दानिश कनेरिया जैसे हिंदू क्रिकेटर जातिवाद की मार झेल रहे हैं। पाकिस्तानी खिलाड़ी होने के बावजूद वहां की आवाम इनको वो प्यार और मोहब्बत नहीं दे रही जो दूसरे मुस्लिम खिलाड़ियों को देती है। ऐसी बाते वहां की जनता ही नहीं बल्कि आला अधिकारियों और संसद में नेताओं द्वारा भी कही जाती है।
खुलेआम पाकिस्तान मुस्लिम लीग के सांसद रमेश कुमार वंकवानी ने नेशनल असेंबली की स्टैंडिग कमेटी की मीटिंग में कहा कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड दानिश प्रभाशंकर कनेरिया को वित्तीय और कानूनी मदद नहीं दे रहा क्योंकी वो हिंदू हैं।
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हिंदूओं के साथ हमेशा से पाकिस्तान में अन्याय हुआ है फिर चाहे किसी भी हिंदू ने उस देश और वहां के लोंगों के लिए कुछ भी किया हो। क्रिकेट जगत के इतिहास में पाकिस्तान हमेशा मुस्लिम खिलाड़ियों के साथ खड़ा रहा।
हिंदूओं को हमेशा अकेला और बेसहारा महसुस करने पर मजबूर किया गया। दानिश कनेरिया के साथ भी ऐसा ही हो रहा है। पाकिस्तान सरकार और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड दोनों ही जातीवाद के आधार पर खिलाड़़ियों का साथ देते हैं।
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वहीं कुछ पाकिस्तानी खिलाड़ियों की जानकारी देकर आपको बताते हैं कि कैसे किसी खिलाड़ी के मुस्लिम होने पर लोगों ने उनका साथ दिया और उनका समर्थन किया। मोहम्मद आमिर, बल्लेबाज सलमान बट्ट, गेंदबाज मोहम्मद आसिफ जैसे कई खिलाड़ी हैं जिनके लिए पाकिस्तान हर हालात में उनका सहारा बना।
मोहम्मद आमिर पर 5 साल का बैन लगा और इंग्लैंड की जेल जाना पड़ा। बैन खत्म होने के बाद पीसीबी ने खुद आईसीसी से गुहार लगाकर आमिर को टीम में शामिल करने की मांग कर टी 20 खेल में जगह दिलाई। आज वो पाकिस्तान क्रिकेट टीम के शानदार खिलाड़ियों में शुमार हैं।
बल्लेबाज सलमान बट्ट जो कि पाकिस्तान क्रिकेट टीम के कप्तान रह चुके है। स्पॉट फिक्सिंग के मामले में जेल जाने और 10 साल के बैन लगने के बाद भी आज वे घरेलू टीम का हिस्सा हैं। मोहम्मद आसिफ पर आईसीसी ने सात साल का बैन लगाया और वो भी पाकिस्तान की घरेलू टीम में खेल रहे हैं और पीसीबी से उन्हें पूरा समर्थन मिल रहा है।