जब पिता के निधन के बाद मैदान पर पहुंचे सचिन और किया कुछ ऐसा, जिसके बाद बन गए क्रिकेट के भगवान 1
23 May 1999: Sachin Tendulkar of India reaches his century during the Cricket World Cup Group A match against Kenya played in Bristol, England. India won the game by 94 runs. Mandatory Credit: Craig Prentis /Allsport

भारतीय क्रिकेट में कई दिग्गज खिलाड़ी हुए हैं। इन खिलाड़ियों ने कई कीर्तिमान भी गढ़े हैं। लेकिन इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में अपना नाम लिखवाने में सिर्फ सचिन तेंदुलकर ही सफल हो पाये हैं। सचिन भारतीय क्रिकेट को ऊंचाईयों तक पहुंचाया है। इनके बिना भारतीय क्रिकेट का नाम अधूरा लगता है। आज क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर का जन्मदिन है। सचिन 24 अप्रैल 1973 को मुंबई में पैदा हुए थे। उनके जन्मदिन पर एक विशेष रिपॉर्ट… सचिन और विराट की तरह ही है इस उभरते हुए युवा भारतीय खिलाड़ी की कहानी

जून 1983 में भारत ने पहली बार विश्वकप जीत था। इसके बाद 1999 में एक बार फिर से विश्वकप खेला गया। इस विश्वकप क्रिकेट कई क्रिकेट विशेषज्ञ कयास लगा रहे थे, कि यह भारत जीत सकता है। भारत के जीत की संभावना की सबसे बड़ी वजह सचिन तेंदुलकर को माना जा रहा था। जबकि उस समय सचिन फिट नहीं थे। वह कमर के दर्द से परेशान थे।

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बहरहाल टूर्नामेंट का आगाज हुआ और भारत को पहले मैच में ही दक्षिण अफ्रीक से हार का सामना करना पड़ा। भारत को दूसरा मैच ज़िम्बाब्वे के खिलाफ खेलना था। इस मैच में सभी को उम्मीद थी, कि भारतीय टीम अच्छा प्रदर्शन करेगी। लेकिन मैच से एक शाम पहले ही सचिन के होटल रूम की घंटी बजी। जब सचिन ने गेट खोला तो उनकी पत्नी अंजलि, अजय जडेजा और रॉबिन सिंह के साथ खड़ी थीं।

दरअसल सचिन के पति रमेश तेंदुलकर का हार्ट अटैक से निधन हो गया था। इसके बाद सचिन सुबह होते ही भारत के लिए निकल गए। उनके पिता के अंतिम संस्कार में हजारों लोग मैजूद रहे। लेकिन सचिन की गैरमौजूदगी में भारतीय टीम अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रही थी। इस मैच में भी भारत को ज़िम्बाब्वे से हार का सामना करना पड़ा।  विडियो : कैच छोड़ने पर उमेश यादव पर भड़कने वाले गौतम गंभीर उसी ओवर में कर बैठे ऐसी बड़ी गलती और फिर..

अब भारत को सुपर सिक्स तक पहुंचने के लिए तीन मैच जीतने जरूर थे। बीसीसीआई और टीम मैनेजमेंट ऐसी स्थिति में सचिन की कमी को महससू कर रहे थे। लेकिन वो सभी सचिन के फैसले के इंतजार में थे। इसके बाद सचिन की मां ने उनका मनोबल बढ़ाया और इंग्लैंड जाने के लिए कहा। तब सचिन दोबारा इंग्लैंड पहुंचे और केन्या के खिलाफ खेलते हुए शानदार शतक लगाया। उन्होंने इस मैच में 140 रनों की पारी खेली और यह शतक अपने पिता को समर्पित किया।