2008 में भारत और श्रीलंका के बीच टेस्ट सीरीज में अजंता मेंडिस के रहस्य स्पिन और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डीआरएस प्रणाली की शुरुआत हुई. भारतीय बल्लेबाजों के पास मेंडिस की रहस्य स्पिन का कोई जवाब नहीं था, जबकि डीआरएस प्रणाली अनिल कुंबले और कंपनी के लिए एक बुरा सपना साबित हुई थी.
वर्ष 2008 में अनिल कुंबले की कप्तानी में भारतीय टीम श्रीलंका 3 टेस्ट मैचो की सीरीज खेलने गई. कठिन टेस्ट सीरीज के लिए भारतीय चयनकर्ताओ ने एक मजबूत टीम का चयन किया था, हालाँकि इसके बावजूद भारत को सीरीज में कुछ ख़ास सफलता नहीं मिली.
वर्ष 2008 में खेली गई 3 टेस्ट मैचो की सीरीज पर एक नज़र:-
पहला टेस्ट: सीरीज में भारत की बेहद ख़राब शुरुआत
सीरीज के पहले मैच में मेजबान श्रीलंका ने शानदार प्रदर्शन करते हुए भारत को एकतरफ़ा मुक़ाबले में हराया. श्रीलंका ने मैच में पहले बल्लेबाज़ी करते हुए अलिंडा वर्णापुरा, महेला जयवर्धने, थिलन समरवीरा और तिलकरत्ने दिलशान के शानदार शतकों की मदद से 600 से अधिक का स्कोर बनाया.
जवाब में, जब भारतीय बल्लेबाज़ मैदान पर बल्लेबाज़ी के लिए उतरे तो पिच का मिज़ाज बदला-बदला दिखाई दिया. बल्लेबाजों की मददगार पिच मानी जाने वाली वाली विकेट पर भारतीय बल्लेबाज़ मेंडिस और मुरलीधरन के सामने नाचते हुए दिखाई दिए.
मुरली और मेंडिस की जोड़ी के सामने भारत की टीम पहली पारी में केवल 223 रन बनाने में कामयाब रही, जिसके बाद श्रीलंका के कप्तान महेला जयवर्धने ने भारत को फॉलोऑन दिया. दूसरी पारी में भारत की टीम में ओर भी ख़राब बल्लेबाज़ी की और पूरी टीम महज 138 रनों पर ढेर हो गई.
भारत को मैच में अपने टेस्ट इतिहास की सबसे बड़ी हार(पारी और 239 रन) झेलनी पड़ी. मैच में मुरलीधरन ने 11 जबकि मेंडिस ने अपने पदार्पण टेस्ट में 8 विकेट लिये.
दूसरा टेस्ट: सहवाग के शानदार दोहरे शतक की मदद से भारत ने की सीरीज में वापसी
पहले टेस्ट में शर्मनाक हार के बाद फैन्स को उम्मीद थी, कि कुंबले की कप्तानी वाली स्टार खिलाड़ियों की सजी भारतीय टीम वापसी करेगी. जिसके बाद वीरेंद्र सहवाग ने टेस्ट क्रिकेट की सबसे बेहतरीन पारी खेली.
दुनिया से सबसे विस्पोटक बल्लेबाज़ माने जाने वाले बल्लेबाज़ सहवाग ने मैच में 231 गेंदों पर नाबाद 201 रनों की पारी खेली. सहवाग के बाद दुसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी गौतम गंभीर(56) रहे. मैच में सहवाग और गंभीर की सलामी जोड़ी के आलावा कोई ओर भी बल्लेबाज़ दहाई का आंकड़ा नहीं छु पाया. सहवाग की नाबाद 201 पारी की मदद से भारत ने पहली पारी में 329 रन बनायें.
सीरीज में पिछड़ने के बाद भारतीय स्पिन जोड़ी कुंबले-हरभजन सिंह ने मोर्चा संभाला, और स्पिन गेंदबाजो की मददगार विकेट पर मेजबान श्रीलंका को 292 रनों पर रोका. इसके बाद दूसरी पारी में सहवाग-गंभीर की जोड़ी ने एक बार फिर अर्धशतक लगाए.
चौथी पारी में श्रीलंका को 307 रनों का लक्ष्य मिला. जिसके जवाब में श्रीलंका की टीम कुंबले और हरभजन के सामने महज 136 रन बनाने में ही कामयाब रही.
मैच में श्रीलंका के स्पिनर अजंता मेंडिस ने 10 विकेट लिये, हालाँकि सहवाग का नाबाद दोहरा शतक इस टेस्ट की हाईलाइट रहा.
तीसरा टेस्ट: मेंडिस और डीआरएस की मदद से श्रीलंका ने जीती सीरीज
3 टेस्ट मैचो की सीरीज के अंतिम और निर्णायक टेस्ट में श्रीलंका ने पहली पारी में कुमार संगकारा के शानदार 144 रनों की मदद से 147 रनों की बड़ी और महत्वपूर्ण बढ़त हासिल की. तीसरे टेस्ट में मेंडिस और मुरली की स्पिन जोड़ी ने एक बार फिर भारतीय बल्लेबाजों को तहस-नहस कर दिया, जिसके बाद मेजबान टीम को चौथी पारी में महज 123 रनों का लक्ष्य मिला, जिसे श्रीलंका ने 2 विकेट खोकर आसानी से हासिल कर लिया.
विश्व से सबसे सफलतम स्पिनर मुरलीधरन ने सीरीज में 21 विकेट हासिल किये, जबकि युवा स्पिनर अजंता मेंडिस ने अपनी पदार्पण सीरीज में 26 विकेट हासिल किये. यह सीरीज मेंडिस के शानदार पदार्पण और गांगुली और कुंबले के संन्यास का कारण बनी. इस सीरीज के बाद ही दोनों दिग्गज खिलाड़ियों ने अपने करियर की आख़िरी टेस्ट सीरीज खेली.
क्रिकेट कौशल के संदर्भ में, मेजबान श्रीलंका ने भारत से बहुत अच्छा प्रदर्शन किया, इसके आलावा डीआरएस के उपयोग में भी वे भारत से अच्छे रहे. टेस्ट क्रिकेट में यह पहला मौका था जब डीआरएस का उपयोग किया गया था. इस सीरीज में भारत ने अपने प्रदर्शन से यह बताया कि वे क्यूँ इस तकनीक के प्रयोग का उपयोग न करने की गुजारिश करते आये हैं.
डीआरएस
पहले टेस्ट में, हरभजन सिंह ने वर्णपुरा के खिलाफ डीआरएस का इस्तेमाल किया लेकिन यह ठुकरा दिया गया. भारत ने इस टेस्ट में 2 ओर रिव्यु इस्तेमाल किया, लेकिन दोनों ही रिव्यु ठुकरा दिए गए. दूसरे टेस्ट में स्तिथि और भी खराब हो गईं क्योंकि भारत द्वारा लिए गए सात डीआरएस फ़ैसले में से केवल एक को बरकरार रखा गया. इस दौरान गांगुली द्वारा लिया गया डीआरएस ही सफ़ल हो पाया. मुरलीधरन की गेंद पर गांगुली एलबीडब्ल्यू आउट हुए, जिसके बाद वह डीआरएस प्रणाली के प्रयोग के कारण आउट-आउट दिए गए.
अंतिम टेस्ट में, भारत द्वारा लिए गए सभी दस डीआरएस रिव्यु को ठुकरा दिया गया. अति उत्साह और स्पष्टता के साथ स्थिति को पढ़ने के लिए असमर्थता, भारत के डीआरएस के दयनीय उपयोग के लिए जिम्मेदार थे.