South Africa Cricket Team: क्रिकेट, जिसे जेंटल मैन गेम का दर्जा दिया गया है। क्रिकेट वो गेम है जिसे हर खेल प्रेमी पसंद करते हैं। क्रिकेट, एक ऐसा खेल जिसे धर्म की तरह पूजा जाता है, खासकर भारत में लेकिन फिर भी क्रिकेट के इतिहास में कई ऐसे खिलाड़ी आए, जिन्होंने इस खेल की गरिमा को गिराने की कोशिश की लेकिन उन्हें इस बात की सजा भी दी गई। फिर चाहे वो आईपीएल का स्पॉट फिक्सिंग मामला हो, बॉल टेंपरिंग का मामला हो या क्रिकेट के मैदान पर खिलाड़ियों का आपस में भिड़ जाना हो।
ऐसे कई विवाद हमें क्रिकेट जगत में देखने को मिले हैं लेकिन जरा ठहरिए आज हम आपको किसी खिलाड़ी के विवाद के बारे में नहीं बताने जा रहे हैं बल्कि आज हम आपको 11 खिलाड़ियों से लैस एक टीम के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे बैन किया गया था। आज हम आपको उस टीम के बारे में बताएंगे, जिसे एक नहीं, दो नहीं, तीन नहीं बल्कि पूरे 21 साल तक के लिए बैन किया गया था। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक ऐसी टीम है जिसे 21 साल का बैन झेलना पड़ा और उस टीम का नाम है दक्षिण अफ्रीका (South Africa Cricket Team)।
साल 1889 ने दक्षिण अफ्रीका (South Africa Cricket Team) को टेस्ट टीम का दर्जा मिल गया था लेकिन 20वीं शताब्दी में इस टीम पर पूरे 21 साल का बैन लग गया। बैन लगने की वजह से दक्षिण अफ्रीका 1975 में अपना पहला विश्व कप तक नहीं खेल पाई थी। अफ्रीकी टीम ने अपना पहला विश्व कप साल 1992 में खेला था। अब यहां सवाल ये है कि आखिर क्यों दक्षिण अफ्रीका को 21 साल का बैन झेलना पड़ा। तो चलिए इस किस्से को विस्तार से समझते हैं।
दक्षिण अफ्रीका टीम ने झेला था 21 का वनवास
कहानी की शुरुआत होती है, साल 1970 से जब दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने एक रंगभेद नीति बनाई थी। अफ्रीकी सरकार के इस रंगभेद नीति ने आईसीसी को दुविधा में डाल दिया। अफ्रीकी सरकार के नियमों के अनुसार उनके देश की टीम (South Africa Cricket Team) सिर्फ श्वेत देशों यानी इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के साथ ही खेल सकती थी। इसके साथ ही शर्त ये भी थी कि विपक्षी टीम में भी सिर्फ श्वेत खिलाड़ी ही खेलेंगे।
दक्षिण अफ्रीकी सरकार की इस नीति की वजह से आईसीसी को दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट टीम को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से निलंबित करने के लिए वोटिंग करवानी पड़ी और इसके बाद दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट टीम को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से बैन कर दिया गया। आईसीसी ने जब दक्षिण अफ्रीकी टीम (South Africa Cricket Team) को बैन किया तो उसके बाद वहां के कई बड़े-बड़े खिलाड़ियों का भविष्य अंधकार में चला गया और कई खिलाड़ियों का करियर इसी इंतजार में खत्म हो गया कि आखिर कब दक्षिण अफ्रीका टीम को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का दर्जा वापस मिलेगा ?
हालांकि, एक बड़ी पुरानी कहावत है, हर अंधकार का अंत होता है, ठीक उसी तरह दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट टीम (South Africa Cricket Team) के वनवास का भी अंत हुआ और वो भी पूरे 21 साल के बाद। पूरे 21 साल के बाद दक्षिण अफ्रीका में बदलाव आया और रंगभेद की नीति को खत्म किया गया। ये बदलाव आखिर आया कैसे ? आइये इसको भी समझते हैं।
नेल्सन मंडेला ने खत्म की रंगभेद नीति
अफ्रीकी सरकार की ये रंगभेद नीति 1980 के दशक तक जारी रही लेकिन 10 साल के बाद इस रंगभेद को समाप्त किया गया। दक्षिण अफ्रीका में नेल्सन मंडेला के नेतृत्व में, Rainbow राष्ट्र के अंतर्गत, 1991 में अंतरराष्ट्रीय खेल की वापसी हुई। इसके साथ ही साल 1991 में आईसीसी ने दक्षिण अफ्रीका (South Africa Cricket Team) को टेस्ट क्रिकेट का दर्जा फिर से वापस कर दिया।
21 सालों के बाद क्रिकेट में वापसी करने के अगले कुछ सालों में ही अश्वेत खिलाड़ियों के लिए आरक्षण लागू किया गया। इस कानून के अनुसार दक्षिण अफ्रीका की टीम में 4 अश्वेत खिलाड़ियों का रहना जरूरी था। हालांकि, इस बैन से कई खिलाड़ियों का करियर भी बर्बाद हुआ था।
पहले वनडे में भारत से मिली थी हार
गौरतलब है कि टेस्ट क्रिकेट का दर्जा वापस मिलने के बाद दक्षिण अफ्रीका (South Africa Cricket Team) ने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैच 1992 में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला। ब्रिजटाउन, बारबाडोस में खेले गए इस मैच में अफ्रीका को 52 रनों करारी हार मिली।
वहीं, दक्षिण अफ्रीका ने अपना पहला वनडे मैच भारत के खिलाफ 10 नवंबर 1991 को कोलकाता में खेला लेकिन इस मैच को भारतीय टीम ने 3 विकेट से जीत लिया। इस मुकाबले में सचिन तेंदुलकर ने शानदार 62 रनों की पारी खेली थी। इसके साथ ही भारत ने अफ्रीका को 2-1 से हराकर सीरीज पर भी कब्जा जमाया था।
दक्षिण अफ्रीका पर लगा हुआ है चोकर्स का दाग
आपको बता दें कि आज दक्षिण अफ्रीका (South Africa Cricket Team) दुनिया की उन चुनिंदा टीमों में से एक है, जिसके माथे पर चोकर्स का दाग अब भी लगा हुआ। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी करने के बाद दक्षिण अफ्रीका ने बेहद ही शानदार क्रिकेट खेला।
क्रिकेट जगत को इस टीम ने एबी डिविलियर्स, फाफ डु प्लेसिस और क्विंटन डि कॉक जैसे धुरंधर खिलाड़ी दिए लेकिन फिर भी इस टीम ने एक अनाचाहा नाम ‘चोकर्स’ अपने नाम कर लिया जो इस टीम को हर वक्त कचोटता रहता है। यहां पर ‘चोकर्स’ का मतलब है, अच्छा प्रदर्शन करने वाली टीम बड़े मुकाबलों में लगातार खराब प्रदर्शन करे। अफ्रीकी टीम सेमीफाइनल और फाइनल जैसे बड़े मुकाबलों में पहुंच कर एक दम से फिसल जाती है। शायद ये इस टीम का दुर्भाग्य है।