Team India: टी20 विश्व कप 2022 का फ़ाइनल मुकाबला इंग्लैंड और पाकिस्तान (ENG vs PAK) के बीच मेलबर्न में खेला गया जहाँ इंग्लिश टीम ने पाक टीम को 5 विकेट मात देते हुए ट्रॉफी पर कब्जा जमाया। इसी के साथ भारत के 15 साल का इन्तजार और लंबा हो गया है। पिछले काफी समय से यह देखने को मिल रहा है कि टीम इंडिया नॉक आउट मैचों में सरेंडर कर देती है। फिर चाहे वो 2014 हो, 2015 हो, 2016 हो, 2017 हो, 2019 हो, 2021 हो या 2022 हो। हर जगह भारत ने नॉक आउट में आकर आत्म समर्पण ही किया है।
हालांकि, टीम इंडिया (Team India) ऐसा कब तक करते रहेगी ? हर बार ये दलील देना कि हार और जीत तो खेल का भाग है, सुनने में अच्छा है लेकिन लगातार हारने से जीतने की भावना खुद के दिल से भी खत्म होने लगती है। अब अगला आईसीसी ट्रॉफी अगले साल भारत में वनडे विश्व कप के रूप में खेला जाना तो है हीलेकिन इससे पहले भारत को आईसीसी टेस्ट चैम्पियनशिप भी खेलना है और फिर 2024 में टी20 विश्व कप खेला जाना है। मतलब लगातर 3 आईसीसी ट्रॉफी सामने है। ऐसे में भारत को इन्हें जीतना है तो 4 बदलाव मैनेजमेंट को करने ही होंगे।
विदेशी लीग में भेजना होगा भारतीय खिलाड़ियों को
टीम इंडिया (Team India) को अगर आने वाले आईसीसी के 3 ट्रॉफी में से किसी एक को भी जीतना है तो अभी से ही बीसीसीआई को अपनी सोच बदलनी पड़ेगी। भारत के खिलाड़ी सिर्फ आईपीएल लीग में खेलते हैं लेकिन बाद जब विदेशी लीग में खेलने की आती है तो बोर्ड उन्हें बाहर खेलने जाने की अनुमति नहीं देती है।
अगर खिलाड़ी भिन्न-भिन्न लीग्स में जाकर नहीं खेलेंगे तो वो वहां के वातावरण और बाकि के खिलाड़ियों की रणनीति को कैसे समझेंगे ? कई दफा बोर्ड की तरफ से यह तर्क सुनने को मिला है कि अगर भारतीय खिलाड़ी विदेशी लीग में खेलेंगे तो इसका असर इंटरनेशनल क्रिकेट पर पड़ेगा। अगर ऐसा है तो बोर्ड को कम से कम सिर्फ उन खिलाड़ियों को भी भेजना चाहिए जो वर्तमान समय में सक्रिय रूप से इंटरनेशनल क्रिकेट नहीं खेल रहे हैं।
बोर्ड को नामी नहीं बल्कि कामी खिलाड़ियों को मौका देने की जरूरत
इस टी20 विश्व कप में टीम इंडिया (Team India) के स्क्वाड में कई नामचीन खिलाड़ी थे लेकिन बात जब प्रदर्शन की आई तो अपने हाथ खड़े कर दिए। इनमें तीन प्रमुख नाम रोहित शर्मा, केएल राहुल और अश्विन का है। वहीं, युजवेंद्र चहल को तो मैनेजमेंट पानी पिलवाने के लिए लेकर गई थी।
कप्तान और कोच के साथ-साथ चयनकर्ता का ध्यान भी ऐसे खिलाड़ियों पर नहीं जा रहा है जो टैलेंटेड हैं और वो टीम के भविष्य भी साबित हो सकते थे। इन्हीं में से कुछ नाम संजू सैमसन, पृथ्वी शॉ, इशान किशन और उमरान मलिक जो टी20 स्पेशलिस्ट हैं लेकिन मैनेजमेंट ने जैसे अपनी आंखें मूंद रखी हों।
पॉवर प्ले में अग्रेसिव क्रिकेट जरुरी
टी20 विश्व कप में टीम इंडिया (Team India) के सलामी बल्लेबाजों ने अच्छी शुरुआत नहीं दिलाई। पूरे टूर्नामेंट में सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा और केएल राहुल डिफेंसिव होकर बल्लेबाजी करते दिखे। नतीजा यह हुआ कि सारा प्रेशर मिडिल ऑर्डर पर गया। पूरे विश्व कप में इन दोनों ने 100 से भी कम के स्ट्राइक रेट से रन बनाए। रोहित का स्ट्राइक रेट 95 तो राहुल का लगभग 90 स्ट्राइक रेट था।
इसके ठीक उलट थे जोस बटलर और एलेक्स हेल्स जिन्होंने एग्रेसिव करिऐक्ट खेला। भारत के खिलाफ तो यह दोनों आउट ही नहीं हुए थे। दोनों ने पॉवरप्ले में मिलकर 60 से ऊपर रन स्कोर बोर्ड पर लगा दिए थे जबकि भारत का सेमीफाइनल में भी पावप्ले स्कोर 38 रन रहा। मतलब साफ़ है कि ये सलामी जोड़ी अब फ्लॉप हो रही है।
बेहतरीन रणनीति बनाने की जरूरत
इस विश्व कप में और खासकर सेमीफाइनल में टीम इंडिया (Team India) की रणनीति में काफी खामियां दिखी। पूरे टूर्नामेंट में कप्तान रोहित शर्मा प्लेइंग 11 में बदलाव करने से बचते नजर आए और जहाँ बदलाव की जरूरत नहीं थी, वहां एक झटके में ही उलटफेर कर दिया। नतीजा यह हुआ कि पूरी टीम धाराशायी हो गई। युजवेंद्र चहल को एक मौका नहीं मिला।
दीपक हुड्डा को 1 मैच में मौका देकर बाहर कर दिया और यहाँ तक कि उनसे गेंदबाजी भी नहीं कराई। इसके साथ ही लगातार 4 मैचों में दिनेश कार्तिक को मौका दिया और अचानक से जिम्बाव्बे के खिलाफ रिषभ पंत को मौका दे दिया और जब वो फेल हो गए तो इसके बावजूद भी उन्हें सेमीफाइनल खिलाया। शायद अगर कार्तिक को वापस बुला लिया जाता तो सेमीफाइनल से बाहर होने की नौबत तो नहीं ही आती।