बंगाल के क्रिकेट संघ (सीएबी) के पूर्व कोषाध्यक्ष बिश्वरूप डे ने सौरव गांगुली के नेतृत्व वाली बंगाल क्रिकेट संघ पर टिकट वितरण में विसंगति का आरोप लगाया हैं. भारत-इंग्लैंड के बीच 22 जनवरी को कोलकता के ईडन गार्डन पर सीरीज का तीसरा और फाइनल एकदिवसीय मैच खेला गया था.
बिश्वरूप डे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में, गांगुली, ट्रस्टी बोर्ड के चेयरमैन और बीसीसीआई के संयुक्त सचिव रहे गौतम दासगुप्ता पर पारदर्शिता नहीं बरतने का आरोप लगाया हैं. अमित मिश्रा जी की फील्डिंग पर चुटकी ले बैठे वीरेंद्र सहवाग, देखे विडियो
बिश्वरूप यह भी कहा कि कॉम्पलिमेंट्री टिकटों का जितना कोटा मिलना था उन्हें मिलना चाहिए था, उतना उन्हें नहीं दिया गया. बिश्वरूप के एसोसिएशन में नौ साल पूरे हो चुके थे, जिसके कारण लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों के आधार पर उन्हें तत्कालीन प्रभाव से बोर्ड के पद से हटना पड़ा था.
बंगाल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष सौरव गांगुली ने बिश्वरूप डे के सभी आरोपों का खंडन किया हैं.
गांगुली ने कहा, “बिश्वरूप हमेशा मुझसे 200-300 टिकट लेते रहे हैं, इसलिए उनके आरोप आधारहीन हैं. इससे आगे मैं कुछ नहीं कहना चाहता हूँ.”
पारदर्शिता के लोढ़ा के फैसले का हवाला देते हुए गांगुली को लिखे एक पत्र में डे ने कहा, “लोढ़ा पैनल ने अपनी सिफारिश में कहा कि अंतर्राष्ट्रीय/आईपीएल मैचों के लिए टिकटों के वितरण में पारदर्शिता होनी चाहिए. मेरे मामले में बंगाल क्रिकेट संघ ने टिकट के वितरण में पारदर्शिता नहीं बरती.” बैंगलोर में भारतीय टीम के जीत के हीरो चहल ने दिया युवराज सिंह को मज़ेदार इंटरव्यू
“मैं आप से अनुरोध करता हूँ कृपया इस मामले में हस्तक्षेप करे और इस मुद्दे को हल करे”.
आगे बिश्वरूप डे ने कहा कि“मैं बहुत हैरान था कि पिछले कई वर्षों से विभिन्न पदों पर सीएबी के लिए सेवाएं प्रदान करने के बाद भी मुझे एक भी टिकट नहीं गया.”
बिश्वरूप डे ने एक सप्ताह के समय सीमा के भीतर वैध कारण के साथ जवाब की मांग की हैं.
बिश्वरूप ने आगे बोर्ड पर हमला करते हुए यह भी सवाल उठाया कि लोढ़ा पैनल की टेन्योर वाली नियम बीसीसीआई के पूर्व संयुक्त सचिव दासगुप्ता पर लागू क्यों नहीं होती? वे बोर्ड ट्रस्टी के चेयरमैन हैं. महेंद्र सिंह धोनी ही नहीं बल्कि इस खिलाड़ी ने भी भारत को दिलाया है दो बार विश्वकप
बिश्वरूप ने कहा, “गौतम दासगुप्ता 70 साल की उम्र पार कर चुके हैं और उनका नौ साल का टेन्योर भी हो चुका है, फिर वे अब तक बोर्ड में क्यों बने हुए हैं”?