सिर्फ विराट कोहली और कुंबले ही नहीं बल्कि इन 5 कोच और कप्तान के बीच भी नहीं रहे है अच्छे सम्बन्ध 1
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क्रिकेट में एक टीम प्रदर्शन टीम के खिलाडियों के साथ-साथ कप्तान-कोच की भूमिका पर बहुत कुछ निर्भर करता हैं. हाल में भारतीय कप्तान विराट कोहली और पूर्व भारतीय कोच अनिल कुंबले के बीच मतभेदों ने खूब सुर्ख़िया बटौरी, जिसके बाद वेस्टइंडीज दौरे से ठीक पहले अनिल कुंबले ने कोच पड़ से इस्तीफ़ा दे दिया.

क्रिकेट के कई जानकार ने अनिल कुंबले के इस्तीफे देने के निर्णय को भारतीय टीम का काफ़ी बड़ा नुकसान बताया, जबकि विराट कोहली को इसके लिए जिम्मेदार भी ठहराया. यह पहला मौका नहीं है, जब कप्तान-कोच के बीच ख़राब रिश्ते जग जाहिर हुए है.

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इस लेख में हम 5 ऐसे कप्तान-कोच की जोडियो के बारे में जानेगे, जो हमेशा अपने ख़राब रिश्तो के कारण सुर्ख़ियो के केंद्र रहे:-

सौरव गांगुली और ग्रेग चैपल

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वर्ष 2005 में जॉन राइट के जाने के बाद ग्रेग चैपल को भारतीय टीम का कोच बनाया गया. इस दौरान सौरव गांगुली भारतीय टीम के कप्तान थे. गांगुली ने डेव व्हॉटमोर और टॉम मूडी की जगह चैपल के नाम का समर्थन किया था, जबकि चैपल को व्हॉटमोर और मूडी से कोचिंग का कम अनुभव था. चैपल के कोच बनते ही उन्होंने गांगुली को कप्तानी छोड़कर अपनी बल्लेबाज़ी पर ध्यान देने की सलाह दी.

जिस दौरान चैपल ने यह बात कह थी, तब गांगुली बेहद ख़राब फॉर्म से जूझ रहे थे और पिछले 24 महीनों से उन्होंने कोई शतक तक नहीं लगाया था, इसके बावजूद गांगुली को चैपल की यह सलाह पसंद नहीं आई, और उन्होंने गुस्से में जिम्बाब्वे दौरे को बीच में छोड़ने तक की धमकी दे दी. इस घटना के बाद कोच चैपल ने बीसीसीआई को ईमेल के जरिये कहा कि गांगुली अपनी कप्तानी के लिए यह सब नाटक कर रहे हैं.

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इस कहानी में ट्विस्ट तब आया जब चैपल द्वारा  बीसीसीआई को भेजी गई ईमेल लीक हो गई. मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया कि टीम के अन्य खिलाड़ी भी असुरक्षा के भाव के कारण परेशान थे. विश्वकप 2007 में भारत के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद ग्रेग चैपल को कोच पड़ से हटा दिया गया.

केविन पीटरसन-पीटर मूर्स
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ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध एशेज सीरीज में 5-0 की हार और  विश्वकप 2007 में सुपर 8 से बाहर हो जाने के बाद  इंग्लैंड ने पीटर मूर्स को टीम का कोच नियुक्त किया. मूर्स से पहले डंकन फ्लेचर इंग्लैंड टीम के कोच थे. वर्ष 2008 में माइकल वॉन के कप्तानी छोड़ने के बाद केविन पीटरसन को इंग्लैंड का कप्तान बनाया. कोच मूर्स और कप्तान पीटरसन की जोड़ी ने वर्ष 2008 में भारत का दौरा किया. इस दौरे पर इंग्लैंड की टीम 7 मैचों की एकदिवसीय सीरीज 5-0 और टेस्ट सीरीज 1-0 की हारी झेलनी पड़ी. भारत के विरुद्ध शर्मनाक हार के बाद कप्तान पीटरसन ने साथ-साथ शब्दों में कहा कि वह मूर्स के साथ काम नहीं करना चाहते हैं, और शेन वार्न को टीम के कोच बनाये जाने की मांग कर दी. इस घटना के बाद ईसीबी में कई आपातकालीन बैठक की, जिसके बाद कप्तान पीटरसन और कोच मूर्स को अपने-अपने पद गँवाने पड़े.

गौतम गंभीर और केपी भास्कर

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अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के आलावा भारत के घरेलू क्रिकेट में भी कोच और कप्तान के ख़राब संबंध सुर्ख़ियो में रहे हैं. दिल्ली रणजी टीम के कप्तान गौतम गंभीर और कोच केपी भास्कर के बीच मतभेदों ने इस समय खूब सुर्खिया बटौरी थी. मीडिया में ख़बरो के आने के बाद गंभीर ने मतभेदों को स्वीकार किया और कहा कि टीम में युवा खिलाड़ियों के लिए सुरक्षित वातावरण बनाने के लिए उन्होंने कोच से सवाल किए थे.

वर्ष 2016-17 में दिल्ली रणजी टीम ने बेहद शर्मनाक प्रदर्शन किया था, इस दौरान भास्कर टीम के कोच थे, और प्रथम-श्रेणी क्रिकेट के आलावा सभी फॉर्मेट में दिल्ली बे बेहद निराश किया. इस घटना के बाद डीडीसीए ने इस मामले की जांच की और गंभीर पर 4 मैचों का बैन लगाते हुए उन्हें 2019 तक के लिए बर्ख़ास्त कर दिया.


शाहिद आफरीदी और वकार यूनुस

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पाकिस्तान क्रिकेट टीम भी कोच और कप्तान के ख़राब संबंध से नहीं बच पाई हैं. वर्ष 2011 में पाकिस्तान के उस समय के कप्तान शहीद अफरीदी और कोच वक़ार के बीच टकरार किसी से अछूती नहीं रही हैं. यह मामला वर्ष 2011 में वेस्टइंडीज दौरे का हैं. इस घटना के बाद अफरीदी को अपनी कप्तानी गवानी पड़ी थी, और इसके बाद उन्होंने संन्यास का ऐलान कर दिया था.

अफरीदी के संन्यास लेने के बाद और वकार के दुसरे कार्यकाल के दौरान यह मामला दोबारा उठा, इस दौरान अफरीदी दोबारा अन्तराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने को तैयार हो गए थे, लेकिन वकार ने एशिया कप और वर्ल्ड टी20 में अफरीदी की प्रतिबद्धता को लेकर प्रशन किये थे, वकार ने आरोप लगायें थे कि अफरीदी न ही नेट अभ्यास के लिए आते हैं और न ही टीम की बैठक में हिस्सा लेते. वकार ने इस दौरान मैदान पर अफरीदी के प्रदर्शन पर भी सवाल उठाये थे. इस टूर्नामेंट के बाद वकार और अफरीदी दोनों की पाकिस्तान टीम से छुट्टी कर दी गई थी.

सचिन तेंदुलकर और कपिल देव

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सचिन तेंदुलकर और कपिल देव भारतीय क्रिकेट के दो सबसे बड़े नामो में से एक हैं, लेकिन दोनों की कोच-कप्तान के रूप में साझेदारी उतनी सफल नहीं रही. वर्ष 1999 में कपिल देव को भारतीय टीम का कोच नियुक्त किया गया, जबकि सचिन तेंदुलकर को इस दौरान दूसरी बार कप्तान बनाया गया. बतौर कप्तान और खिलाड़ी भारत को पहला विश्वकप जीताने वाले कपिल का कोचिंग करियर आगाज अच्छा नहीं रहा. कपिल को कोच बनाये जाने के बाद भारत को ऑस्ट्रेलिया दौरे पर 3-0 की हार झेलनी पड़ी. वर्ष 2000 की शुरुआत में भारतीय क्रिकेट पर मैच फिक्सिंग का साया मंडराया. अपनी ऑटोबायोग्राफी प्लेइंग इट माई वे में सचिन ने कपिल के कोचिंग स्टाइल पर नाखुशी जताई और कपिल पर आरोप लगाते हुए कहा, कि “पूर्व कप्तान कपिल देव कभी टीम की बैठकों में शामिल नहीं होते थे. दूसरी ओर कपिल ने इस बारे में कहा, कि यह सचिन का मत है, मैं इस बारे में कुछ नहीं कहना चाहता हूँ.”

Gautam

I am Gautam Kumar a Cricket Adict, Always Willing to Write Cricket Article. Virat and Rohit are My Favourite Indian Player.