बीसीसीआई दुनिया का सबसे अमीर बोर्ड कहा जाता है. आईपीएल ने इसको और अधिक अमीर बना दिया. आईपीएल ने हर वर्ष तरक्की के नये मानदंड स्थापित किये हैं. इस घरेलू लीग ने बीसीसीआई को भरपूर धन दिया है. इसलिए इसे इंडियन पैसा लीग भी कहा जाता है. हालांकि, इस कमाई ने बीसीसीआई के खर्चे में भी वृद्धि कर दी है. हालिया रिपोर्ट में पता चला है कि बीसीसीआई पर 4900 करोड़ रूपए की देनदारी है. जो कि 750 मिलियन यूएस डॉलर से कुछ ज्यादा है.
इनकी देनदारी चुकानी है बीसीसीआई को-
बीसीसीआई को निकट भविष्य में कई बड़े भुगतान करने हैं. 2420 करोड़ रुपये प्रवर्तन निदेशालय से जुड़े सभी केस के लिए (2009 में साउथ अफ्रीका में आयोजित IPL को लेकर), 1250 करोड़ रुपये- कोच्चि टस्कर्स सहित और दूसरे लीगल केस और समझौतों के लिए, 540 करोड़ रुपये इनकम टैक्स, 600 करोड़ रुपये-सर्विस टैक्स, 90 करोड़ रुपये- सेल्स टैक्स, 52.24 करोड़ रुपये- प्रतिस्पर्धा आयोग आयोग द्वारा लगाया गया जुर्माना.
फैसले नहीं होंगे बोर्ड के लिए आसान-
इन खर्चों में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा संभावित जुर्मानों को शामिल नहीं किया गया है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह पूर्व जस्टिस एस.एन. वारियावा को बीसीसीआई और IPL से हटाए गए फ्रैंचाइज़ी सहारा पुणे वॉरियर्स के बीच मध्यस्थ नियुक्त किया है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के जज आर.वी. रवींद्रन मध्यस्थ थे. डेक्कन चार्जर्स के साथ मध्यस्थता में बोर्ड के व्यस्त होने के बावजूद सहारा से जुड़े केस में भी मध्यस्थता शुरू होगी. इन मामलों के जानकारों का कहना है कि ये फैसले बोर्ड से जुड़े लोगों के लिए आसान नहीं.
अगले साल बदला जाएगा रेवेन्यु मॉडेल-
मौजूदा समय में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (COA) बोर्ड को संभाल रही है और इनके दैनिक कामकाज पर नजर रखने वाले कहते हैं, ‘यदि समिति फ्यूटर टूर्स प्रोग्राम (FTP) और खिलाड़ियों के वेतन के मुद्दे देख रही है तो इन मामलों को भी देखना चाहिए.’
इस साल सितंबर में स्टार इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से मीडिया राइट्स के रूप में IPL को 26,347 करोड़ रुपये की बड़ी रकम मिली. अगले साल 2018 से IPL का रेवेन्यू मॉडल बदलना है और सेंट्रल पूल और स्टार से मिलने वाली रकम को बीसीसीआई और फ्रैंचाइजीज में अगले 5 साल तक 50:50 अनुपात में बांटा जाएगा.