इंग्लैंड की टीम में पहली बार जुड़वाँ भाईयों की जोड़ी शामिल हो रही है. जो कि न्यूज़ीलैंड के खिलाफ चौथे ओ डी आई में खेलेंगे. “क्रैग ओवरटन और जेमी ओवरटन” ये दोनों जुड़वा भाई इंग्लैंड की टीम के लिए खेलेंगे. ये तो रहा जुड़वाँ भाइयों का मामला लेकिन वैसे क्रिकेट में पहले भी कई भाई खेल में अपना योगदान दे चुके हैं. आइये देखते हैं कुछ जाने-पहचाने भाई बंधू क्रिकेटर्स –

1 .  चैपल ब्रदर्स

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ग्रेग चैपल – ग्रेग उन खिलाडियों में से हैं जिन्होंने अपने अंतिम टेस्ट मैच की दो पारियों में दो शतक लगाये थे. और कुल 24 टेस्ट शतक उनके नाम है. कप्तान के तौर पर उन्होंने 48 में से 21 टेस्ट मैचों में जीत हासिल की. अपनी दुरुस्त बल्लेबाज़ी के अलावा प्रशंसक उन्हें अपने भाई ट्रेवोर चैपल को न्यूज़ीलैंड के खिलाफ गेंदबाज़ी को लेकर विवादस्पद हिदायत देने के लिए भी याद करते हैं. वंही वे भारत के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली से उलझने के मामले में भी चर्चा में रहे थे.

क्रिकेट के खेल में "भाईयों" का योगदान 1

इयान चैपल – इयान चैपल ने 1971 और 1974 के बीच अपने क्रिकेट करियर को खुद एक नई दिशा दी . उनका क्रिकेटर के रूप में असामान्य ज्ञान व् दृढ विश्वास था. उन्हें बिल लॉरी से कप्तानी विरासत में मिली थी. वे कभी टेस्ट सीरीज नहीं हारे. वंही अगस्त 1972 में ओवल में हुए मैच और मार्केटर्स के वेलिंगटन में हुए मैच में उन्होंने ग्रेग के साथ साझेदारी निभाई थी. 

क्रिकेट के खेल में "भाईयों" का योगदान 2

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ट्रेवोर चैपल – ट्रेवोर टेस्ट की बजाये ओ डी आई में ज्यादा सफल रहे. 1983 विश्व कप के दौरान उन्होंने भारत के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया के लिए 110 रन बनाये थे. लेकिन दुर्भाग्य वष वह अपने कुख्यात अंडरआर्म गेंदबाज़ी में भागीदारी के लिए याद किये जाते हैं. 

क्रिकेट के खेल में "भाईयों" का योगदान 3

2 . क्रो भाई

जेफ्फ क्रो – जेफ्फ 1982 -83 में टेस्ट क्रिकेट में शामिल हुए. उन्होंने दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के लिए खेलते हुए अपने करियर की शुरुवात की थी और वह 1977 से लेकर 1982 तक सफलतापूर्वक खेले. ऑस्ट्रेलिया टीम के चयनकर्ता जेफ्फ को चुनने में दिलचस्पी रखते थे लेकिन जेफ्फ ने अपने देश न्यूज़ीलैंड जाने का फैसला किया. और वहां भी वे अपनी बल्लेबाज़ी और विकेट कीपिंग में बेहतरीन प्रदर्शन करने में सफल रहे. कॅरीबीयन में 1984 -85 की श्रृंखला में वेस्ट इंडीज की घातक गेंदबाज़ी के खिलाफ उनका शानदार प्रदर्शन रहा. 

क्रिकेट के खेल में "भाईयों" का योगदान 4

मार्टिन क्रो – अपने दौर में वह एक सर्वश्रेष्ठ युवा प्रतिभाओं में से एक माने जाते थे. मार्टिन ने 19 वर्ष की उम्र में क्रिकेट करियर की शुरुवात की. मार्टिन ने कई चोट लगने के बावजूद कई रिकॉर्ड तोड़े. उन्हें घुटने में घातक चोट लगी, ढोडी टूटी, पीठ पर चोट लगी इन सब के बाद भी वे डट कर खेले . 1992 विश्व कप के दौरान न्यूज़ीलैंड के सेमी फाइनल में पहले मैच में मार्टिन की बढ़िया कप्तानी देखने को मिली. हेडली के सेवानिवृत होने के बाद उन्होंने टीम का नेतृत्व किया. लेकिन अब वे पिछले लेम अरसे से कैंसर से जूझ रहे हैं. 

क्रिकेट के खेल में "भाईयों" का योगदान 5
3 . वॉ ब्रदर्स

स्टीव वॉ – 1985 में भारत के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में स्टीव ने अपना ओ डी आई करियर शुरू किया. 20 वर्ष की उम्र में ही उन्हें वेस्ट इंडीज की खतरनाक गेंदबाज़ी के हमलों का सामना करने के लिए भेज दिया गया. 1993 -94 में वेस्ट इंडीज के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया में सीरीज जितवाने में उनका एहम योगदान रहा. जिसमे उन्होंने 200 रन बनाये थे. वहीँ एशेज श्रृंखला में भी उन्होंने कई शतक जड़े. बाद में उन्होंने कप्तानी की ओर रुख किया. और १९९९ में मार्क टेलर की जगह वे टेस्ट कप्तान बने. और ऑस्ट्रेलिया को 16 टेस्ट जीत का स्वाद चखाया. लेकिन 2001 में इंग्लैंड के खिलाफ एशेज में हरने के बाद उन्हें ओ डी आई टीम से बाहर रखा गया. और अंतिम बार 2003 में भारत के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में वे 80 का स्कोर बनाकर ओ डी आई को अलविदा कह गए. 

क्रिकेट के खेल में "भाईयों" का योगदान 6

मार्क वॉ – मार्क एक बढ़िया स्ट्राइकर थे. इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए मैच से उन्होंने पेशेवर क्रिकेट में कदम रखा. उन्होंने 1990 -91 में पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नई साउथ वेल्स के लिए खेलते हुए स्टीव के साथ 464 ऋणों की विश्व रिकॉर्ड वाली साझेदारी निभाई थी. अपने पहले टेस्ट में मार्क ने 138 रन बनाये वहीँ 1996 विश्व कप टूर्नामेंट में मार्क ने शुरुवाती बल्लेबाज़ के तौर पर 3 शतक लगाये थे. 2002 में वॉ ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से सन्यास लेने की घोषणा कर दी थी.

क्रिकेट के खेल में "भाईयों" का योगदान 7
4 . फ्लावर ब्रदर्स

एंडी फ्लावर – 90 के दशक में एंडी ज़िम्बाब्वे टेस्ट टीम के एक मज़बूत खिलाडी थे. दोनों भाइयों ने भारत दौरे के दौरान हरारे टेस्ट से अपने करियर की शुरुवात की .एंडी जो की एक विकेटकीपर भी थे उन्होंने नंबर 6 पर बल्लेबाज़ी करते हुए 59 रन बनाये थे. वहीँ 2001 में बाए हाथ के इस खिलाडी ने भारत के खिलाफ श्रृंखला में 540 रन बनाये थे. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ एंडी का शानदार प्रदर्शन रहा जिसमे एक टेस्ट में उन्होंने 142 और 199 रन बनाये. 2003 में एंडी ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से विदाई ली. 

क्रिकेट के खेल में "भाईयों" का योगदान 8

ग्रांट फ्लावर – ग्रांट एंडी से तीन साल छोटे हैं. ग्रांट ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 82 रन बनाकर अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरुवात की थी. उनके करियर की शानदार पारी पाकिस्तान के खिलाफ 201 रनों की रही जिसमे ज़िम्बाब्वे ने जीत प्राप्त की थी. अंगूठे पे चोट लगने की वजह से उन्हें 2003 -04 में ऑस्ट्रेलिया में त्रिकोणीय श्रृंखला से बाहर रखा गया.

5 . स्ट्रेंग भाई

पॉल स्ट्रेंग – पॉल में दबाव की स्थिति में भी बेहतर खेलने की क्षमता है जो की उन्होंने 1996 – 97 में शेखपुरा में पाकिस्तान के खिलाफ हुए टेस्ट मैच में शतक लगाकर साबित किया. पॉल में खेल को लेकर उच्च भावना व् दृष्टिकोण उनके महान गुण हैं. पॉल ने अपने भाई के साथ 87 रनों की साझेदारी निभाई है.

क्रिकेट के खेल में "भाईयों" का योगदान 9

ब्रयान स्ट्रेंग – ब्रयान माध्यम गति के खिलाडी रहे. एक बार तो उन्हें विश्व में “सबसे उबाऊ गेंदबाज” तक करार दे दिया गया था.चंचल चरित्र वाले ब्रयान 2002 में ज़िम्बाब्वे क्रिकेट यूनियन को छोड़ दक्षिण अफ्रीका टीम में शामिल हो गए थे. 2003 विश्व कप से पहले उन्होंने कहा था कि ज़िम्बाब्वे से विश्व कप मैचों की मेजबानी का अधिकार छीन लेना चाहिए. 2003 -04 में ब्रयान ने ज़िम्बाब्वे टीम में आने का प्रयास किया लेकिन ज़िम्बाब्वे ने उन्हें बैन कर दिया था. 

क्रिकेट के खेल में "भाईयों" का योगदान 10

6 . व्हिटटल ब्रदर्स

गाए व्हिटटल – ज़िम्बाब्वे टीम का यह एक होनहार खिलाडी था, पाकिस्तान के खिलाफ 1995 में हरारे में हुए टेस्ट मैच में गाए ने अपना पहला टेस्ट शतक लगाया था. और 1998 -99 में टेस्ट में इसी विरोधी के समक्ष अपना दोहरा शतक लगाया. सितम्बर 2000  में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ उन्होंने अपने करियर की बढ़िया 188 * रनों की पारी खेली . 46 टेस्ट और 147 ओ डी आई खेलने के बाद वे सेवानिवृत हो गए. 

क्रिकेट के खेल में "भाईयों" का योगदान 11

एंडी व्हिटटल – घरेलु क्रिकेट में उच्च दर्जे का प्रदर्शन करने से पहले वे राष्ट्रिय स्तर पर कुछ खास नहीं कर पाये थे. एंडी कैंब्रिज यूनिवर्सिटी टीम में शामिल हुए थे. बाद में  वे अपनी बल्लेबाज़ी से कुछ कमाल नहीं कर पाये और जल्द ही 1999 विश्व कप के बाद उन्हें क्रिकेट छोड़ना पड़ा और एंडी ने खेल विपणन में अपना करियर शुरू किया. 

क्रिकेट के खेल में "भाईयों" का योगदान 12
7 . हसी ब्रदर्स

माइक हसी – अपने 166 दिनों के क्रिकेट खेल के दौरान ही वह 86 .18 की औसत से 1000 टेस्ट रन बनाने वाले सबसे तेज़ बल्लेबाज़ बन गए थे. माइक हसी का सुरुचिपूर्ण स्ट्रोक खेलना उनकी खासियत थी. 

क्रिकेट के खेल में "भाईयों" का योगदान 13

डेविड हसी – अपने छोटे भाई की तरह डेविड एक हरफनमौला खिलाडी थे. और अन्तर्राष्टीय स्तर पर खेलने से पहले भी उन्होंने अपनी बेहतरीन बल्लेबाज़ी से कई रन बटोरे थे. 

क्रिकेट के खेल में "भाईयों" का योगदान 14

8 . मैकुलम ब्रदर्स

ब्रेंडन मैकुलम – वह एक बेधड़क बल्लेबाज़ हैं. उनमे घातक व् आक्रामक गेंदबाज़ी को सँभालने और उसपर शॉट दागने की दुर्लभ क्षमता है. आईपीएल टी 20 के उद्घाटन मैच में कोल्कता नाइट राइडर्स के लिए ब्रेंडन ने तूफानी बल्लेबाज़ी करते हुए 158 रन बनाये थे. विकेट कीपर के तौर पर भी वह आदम परोरे के 201 टेस्ट विकेट लेने के बेहद करीब हैं. 

क्रिकेट के खेल में "भाईयों" का योगदान 15

नाथन मैकुलम – नाथन ब्रेंडन के बड़े भाई हैं. नाथन 2007 में दक्षिण अफ्रीका में हुए आई सी सी टी 20 विश्व कप मैच में न्यूज़ीलैंड के लिए एक ऑफ स्पिनर के तौर पर खेले. यहाँ उन्होंने बढ़िया प्रदर्शन किया. व् चयनकर्ताओं का ध्यान अपनी ओर खींचा. 

क्रिकेट के खेल में "भाईयों" का योगदान 16

9 .सूजी ब्रदर्स

मार्टिन सूजी – केन्या के इस गेंदबाज ने तीन विश्व कप ओर तीन आई सी सी ट्रॉफी प्रतियोगिताएं खेली हैं. 2003 के विश्व कप के दौरान वह अपनी टीम का एक मजबूत खिलाडी था. और इस दौरान मार्टिन ने कई विकेट झटके थे जिनमे ज़िम्बाब्वे के खिलाफ 19 पर 3 विकेट लेकर मार्टिन ने मैन ऑफ़ द मैच का अवार्ड हासिल किया था. 

क्रिकेट के खेल में "भाईयों" का योगदान 17

टोनी सूजी – 1999 और 2003 विश्व कप में टोनी ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई लेकिन क्रिकेट करियर कुछ ज्यादा नहीं चल पाया. टोनी की एहम भूमिका 2005 में इंटरकांटिनेंटल टूर्नामेंट में बरमूडा के खिलाफ रही जिसमे टोनी ने शतक जड़ा था. 

क्रिकेट के खेल में "भाईयों" का योगदान 18

10 . मोर्केल ब्रदर्स

एल्बी मोर्केल – अलनिे दाए हाथ के तीव्र -माध्यम गेंदबाज और बाए हाथ के बल्लेबाज़ हैं .मैच जितवाने की अपनी सामान्य प्रतिभा के बावजूद अभी फ़िलहाल उनके करियर ने वोह मुकाम हासिल नहीं किया है. उन्होंने 2003 -04 में वेसर इंडीज के खिलाफ अपने करियर की शुरुवात की थी. 

क्रिकेट के खेल में "भाईयों" का योगदान 19

मोर्न मोर्केल – 2006 में डरबन में भारत के खिलाफ टेस्ट मैच से मोर्न ने टेस्ट करियर  में प्रवेश किया. वे समय की छोटी सी अवधि में ही दकदहिं अफ्रीका के लिए एक सीमावर्ती गेंदबाज के रूप में उभरे.

11 . पठान भाई

इरफ़ान पठान – अपने दौर के अंतर्राष्ट्री क्रिकेट में वह आगामी ‘कपिल देव’ की उपाधि से जाने जाते थे. पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट और ओ दी आई में भारतीय टीम की जीत में पठान ने एहम योगदान दिया. ग्रेग चैपल ने इरफ़ान को नंबर तीन पर बल्लेबाज़ी के लिए रखा . नागपुर में श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट में इरफ़ान ने 83 ऋणों का योगदान दिया था. 2007 में टी 20 विश्व कप के फाइनल में इस खिलाडी ने अपनी जबरदस्त गेंदबाज़ी से मैन ऑफ़ द मैच अवार्ड प्राप्त किया.

क्रिकेट के खेल में "भाईयों" का योगदान 20

युसूफ पठान – युसूफ ने आईपीएल में राजस्थान के लिए खेलते हुए अपनी शानदार बल्लेबाज़ी से टीम को जीतकर सबका ध्यान खींचा. 2011 में विश्व कप से पहले न्यूज़ीलैंड और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ यूसुफ़ के काबिल प्रदर्शन के कारण उन्हें विश्व कप दस्ते में जगह मिली. 

क्रिकेट के खेल में "भाईयों" का योगदान 21

12 . अकमल भाई

कामरान अकमल – यह विकेटकीपर बल्लेबाज़ एडम गिलक्रिस्ट की तरह था. उसकी धमाकेदार बल्लेबाज़ी किसी भी वक़्त मैच का उलटफेर कर सकती थी. कामरान का बढ़िया प्रदर्शन भारत के खिलाफ मैच में रहा जहाँ इस खिलाडी ने शतक लगते हुए पाकिस्तान को बुरे हालात से निकलने में मदद की थी. 

क्रिकेट के खेल में "भाईयों" का योगदान 22

उमर अकमल – कामरान के छोटे भाई उमर ने डुनेडिन में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ अपना पहला टेस्ट खेल तब इस 19 वर्षीय खिलाडी ने एक पारी में 129 रन बनाये थे. जब कि टीम के बाकी खिलाडी 30 का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाये. बाद में इस युवा ने टीम में अपने भाई की जगह लेली क्योंकि वह बल्लेबाज़ी में तकनिकी रूप से कामरान से ज्यादा तेज़ था.

क्रिकेट के खेल में "भाईयों" का योगदान 23
 

Sportzwiki संपादक

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