कोलकाता से निकल कर भारतीय टीम का कप्तान बनने तक का कुछ ऐसा रहा सौरव गांगुली का सफर 1

भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफल कप्तानों में शुमार प्रिंस ऑफ कोलकाता सौरव गांगुली ने एक खिलाड़ी के तौर पर भारतीय क्रिकेट को नया आयाम दिया है। सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट के सबसे चमकते सितारों में रहे। सौरव गांगुली के भारतीय क्रिकेट में दिए योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। गांगुली क्रिकेट के मैदान में हमेशा अपनी साफ छवि के लिए जाने गए। सौरव गांगुली ने क्रिकेट के संन्यास लेने के बाद उन्होनें प्रशासनिक के तौर पर सेवा देने का फैसला किया और आज बीसीसीआई में सौरव गांगुली की एक खास पहचान है।

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क्रिकेट करियर की शुरूआत के बाद नहीं देखा पीछे मुड़कर

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साल 1996 में जून के महीनें में बंगाल के कोलकाता के बाएं हाथ के बल्लेबाज सौरव गांगुली ने अपने टेस्ट क्रिकेट करियर की शुरूआत की। युवा सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ ने क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले ऐतिहासिक मैदान इंग्लैंड के लॉर्ड्स में अपने टेस्ट करियर का आगाज किया। सौरव गांगुली ने इस मैच के साथ ही अपनी पहचान बनाना शुरू कर दिया, जिसके बाद उन्होनें कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार क्रिकेट के मैदान में अपनी बल्लेबाजी से प्रभावित करते गए।सीएसी के सदस्य सौरव गांगुली ने रवि शास्त्री के आवेदन करने पर दिया बड़ा बयान और कह गये कुछ ऐसा

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साल 2000 में संकट में फंसी भारतीय टीम की संभाली कमान

सौरव गांगुली के इसी दमदार प्रदर्शन के कारण साल 2000 में भारतीय क्रिकेट को फिक्सिंग के भंवर में फंसने के बाद दादा को भारतीय टीम की कमान सौंप दी।  गांगुली भारतीय टीम की कप्तानी मिलने के बाद तो निखर कर सामनें आए। सौरव गांगुली ने 2000 के आईसीसी मिनी विश्वकप में भारतीय टीम को अपनी कप्तानी में फाइनल तक का सफर तय कराया। जिसके बाद 2002 के चैंपियंस ट्रॉफी में भी भारतीय टीम को संयुक्त विजेता बनवाया।

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गांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम ने छुए नए आयाम

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सौरव गांगुली ने भारतीय टीम की कप्तानी की जिम्मेदारी संभाली जिसके बाद भारतीय टीम लगातार कामयाबी की सीढ़ीया चढ़ रही थी। सौरव गांगुली की कप्तानी में साल 2002 में इंग्लैंड में खेली गई नेटवेस्ट ट्रॉफी में मेजबान इंग्लैंड को हराकर भारतीय टीम ने इतिहास रच दिया। भारतीय टीम के इंग्लैंड की ही जमीं पर इंग्लैंड जैसी टीम को फाइनल मैच में बड़े स्कोर को पीछा करते हुए जीत हासिल करने के बाद भारतीय क्रिकेट को नई पहचान मिली।

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भारतीय टीम को विश्वकप के फाइनल में पहुंचाया

गांगुली ने इसी सफलता को जारी रखा। साल 2003 में दक्षिण अफ्रीका में खेले गए क्रिकेट विश्वकप में भारत ने दादा की कप्तानी में एक खास मुकाम हासिल किया। भारत इस टूर्नामेंट में फाइनल तक का सफर करने में कामयाब रही। सोरव गांगुली विश्व क्रिकेट में भारतीय टीम का  लोहा मनवा चुके थे। भारत की टीम ने गांगुली की कप्तानी में साथ ही साथ विदेशी जमीं पर टेस्ट मैचों में भी जीत दर्ज करने दम दिखाया। सौरव गांगुली ने साल 2008 में अपने क्रिकेट करियर को अलविदा कहा लेकिन तब तो वो भारतीय क्रिकेट में अपना बहुमुल्य योगदान दे चुके थे।कुंबले और कोहली विवाद पर पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने साध ली चुप्पी, लेकिन अगले कोच के लिए कह दी बड़ी बात

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दादा का बीसीसीआई में है एक खास कद

सौरव गांगुली ने अपने क्रिकेट करियर पर विराम लगाने के बाद क्रिकेट कोचिंग या किसी और जगह नहीं बल्कि प्रशासनिक क्षेत्र में कदम रखा। सौरव गांगुली की साफ छवि के कारण आज वर्तमान में बीसीसीआई में दादा का एक खास कद है। सौरव गांगुली को बीसीसीआई ने क्रिकेट सलाहकार समिति का सदस्य नियुक्त किया है। सौरव गांगुली को अब भारतीय टीम का नया कोच नियुक्त करना है। इससे पहले भी सौरव गांगुली ने ही अनिल कुंबले को कोच बनाया था।

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