क्रिकेट के दुनिया में कप्तान बनने के लिए आपको अनुभव होना चाहिए और उसके साथ ही खेल की अच्छी समझ होनी चाहिए. जब अपनी टीम के लिए लगभग 10 सालों तक क्रिकेट खेला है तो कभी ना कभी कप्तानी जरुर की होती है. क्योंकि इस बीच या तो आपको कप्तानी सौंप दी जाती है या कार्यवाहक कप्तान बना दिया जाता है.
ऐसे बहुत ही कम खिलाड़ी होते हैं जो लगभग 300 एकदिवसीय मैच अपनी देश के लिए खेले लेकिन उन्हें एक बार भी टीम की कप्तानी नहीं दी गयी है. अन्तराष्ट्रीय स्तर पर ऐसे मात्र दो ही खिलाड़ी मौजूद हैं. जिन्होंने 300 से ज्यादा एकदिवसीय मैच खेले लेकिन 1 भी मैच में कप्तानी नहीं की.
आज हम आपको 2 ऐसे ही खिलाड़ी के बारें में बताने जा रहे हैं. जिनके साथ ऐसा हुआ है. इन दोनों खिलाड़ियों में से एक भारतीय दिग्गज भी हैं. जिनको विश्व की आल टाइम प्लेइंग इलेवन में भी आसानी से जगह दी जाती है.
1.मुथैया मुरलीधरन
श्रीलंका क्रिकेट के सबसे दिग्गज खिलाड़ियों में से एक मुथैया मुरलीधरन ने कभी भी एकदिवसीय में अपने टीम की कप्तानी नहीं की थी. मुरलीधरन का नाम आज क्रिकेट इतिहास के सबसे शानदार स्पिनर में शामिल किया जाता है. उसके बाद भी इस खिलाड़ी को कभी श्रीलंका ने अपनी टीम की कप्तानी नहीं सौंपी.
मुथैया मुरलीधरन ने श्रीलंका की टीम के लिए एकदिवसीय फ़ॉर्मेट में 350 मैच खेले है. जिनमें उन्होंने 23.08 के शानदार औसत के साथ 534 विकेट हासिल किये थे. जबकि उनकी इकॉनमी रेट मात्र 3.93 का ही रहा था. मुरलीधरन ने एक पारी में 5 विकेट लेने का कारनामा 10 बार किया था.
मुरलीधरन ने टेस्ट क्रिकेट में भी कप्तानी नहीं की है. हालाँकि मैदान पर अक्सर उन्हें कप्तानों की मदद करते हुए देखा जाता था. खासकर मुश्किल परिस्थितियों में वो अपने टीम के कप्तान की मदद करते थे.
2.युवराज सिंह
भारतीय क्रिकेट इतिहास के एकदिवसीय फ़ॉर्मेट की टीम का सबसे शानदार हरपनमौला खिलाड़ी युवराज सिंह ने भी 300 से ज्यादा एकदिवसीय मैच खेले लेकिन एक बार भी टीम की कमान इस खिलाड़ी के हाथों में नहीं आ पायी. युवराज सिंह ने हालाँकि भारतीय टीम की उपकप्तानी संभाली थी.
युवराज सिंह ने भारतीय टीम के लिए एकदिवसीय करियर में 304 मैच खेला. जिसमें 36.56 के औसत से 8701 रन बनाये. जिसमें 14 शतक और 52 अर्द्धशतक शामिल थे. जबकि गेंद के साथ उन्होंने 38.68 के औसत से 111 विकेट भी हासिल किये हैं. जो इस खिलाड़ी की आलराउंड क्षमता को बताता है.
युवी ने भारतीय टीम के लिए किसी भी फ़ॉर्मेट में कप्तानी नहीं संभाली. कई बार लगा की इस खिलाड़ी को अब भारतीय टीम की कप्तानी मिल सकती है लेकिन उसके बाद किसी अन्य खिलाड़ी को मौका मिल जाता था.