सौरव गांगुली भारतीय टीम के कप्तान रह चुके हैं और उन्होंने भारतीय टीम को कई बार संकट की स्थिति में बचाया है। 90 के दशक तक भारतीय टीम को घर का शेर कहा जाता था, लेकिन गांगुली ने कप्तान संभालने के बाद टीम की दशा और दिशा में बदलाव किया। भारतीय टीम को नए मुकाम तक पहुंचाने का श्रेय गांगुली को ही जाता है। गांगुली ने 2000 में टीम की कप्तानी संभाली थी और इसी समय भारतीय टीम पर फिक्सिंग का आरोप लगा था।
फिक्सिंग के कलंक के बावजूद गांगुली ने संभाली कप्तानी –
सौरव गांगुली ने भारतीय टीम में पदार्पण करने के बाद प्रभावी प्रदर्शन किया था। लिहाजा उन्हें 2000 में टीम की कप्तानी सौंप दी गयी थी। यह वह समय था जब भारतीय टीम फिक्सिंग का दाग लगा था। लेकिन इसके बावजूद भी गांगुली ने बेझिझक भारतीय टीम की कप्तानी करना सौभाग्य समझा और उस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। जब गांगुली ने कप्तानी संभली थी तब टीम इंडिया आईसीसी की टेस्ट रैंकिंग में आठवें पायदान पर थे, लेकिन जब दादा ने संन्यास लिया था उस समय भारतीय टीम टेस्ट रैंकिंग में दूसरे पायदान पर पहुंच चुकी थी। विडियो : रांची टेस्ट के दौरान उमेश यादव ने खेला अजीब सा हुक शॉट, जिसे देखने के बाद विराट समेत टीम इंडिया ने बनाया यादव का मजाक
करियर का एक मात्र दोहरा शतक –
सौरव गांगुली टेस्ट और वनडे दोनों ही फ़ॉर्मेट के अच्छे खिलाड़ी रहे हैं। उन्होंने कई रिकॉर्ड बनाए हैं, लेकिन दादा ने करियर में एक ही दोहरा शतक लगाया है। गांगुली ने 2007 में बंग्लौर में पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट मैच खेलते हुए यह दोहरा शतक जड़ा था। इस मैच में दादा ने 239 रनों की शानदार पारी खेली थी। उन्होंने 518 गेंदों का सामना करते हुए 30 चौकों और 2 छक्कों की मदद से 239 रन बनाए थे। वहीं इस मैच की दूसरी पारी में 91 रनों के स्कोर पर आउट हो गए। पांचवा वनडे जीतने के लिए जहीर खान ने उमेश यादव को दिया ये मन्त्र, जिसमे फँस सकती है वेस्टइंडीज के कम अनुभवी खिलाड़ी
आखिरी टेस्ट मैच में रहा था इस तरह का प्रदर्शन –
सौरव गांगुली ने अपने क्रिकेट करियर का आखिरी टेस्ट मैच 2008 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला था। यह मैच नागपुर में खेला गया था। दादा ने इस मैच की पहली पारी में 153 गेंदों में 8 चौकों और एक छक्के की मदद से 85 रनों की पारी खेली थी। हालांकि इसी पारी में सचिन तेंदुलकर ने शतकीय पारी खेली थी। वहीं इस मैच की दूसरी पारी में दादा शून्य पर ही आउट हो गए थे।