2014 की शुरुआत में न्यूज़ीलैंड में हुए मुकाबले में न्यूज़ीलैंड ने भारत को 0-4 से धो डाला था .टीम तो पूरी तरह थकान महसूस कर रही थी लेकिन क्या ये कहना सही होगा कि 2013/14 में न्यूजीलैंड का विनाशकारी दौरा भारतीय टीम के लिए एक अप्रत्यक्ष वरदान था?..सही है, क्यों !जानिए 5 कारण-

1. विराट कोहली – महेंद्र सिंह धोनी पर अधिक निर्भरता-
2013/14 श्रृंखला के दौरान भारतीय बल्लेबाजी लाइनअप दो नामों में ही समाई थी विराट कोहली और महेंद्र सिंह धोनी .इन दोनो को छोड़ दें तो भारतीय बल्लेबाज ताश के पत्तों की तरह ढह गए. कोहली और धोनी ही बल्लेबाजी की रीढ़ थे. सिर्फ दो बल्लेबाज़ों ने ही जब एक टीम का कुल 42 % स्कोर किया तो यह वास्तव में चिंता का विषय था .यही कारण है कि वह श्रृंखला भारतीय दस्ते के लिए एक खतरनाक वेक अप कॉल थी कि बाकि बल्लेबाज़ों को अपनी ज़िम्मेदारी जल्द ही उठा लेनी चाहिए. यही चेतावनी टीम के लिए काम आई . विश्व कप में छह मैचों के बाद शायद हर भारतीय बल्लेबाज अच्छी लय में था.

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2. स्पिन का महत्व –
न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे सीरीज में भारतीय स्पिनरों का प्रदर्शन काफी दुखद था .पूरे पांच मैचों की श्रृंखला में आश्विन सिर्फ एक विकेट लेने में कामयाब रहे.वहीँ सिर्फ 4 विकेट के साथ रविंद्र जडेजा का प्रदर्शन भी निराशाजनक रहा .स्पिनरों की नाकामयाबी के कारण विरोधी बल्लेबाज़ों ने इसका फायदा उठाया . लेकिन फिर इस विश्व कप में दोनों स्पिनरों ने कमाल कर दिया .अश्विन ने 6 मैचों से 12 विकेट लिए .

3. तेज गेंदबाजों का महत्व –
2013/14 श्रृंखला के दौरान भारत के सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी थे ,शमी ने 11 विकेट लिए थे लेकिन 7.18 के इकोनोमी रेट पर.हालांकि, न्यूजीलैंड में उन पांच मैचों में नियंत्रण और अनुशासन के बारे में भारतीय तेज गेंदबाजों को सबक मिला जिनकी उन्हें जरुरत थी. और इसका परिणाम विश्व कप में देखने को मिला .विश्व कप में भारतीय पक्ष सिर्फ 6 मैचों में 60 विकेट लेने में कामयाब रहा.

4. एक कड़े प्रतिद्वंदी के साथ प्रतिस्पर्धा –
पिछले डेढ़ साल के बाद से न्यूजीलैंड सबसे घातक वनडे टीम में से एक माना जाता है उनके मजबूत गेंदबाज़ज़ व् बल्लेबाज़ी लाइन आप के साथ मुकाबले के बाद भारतीय टीम को कुछ सीखने को ही मिला जिससे कि वह कड़े प्रतिद्वंदी के साथ मुकाबला कर खुद को और बेहतर बना आगे के लिए तैयार हो सके .जिस तरह से भारत ने हाल ही में पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका को पछाड़ा वह इसी का परिणाम था.

5. विदेशी स्थिति में एडजस्ट करना –
हालात व् स्थिति का एक व्यक्ति के प्रदर्शन पर भारी प्रभाव पड़ता है ,भारतीय पक्ष के कई खिलाडी पिछले साल दौरे से पहले न्यूजीलैंड में नहीं खेले थे. नतीजतन, वे परिस्थितियों के अनुकूल प्रदर्शन करने में विफल रहे. इस तरह विदेशी धरती पर खेल का अनुभव कर वह मानसिक रूप से एडजस्ट करने और दुनिया के किसी भी हिस्से में अच्छी तरह से खेलने के लिए तैयार हुए.

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देखा जाये तो 2013/14 में न्यूजीलैंड का दौरा भारतीयों के लिए सीखने की एक जबरदस्त अवस्था थी.भारतीय टीम में तब से बहुत कुछ सुधार हुआ है.

Sportzwiki संपादक

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