क्या क्रिकेट खेलने के मेरे तरीके में मुझे कुछ बदलाव करना चाहिए. पर मैंने खेल में पूर्ण कौशल पर ध्यान केंद्रित किया और अच्छा परिणाम निकला.
तकनीकी रूप से क्या परिवर्तन किया?
मैं हमेशा से एक साहसी गेंदबाज रहा. मैंने अपने काम की बुनियादी चीजों को देखा जैसे कि मेरी बाहों की गति क्या है जब नई गेंद डालता हूँ. मैं निराश नहीं था लेकिन मैं सबसे अच्छा बनना चाहता था. कभी कभी तो मैं खुद को एक क्रिकेट वैज्ञानिक की तरह महसूस करता था.
गेंद डालने को लेकर आपके कुछ नए विचार भी हैं?
मेरे दिमाग में ऐसे तो बहुत से विचार आते हैं लेकिन अभी तक इन्हे आज़माया नहीं है. लेकिन हाँ मेरे मन में कुछ चीजें हैं,जैसा कि इस सीजन ट्वेंटी 20 विश्वकप है तो मुझे कुछ दीर्घकालिक योजना बनानी होगी. दिन के अंत में दो डीलीवरीज है एक स्पिन इन और एक स्पिन आउट ,इससे शायद मैं थोड़ा और अधिक करने की कोशिश करूंगा.
आपने नए सत्र के लिए कोई लक्ष्य निर्धारित किया है ?
मन में संख्या तो नहीं है. मुझे लगता है कि जिस तरह से मैंने बांग्लादेश में गेंदबाजी की है वह मेरे सर्वश्रेष्ठ में से एक था.यह पांच विकेट लेने के बारे में नहीं है बल्कि जिस तरह से मैंने प्रदर्शन किया वह ख़ास था.
लेकिन इससे पहले आपने पांच विकेट एक पारी में भी लिया है, तो यह अलग कैसे था?
मेरे लिए पांच विकेट 100 या 150 रन की तरह ही अच्छा है. मैंने खुद के लिए एक बेंचमार्क यानि लक्ष्य स्थापित किया था और अगर मैं पांच विकेट लेने का कारनामा नहीं करता तो यह एक विफलता होती.
नए कप्तान विराट कोहली के साथ आपका कैसा ताल मेल है?
तालमेल बहुत अच्छा रहा है,हम एक साथ खेल कर बड़े हुए हैं हो सकता है जिस तरह मैंने उनसे कुछ सीखा है उन्होंने भी मुझसे कुछ सीखा होगा. वह बहुत मेहनती है.
आप कैसे महेंद्र सिंह धोनी और विराट की स्पिनर्स से निपटने की तुलना करते हैं ? क्या आपको कभी लगा है कि अपने कैरियर में आप एक रक्षात्मक विकल्प के रूप में इस्तेमाल किये गए हैं?
यह एक बहुत ही कठिन तुलना है और जितना की मैं जनता हूँ तो मेरी मेरे कप्तानों में से किसी के साथ भी कोई संवादहीनता नहीं रही. अगर मैं कुछ चाहता हूँ तो खुल कर बता देता हूँ. और अगर कप्तान मेरे लिए वैसा नहीं चाहता हो तो भी ठीक है. मुझे इससे कोई दिक्कत नहीं.
खेल में आप और हरभजन सिंह अगर एक साथ खेले ,गेंदबाज़ी करे?
अगर हम दो बेहतरीन स्पिनर उपलब्ध हैं तो बिलकुल हम खेलेंगे. लेकिन अगर मांग ही एक बाएं हाथ के स्पिनर या किसी भी अन्य स्पिनर की हो तब हालात आते हैं कि किसे चुना जाए. मेरे और हरभजन के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है,मैं अपने प्रतिद्वंद्वी के रूप में किसी को भी नहीं देखता. मुझे फिल्म ‘3 इडियट्स’ की ये लाइन बहुत पसंद है कि -`काबिल बनो’. और मैं यही करने की कोशिश करता हूँ.