5.सरकारे नहीं बदलनी होगी राजनेताओं की सोच
साल दर साल भारत में कई सरकारें भारत में बदलती रहती है, सरकार के साथ साथ अधिकारी भी बदले जाते है, लेकिन हमारे खिलाड़ियों का हाल वही रह जाता है. भारत की ओर से पहली बार कोई एथलीट जिम्नास्टिक्स के आख़िरी दौर में पहुंचा लेकिन उनके साथ भी एक ऐसी घटना घटी जिसे सुनकर आप समझ जायेंगे की भारत में खेलों और खिलाड़ियों की क्या स्थिति है. दीपा करमाकर जिम्नास्टिक्स में भारत को पहली बार पदक दिलाने के बेहद करीब पहुंच गयी थी लेकिन कुछ अंक से वह पदक की दौड़ से बाहर हो गयी.
दीपा ने रियो में जाने से पहले अपने लिए एक फिज़ियो की मांग रखी थी लेकिन स्पोर्ट्स ऑथोरिटी ऑफ इंडिया ने इसे अपव्ययी करार देते हुए उन्हें इसकी इजाज़त नहीं दी. और जैसे ही वह आख़िरी दौर में पहुंची उन्हें जल्द ही एक फिज़ियो प्रदान किया गया, इससे यह साबित होता है की हमारे यहाँ खेलों की देखरेख करने के लिए जिसे नियुक्त किया गया है उनका ही रुख हमारे खिलाड़ियों के प्रति इस तरह का है तो हम कैसे अपने खिलाड़ियों से पदक की आस लगा सकते है.
यह भी पढ़े : रियो ओलिम्पिक क्वार्टर फाइनल में हार के बाद रिपोर्टर पर भड़की दीपिका