इस भारतीय खिलाड़ी ने कहा कमेंट्री न करता तो कभी नहीं हो पाता मेरे दादा जी का इलाज 1

पूरी दुनिया इस समय कोरोना की महामारी से परेशानी का सामना कर रही है। कोरोना के प्रकोप के बीच लोगों का जीवन भी काफी प्रभावित हुआ है। इस कोरोना काल में ना केवल आम लोग बल्कि साथ ही क्रिकेटर्स के जीवन पर भी इसने काफी बुरा प्रभाव डाला है। जिससे कई खिलाड़ियों को खूब मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।

कोरोना काल में अभिनव मुकुंद को भी हुई परेशानी

भारतीय क्रिकेटर्स भी इससे अछूते नहीं रहे हैं। जिसमें भारत के कई खिलाड़ियों की आजीविका पर कोरोना काल ने काफी बड़ा असर डाला है। इसकी एक बानगी भारतीय क्रिकेट टीम के लिए खेल चुके अभिनव मुकुंद के बारे में भी देखने को मिली।

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इस भारतीय खिलाड़ी ने कहा कमेंट्री न करता तो कभी नहीं हो पाता मेरे दादा जी का इलाज 2

भारतीय क्रिकेट टीम के लिए 7 टेस्ट खेल चुके अभिनव मुकुंद को इस कोरोना काल में काफी परेशानी हुई है। तमिलनाडू के एक बेहतरीन बल्लेबाज मुकुंद ने खुद बताया कि कैसे उन्हें अपने दादा का इलाज कराने में मुश्किल हुई है। लेकिन कमेन्ट्री करने से उन्हें सहायता मिली।

कमेन्ट्री करने के कारण दादाजी के इलाज में मिली मदद

एक वेबसाइट को अभिनव मुकुंद ने इंटरव्यू दिया जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे कोरोना के कारण उन्होंने अपने दादाजी को काफी इलाज कराने के बाद भी खोया। मुकुंद ने कहा कि 

“मेरे दादा हाल ही में कोरोना के चलते गुजर गए। वे 95 साल के थे। उन्होंने 75 साल तक रोजाना मॉर्निंग वॉक और प्राणायाम किया। उन्हें कोई बीमारी नहीं थी। फिर भी 15 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहने के बाद वे कोरोना से हार गए। उनका अस्पताल में रहने का खर्चा 12 लाख रुपये आया। ये पैसा मैंने और मेरे चचेरे भाइयों ने मिलकर चुकाया। इससे मुझे पता चला कि अगर मैं ब्रॉडकास्टिंग में नहीं होता तो मेरे दादा को परेशानी उठानी पड़ती।”

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घरेलू क्रिकेटर्स की परेशानी को लेकर कही मुकुंद ने ये बात

अभिनव मुकुंद ने घरेलू क्रिकेटर्स को पैसों के लिए हो रही दिक्कतों पर कहा कि

“पिछले 10 दिनों में भारत के सैकड़ों घरेलू क्रिकेटर्स की खराब दशा उजागर हुई है। महामारी के चलते उनकी तनख्वाह पर असर पड़ा है और वे बड़ी मुश्किल से अपना जीवन चला रहे हैं। मैंने साल 2007 में मेरा फर्स्ट क्लास डेब्यू किया था। तब से मैंने तमिलनाडु टीम के 106 मैचों में से केवल चार ही नहीं खेले हैं। मेरी किशोरावस्था से इसी के जरिए मेरे पास पैसे आते थे। लेकिन अब इसने मुझे कहां छोड़ दिया है?”

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घरेलू क्रिकेट में मिलने वाले पैसों का दिया ब्यौरा

उन्होंने घरेलू क्रिकेट से मिलने वाले पैसों को लेकर कहा कि

“2017 तक खिलाड़ियों को 4 दिन का रणजी मैच खेलने पर एक दिन के 10 हजार रुपये के हिसाब से 40 हजार रुपये मिलते थे। इसके अलावा बीसीसीआई की कमाई से भी हिस्सा मिलता था, लेकिन ये साल दर साल बदलता रहता था। ये रकम मैचों की संख्या और बीसीसीआई के फायदे के अनुसार एक सीजन में पांच लाख रुपये से 13 लाख रुपये तक होती थी। हर मैच में जो 40 हजार रुपये मिलते थे, उनमें से आधे कट जाते थे अगर प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं मिलती थी। 2016-17 और 2017-18 के सीजन का पैसा उन्हें जुलाई 2020 में मिला था।”

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” 2018 की सीजन से सैलरी बढ़ गई। इसके तहत एक दिन के 35 हजार रुपये के हिसाब से एक रणजी ट्रॉफी मैच की सैलरी 1.40 लाख रुपये हो गई। लेकिन अब समस्या ये है कि बीसीसीआई के फायदे की रकम से पैसा मिलेगा या नहीं ये अभी तक पता नहीं है। आईपीएल में एक खिलाड़ी एक सीजन में कम से कम 20 लाख रुपये कमाता है लेकिन एक पूरे रणजी सीजन से अधिकतम 10-12 लाख रुपये की कमाई ही होती है।”