कर्नाटक ने विजय हजारे ट्रॉफी को अपने नाम कर लिया है। बारिश से प्रभावित रहे इस मैच को उन्होंने वीजेडी नियम से 60 रनों से जीत लिया। कर्नाटक ने चौथी बार इस टूर्नामेंट को अपने नाम किया है। उन्होंने फाइनल में तमिलनाडु को हराया और दोनों टीमें इससे पहले कभी भी विजय हजारे ट्रॉफी के फाइनल मुकाबले में नहीं हारी थी।
सभी विभागों में कर्नाटक आगे
कर्नाटक ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया था। उनके गेंदबाजों ने तमिलनाडु को बड़ा स्कोर बनाने ही नही दिया। बर्थडे बॉय अभिमन्यु मिथुन ने हैट्रिक समेत 5 विकेट लिए और तमिलनाडु को 252 रनों पर रोक दिया।
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में दोहरा शतक और शतक लगाने वाले मयंक अग्रवाल ने बेहतरीन बल्लेबाजी की और केएल राहुल ने उनका अच्छा साथ निभाया। बारिश आने के समय कर्नाटक ने 23 ओवर में एक विकेट पर 146 रन बना लिए थे।
86 रन ही बनाने थे
भारतीय घरेलू क्रिकेट में डकवर्थ लुईस सिस्टम की जगह वीजेडी नियम के तरह मैच का नतीजा निकला जाता है। इस नियम के तहत 23 ओवर में एक विकेट के नुकसान पर 86 रन बनाने की आवश्यकता थी।
उनके बल्लेबाजों ने 146 रन बना दिए थे और इसी वजह से टीम ने मुकाबले को 60 रनों से अपने नाम किया। तमिलनाडु के लिए अभिनव मुकुंद और बाबा अपराजित ने अर्धशतक बनाया लेकिन कोई अन्य बल्लेबाज नहीं चला और टीम को हार मिली।
क्या है वीजेडी नियम?
केरल के सिविल इंजीनियर वी जयदेवन ने इस नियम को बनाया है। भारत के घरेलू मैचों में डीआरएस की जगह इसी नियम के इस्तेमाल किया जाता है। वीजेडी प्रणाली पिछले खेलों के आंकड़े लेती है और टीम हालिया फॉर्म को ध्यान में नहीं रखती है।
वीजेडी प्रणाली डीएलएस का विकल्प मानी जाती है। यह पारी को चरणों में विभाजित करती है। पहले कुछ ओवर – जिसमें खेलने में क्षेत्ररक्षण प्रतिबंध के साथ तेजी से रन बनते हैं। बीच के ओवरों में रनरेट धीमा होता है और अंतिम ओवरों में फिर बढ़ जाता है।