टी20 विश्वकप-2007 स्पेशल: भारतीय टीम के विजेता कोच ने बताया विश्वकप का सफर आखिर कैसे बदली युवा टीम की सोच और जीत ली दुनिया 1

भारतीय क्रिकेट इतिहास के लिए आज के दिन यानि 24 सितंबर के बहुत मायने हैं। एक भारतीय युवा टीम ने एक नए नवेले कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी की कप्तानी में क्रिकेट का सबसे छोटा फॉर्मेट टी-20 क्रिकेट के पहले विश्वकप के फाइनल मैच में पाकिस्तान को हराकर खिताब पर कब्जा किया था।

भारतीय टीम ने टी-20 विश्वकप जीते आज पूरे 10 साल हो गए हैं। इस युवा विजेता भारतीय टीम के तात्कालिन कोच लालचंद राजपुत ने अपने अनुभव को साझा किया।

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वास्तव में, मैं भारत के अंडर-19 टीम के साथ बहुत अच्छा कर रहा था। वो साल था जब अंडर-19 टीम ने कई देशों का दौरा किया था, हम इंग्लैंड, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड गए। इसलिए मैं अंडर-10 के लड़कों के साथ अच्छा कर रहा था।

मुझे लगता है कि ग्रेग चैपल के असफल होने के बाद मैं आगे बढ़ रहा था। और सौभाग्य से मुझे विश्व टी-20 में टीम का कोच बनने का अवसर मिला।

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ये एक बहुत बड़ी चुनौती थी क्योकिं कोई सीनियर खिलाड़ी नहीं था। ये एक युवा टीम थी, नए खिलाड़ी थे, नए कोच थे, नए कप्तान थे, साथ ही कुछ खिलाड़ी जो वापसी की तलाश में थे। इसी कारण से हमारे लिए तो ये एक बहुत बड़ी चुनौती थी। हम वेस्टइंडीज में 2007 में शुरूआत में ही बाहर हो गए थे। इसी कारण से चुनौती थी। टीम को एक साथ मिलाने एक साथ प्रदर्शन पाने के लिए और कुछ अच्छा करना ताकि लोग हमेशा याद रखे।

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ड्रेसिंग रूम का माहौल अंदर और बाहर बहुत अच्छा था। किसी भी टीम के लिए प्रदर्शन का बेहतर होना वातावरण का अच्छा होना बहुत जरूरी होता है। ये तो साफ सीधी बात है…. मुझे लगता है कि हमारे पास एक शानदार वातावरण था। हम एक साथ बहुत समय से थे, हम मजाक करते थे साथ में हंसते थे, लेकिन मैदान पर कोई खुशी नहीं थी, हमेशा ही 100 प्रतिशन देना था।

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मुझे लगता है कि इंग्लैंड के खिलाफ मैच था जब युवराज ने 6 छक्के लगाए थे, ये तो खेल था लेकिन तब से हमनें ये मानना शुरू कर दिया कि हम जीतने के लिए ही इस टूर्नामेंट में हैं। ये विश्वास वास्तव में आगे बढ़ा और फिर हम ऑस्ट्रेलिया को हराकर आगे चले गए। हमारा एकमात्र खेल न्यूजीलैंड के खिलाफ था। लेकिन इसके बाद इंग्लैंड के खिलाफ मैच से हमें गति मिली। और हम इसे आगे बढ़ा सके।

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इसके बाद कोच के लिए आसान हो जाता है। युवा खिलाड़ी के बूते आप ढांचा कर सकते हैं, वो हमेशा ही कुछ करने को उत्सुक हैं। उनकी भूख सफल होती है। ये हमारे लिए बेहतर भुगतान करती है और उस तरफ बहुत युवा लोग थे जो खुद के लिए एक निशाना बनना चाहते थे, खुद को स्थापित करना चाहते थे।ये तो सब मिश्रण की बात है जब टीम को भूख लगी है तो वो बेहतर करेगी। हम भी खुद को साबित करना चाहते थे। वापसी करना चाहते थे। क्योकिं कोहमें कोई भी कोई मौका नहीं दे पाया था। इससे हमे पता चला कि हम आगे बढ़ेगा और विश्वकप जीतेंगे। हमें टी-20 का कोई अनुभव नहीं था

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