क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले और क्रिकेट के हर क्षेत्र में रिकार्डो की झड़ी लगाने वाले पूर्व भारतीय कप्तान सचिन तेंदुलकर को लम्बी समय तक कप्तानी न कर पाने के दुःख है, उन्होंने कहा उन्हें लम्बे समय तक भारत की कप्तानी करने की इच्छा थी, लेकिन यह पूरा नहीं हो पाया.

तेंदुलकर को क्रिकेट के लगभग सभी क्षेत्र में आशातीत सफलता मिली, लेकिन टीम की कप्तानी ही एक ऐसी चीज थी, जिसमे तेंदुलकर को सफलता हाथ ना लग सकी.

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तेंदुलकर को 1996-97 में भारत का कप्तान बनाया गया, लेकिन टीम का प्रदर्शन अच्छा न होने की वजह से सिर्फ 12 से 13 महीनों में उन्हें उनके पद से हटा दिया गया. तेंदुलकर ने इंडिया टुडे कानक्लेव के माध्यम से कहा:

“मेरे लिए क्रिकेट एक टीम वर्क था, ना कि व्यक्तिगत प्रदर्शन, खेल में ऐसे कई मुकाम ऐसे होते हैं, जब कप्तान टीम को दिशा निर्देश डे रहा होता है,और मैदान पर महत्वपूर्ण निर्णय लेता है, लेकिन अंत में बल्लेबाज को मैदान में जाकर रन बनाना होता है,और गेंदबाज को भी उसी क्षेत्र में गेंद डालनी होती है.”

उन्होंने आगे कहा:

“मुझे अपनी कप्तानी के पहले कार्यकाल में सिर्फ 12-13 महीने बाद ही हटा दिया गया, मेरे लिये यह निराशाजनक था, क्योंकि आप कप्तान को यह सोचकर चुनते हैं, कि वह टीम को आगे ले जायेगा, लेकिन अगर उसका (कप्तान) कार्यकाल पर्याप्त न हो, तो उसकी सफलता दर शून्य हो जाती है.”

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उन्होंने कहा:

“अगर आप एक कप्तान के रूप में 4 मैच खेलते है, और 2 जीतते है, तो आप की सफलता दर 50% मानी जाती, लेकिन मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ, मेरा कार्यकाल पूरा नहीं था, और इस सदमे से उबर पाना मेरे लिये एक बड़ी चुनौती थी.”

तेंदुलकर ने अपने असफल कप्तानी कार्यकाल का बचाव करते हुये कहा:

“जब मै कप्तान था, तब मैंने कई कठिन दौरों का सामना किया, हम वेस्टइंडीज गये वो हमसे बेहतर थे, हम साउथ अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया गये जहाँ मैंने बहुत सारी चुनौतियों का सामना किया.”