सचिन तेंदुलकर

सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद से बॉलीवुड जगत में ‘नेपोटिज्म’ का पर्दाफाश हो रहा है। हालांकि ‘नेपोटिज्म’ मामला नया नहीं है, लेकिन सुशांत की मौत के बाद इस मामल ने काफी तूल पकड़ लिया है। अब बॉलीवुड के बाद क्रिकेट जगत पर भी ‘नेपोटिज्म’ का आरोप लगाया जा रहा है। सोशल मीडिया पर अर्जुन तेंदुलकर के पास सचिन तेंदुलकर के चलते मिले ‘नेपोटिज्म’ के चर्चे हो रहे हैं।

अर्जुल तेंदुलकर को मिला ‘नेपोटिज्म’ का फायदा ?

बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद से हर जगह या तो सुशांत की मौत पर चर्चा हो रही है या फिर ‘नेपोटिज्म’ को लेकर बहस चल रही है। मगर अब इस कड़ी में सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर को भी नहीं बख्शा गया है।

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असल में सोशल मीडिया पर एक ट्वीट तेजी से वायरल हो रहा है, जिसको देखकर समझ आ रहा है कि अंडर-16 टीम में अर्जुन के सिलेक्शन के पीछे ‘नेपोटिज्म’ का हाथ है। क्योंकि प्रणव धनावडे के नाम के आगे रिकॉर्ड दिख रहा है, मगर उसे रिजेक्ट कर दिया गया है। मगर वहीं अर्जुन के नाम के सामने कोई रिकॉर्ड नहीं है, मगर वह सिलेक्ट हो गए।

खिलाड़ी अपनी प्रतिभा से खेलता है अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट

सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद से चारों तरफ ‘नेपोटिज्म’ ‘नेपोटिज्म’ सुनाई दे रहा है। मगर अब जब सोशल मीडिया पर लोग क्रिकेट पर भी ‘नेपोटिज्म’ के आरोप लगा रहे हैं। तो अब भारत के मशहूर कमेंटेटर आकाश चोपड़ा ने सामने आकर जवाब दिया है। चोपड़ा ने अपने यूट्यूब चैनल के जरिए कहा,

“अगर किसी दिग्गज खिलाड़ी से रिश्ता भर होने से ही इंटरनेशनल लेवल पर खेलने का मौका मिल जाता, तो सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर के बेटे टीम इंडिया का हिस्सा होते। हर खिलाड़ी प्रदर्शन के आधार पर ही इंटरनेशनल लेवल पर खेलता है। अगर क्रिकेट में नेपोटिज्म होता तो रोहन गावस्कर का क्रिकेट करियर बहुत लंबा होता, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। उन्हें टीम इंडिया में खेलना का मौका तब मिला, जब उन्होंने घरेलू क्रिकेट में बंगाल की तरफ से अच्छा प्रदर्शन किया।”

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नहीं होता समझौता

अर्जुन तेंदुलकर

अर्जुन तेंदुलकर के पिता सचिन तेंदुलकर हैं, मगर अब तक भारतीय क्रिकेट टीम में एंट्री नहीं कर सके हैं। चोपड़ा ने अर्जुन का उदाहरण भी पेश किया। उन्होंने कहा,

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“सुनील गावस्कर ने अपने बेटे को मुंबई से खेलने में किसी तरह की मदद नहीं की। यही बात, सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन के मामले में भी लागू होती है। उन्हें भी आसानी से कुछ नहीं मिला। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी तरह का समझौता नहीं होता है।”