2.बंद हो राजनितिक दखलंदाज़ी
ओलिम्पिक के सभी इवेंट्स में हमारे देश में राजनितिक दखल अंदाजी रहती है, जिसका खामियाजा देश को और खिलाड़ियों की भुगतना पड़ता है. सभी को पदक तो चाहिए लेकिन कोई भी इस बात को लेकर आवाज़ नहीं उठाना चाहता कि क्या हमारे खिलाड़ी बाकी खिलाड़ियों जितना तैयार होते है ओलिम्पिक जैसे बड़े इवेंट से पहले? बीते कई ओलिम्पिक खेलों में भारत का प्रदर्शन तो यही दर्शाता है की भारत अब भी बाकी देशों से कितना पीछे है और अपने ही खिलाड़ियों की देखरेख करने में हम नाकाम रह जाते है. जैसा कि इस ओलम्पिक में भारतीय महिला धावक ओ पी जैशा के साथ हुआ, जब वो दौड़ रही थी तो किसी भारतीय अधिकारी ने उन्हें वहां एक बोतल पानी तक नहीं दिया, जबकि बाकी देश हर 3km की दुरी पर अपने खिलाड़ियों कों ग्लूकोज और अन्य सुविधाएं नहीं दी गयी, जिसके बाद अंत में वो फिनिशिंग लाइन पर बेहोश हो गयी.
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