24 साल तक भारतीय क्रिकेट की सेवा करने वाले क्रिकेट के भगवान के नाम से मशहूर सचिन तेंदुलकर ने अपने 24 साल के लम्बे करियर के दौरान अपने अच्छे स्वभाव के चलते अनगिनत दोस्त बनाए. जिनका वो आज भी तह दिल से सम्मान करते है और एसे ही उनके दुनिया भर के दोस्त भी उनका तह दिल से सम्मान करते है. सचिन किसी न किसी तरीके से अपने दोस्तों से जुड़े रहते है. मगर सचिन आज भी अपने पांच पुराने दोस्तों को नजरअंदाज करना ही पसंद करते है और उनका फोन तक नहीं उठाते है. क्योंकि वो सभी लोग किसी न किसी तरीके से विवाद में ही रहे.बैंगलोर ने किया कोलकाता के खिलाफ अपनी टीम का ऐलान, जीत की तालाश में कोहली ने जताया अब युवाओं पर भरोसा और किये बड़े बदलाव
ये है वो पांच लोग जिन्हें सचिन करते है नजरअंदाज
विनोद कांबली
कांबली और सचिन तेंदुलकर की दोस्ती कुछ ऐसी थी, कि लोग इसकी तुलना शोले के जय वीरु से करते थे, बचपन से ही दोनों एक साथ गुरु रामाकांत आचरेकर से क्रिकेट के गुण सीखते थे. दोनों ने टीम इंडिया में लगभग एक साथ ही कदम रखा था. लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया कि सचिन का करियर नई ऊंचाइयां छूता गया तो वहीं कांबली का करियर ग्राफ लगातार नीचे जाता रहा सचिन से कांबली की जलन कुछ ऐसी रही कि उन्होंने एक टीवी रियेल्टी शो में यहां तक कबूल किया कि सचिन अगर चाहते तो वो उनका क्रिकेटिंग करियर बच सकता थे कांबली का यह कबूलनामा सचिन के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं था और उसी वक्त सचिन ने कांबली से अपने रिश्ते खत्म कर लिए सचिन से कांबली ने बात करने की कोशिश बहुत की लेकिन सचिन ने कांबली का फोन तक नहीं उठाया.
ग्रेग चैपल
विनोद कांबली की ही तरह सचिन के पूर्व ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज़ ग्रेग चैपल के साथ भी बेहद मधुर संबध थे,चैपल ने साल 1999 में सचिन को बुरी फॉर्म से बाहर निकालने में मदद भी की थी,और सचिन के कहने पर ही चैपल को 2005 में टीम इंडियाा का कोच भी बनाया गया था. लेकिन कोच बनते ही चैपल सचिन समेत टीम इंडिया के कई सीनियर खिलाड़ियों को रिटायरमेंट के लिए मज़बूर करने लगे लेकिन सचिन का कद इतना बढ़ा था, कि चैपल फेल रहे और चैपल को कोच पद से हटने के लिए मजबूर होना पड़ा.
मोहम्मद अजहररुदिन
साल 1989 में सचिन ने जब टीम इंडिया में पहली बार जगह बनाई तो सचिन कई मुद्दों पर अज़हर की राय लिया करते थे. उन्हें अपने बड़े भाई का दर्ज़ा भी दिया करते थे और बाद में अजहर जब कप्तान बने तो सचिन को उन्होंने अपना डिप्टी भी बनवाया लेकिन साल 2000 में जब अजहर पर मैच फिक्सिंग का आरोप लगा तभी से सचिन ने अजहर से अपने सारे रिश्ते खत्म कर लिए.महेंद्र सिंह धोनी नहीं बल्कि इस छोटे बच्चे की बदौलत जयदेव उनादकट ने ली आखिरी ओवर में हैटट्रिक
मनोज प्रभाकर और नैन मोंगिया
कभी ऑलराउंडर मनोज प्रभाकर और विकेटकीपर नैन मोंगिया के साथ भी सचिन के बेहद मधुर संबंध थे लेकिन 1994 में वेस्टइंडीज के खिलाफ वन-डे में प्रभाकर और मोंगिया ने जिस तरह बल्लेबाजी की थी, उससे सचिन काफी आहत हुए थे लेकिन संबधों में गिरावट तब और आई जब इन दोनों पर बुकीज के साथ संबधों का आरोप लगा तभी से सचिन ने मोंगिया और प्रभाकर से दूरिया काफी बढ़ा ली और आज सचिन इन दोनों का भी फोन तक उठाना पसंद नहीं करते.