क्रिकेट डेस्क। आशीष नेहरा को पांच साल के बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टी-20 सीरीज के लिए राष्ट्रीय टीम में बुलाया गया और एशिया कप व 2016 वर्ल्ड टी-20 टीम के वह भारत के प्रमुख गेंदबाज होंगे। उन्होंने कहा कि उनमा एक मंत्र पर विश्वास है- कभी हिम्मत मत हारना। इससे उन्हें कड़ी मेहनत और लक्ष्य पर ध्यान देने में मदद मिलती है।
बाएं हाथ के तेज गेंदबाज ने पांच साल के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी वापसी की, लेकिन इसे सपने के साकार होने जैसा नहीं मानते।
उन्होंने कहा- मैं इसे सपने के साकार होने जैसा नहीं मानता। मैंने पिछले तीन-चार सालों में कडी़ मेहनत की, और चैंपियंस लीग व आईपीएल में जिस तरह के प्रदर्शन किए, उससे मुझे टीम में वापसी की उम्मीद थी। अब वर्ल्ड टी-20 आने में है। लोगों का कहना है कि यह बिलकुल सपने के साकार होने जैसा है क्योंकि मैंने तीन-चार साल तक नहीं खेला।
नेहरा ने कहा कि सबसे उम्रदराज खिलाड़ी होने के नाते वह हमेशा जसप्रीत बुमराह जैसे युवा गेंदबाजों का समर्थन व अपने अनुभव साझा करते हैं। उन्होंने कहा- यह बहुत अच्छा लगता है कि 14-15 वर्ष छोटा गेंदबाज टीम का हिस्सा है। मेरा जो भी अनुभव है वो मैंने उनसे बांटने का प्रयास करता हूं, साथ ही उनसे कुछ चीजें सीखने को मिलती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 22-23 वर्ष के खिलाड़ी के साथ खेलने से आपको नया अध्याय सीखने को मिलता है।
उन्होंने आगे कहा कि घरेलू क्रिकेट में उनके जैसे गेंदबाजों को वह प्रेरित करने में कामयाब हुए तो काफी खुश होंगे। हाल ही में इरफान पठान ने कहा था कि अगर नेहरा को चयनकर्ता बुला सकते है तो वह भी भारतीय टीम में वापसी करने के लायक है। नेहरा ने कहा- अगर मैं युवा गेंदबाजों और अन्य तेज गेंदबाजों को प्रेरित करने में कामयाब हुआ तो काफी खुश होंगा। आईपीएल और सभी टी-20 टूर्नामेंट में मैंने जिस तरह का प्रदर्शन किया है और वर्ल्ड टी-20 को ध्यान में रखते हुए चयनकर्ताओं ने मेरा चयन ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए किया और उस प्रदर्शन के लिहाज से वर्ल्ड टी-20 टीम में मेरे चयन को ध्यान रखा गया।
उम्र के बारे में बात करते हुए नेहरा ने कहा- मेरे लिए उम्र सिर्फ एक अंक के समान है। मगर यह पूछने पर कि क्या वाकई उम्र सिर्फ अंक के समान है तो उन्होंने कहा- कई लोग कहते हैं कि टी-20 प्रारूप युवा खिलाडि़यों का खेल है। मेरा ऐसा मानना नहीं है। टेस्ट क्रिकेट में जबकि 36-37 वर्ष के गेंदबाज का लगातार गेंदबाजी करना मुश्किल है। मगर आप स्पिनर, या बल्लेबाज को देखे तो उनके लिए टेस्ट क्रिकेट के साथ ही टी-20 और वन-डे खेलना आसान है। मगर तेज गेंदबाजी जैसा मैंने कहा, यह काफी शारीरीक क्षमता पर आधारित है। इसलिए यहां उम्र की कुछ सीमा लागू होती है। इसमें मानसिकता का असर भी पड़ता है। मगर यह मायने नहीं रखता कि मानसिक तौर पर कितने मजबूत हो, आपका शरीर एक सीमा तक साथ देता है।
आईपीएल में निलंबित चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) के अपने प्रदर्शन पर बात करते हुए नेहरा ने कहा- कप्तान का भरोसा और गेंदबाज हमेशा एक गेंदबाज को मुश्किल परिस्थितियों में गेंद फेंकने के लिए प्रेरणा देते हैं।
उन्होंने कहा- जब कप्तान आप पर भरोसा करे तो बहुत अच्छा है। इसका मतलब वह हमेशा मुश्किल परिस्थितियों में आपको गेंद सौंपेगा। जैसे कि टी-20 में पहले के छह ओवर तथा आखिरी ओवरों में। इसलिए मैं बहुत खुश हूं। इससे मुझे काफी विश्वास मिला कि कप्तान मुझमें भरोसा जता रहा है।
नेहरा ने टी-20 और वन-डे के बीच फर्क का सवाल पूछा गया। दिल्ली के गेंदबाज ने जवाब दिया- इसमें बड़ा फर्क है। टी-20 बहुत तेज खेल है। पहली गेंद से आपको लक्ष्य पर केंद्रित होना होता है। भले ही आप अच्छी गेंद फेंक रहे हो, लेकिन अच्छी गेंदें भी चौकें और छक्के के लिए चली जाती हैं। इसलिए आपको पहली गेंद से अपने खेल के शिखर पर होना होता है।
वन-डे में जिस तरह के विकेट हैं। आजकल ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड तथा समूचे विश्व में 40 ओवर तक चार फील्डर ही सर्कल के बाहर रहते हैं, यह अब बदल गया है। अब आखिरी के दस ओवरों में पुराने नियमों की वापसी हुई है। इससे गेंदबाजों को आराम मिला है। मगर हां, 50 ओवरों में आपके पास वापसी करने का समय होता है। टी-20 में ऐसा नहीं है। आपको पहली गेंद से लक्ष्य पर केंद्रित होना होता है। मुझे कभी लगता है कि मैंने तीन ओवर अच्छी गेंदबाजी की, लेकिन उस दौरान 30 रन खर्च बैठा। ऐसा होता है। टी-20 में पहले छह ओवरों में 7 से 8 रन प्रति ओवर बनना बड़ी बात नहीं है।
एशिया कप और वर्ल्ड टी-20 आने में है, ऐसे में नेहरा पर टीम के सबसे उम्रदराज गेंदबाज होने के नाते बड़ी जिम्मेदारी होगी।