भारतीय क्रिकेट बोर्ड(बीसीसीआई) के सचिव अनुराग ठाकुर ने बुधवार को स्पॉट फिक्सिंग में फसें खिलाडियों एस श्रीसंथ, अंकीत चौहान और अजित चंदीला पर लगे बैन को बरक़रार रखते हुए, कहा कि इन खिलाडियों पर से बैन नहीं हटाया जायेगा.जबकि दिल्ली कोर्ट ने इन खिलाडियों को इनके आरोपो से मुक्त कर दिया है.

एक तरफ जहाँ बीसीसीआई को अपना फैसला लेने का खुद का अधिकार है जब तक कि वे कानून के नियमो का उल्लंघन न करे. तो वही दूसरी तरफ कानून के नियमो के अनुसार किसी खिलाडी को तब तक अपराधी नहीं माना जायेगा जब तक उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत न मिले. भारतीय कानून के अनुसार स्पोर्टिंग फ्रॉड और फिक्सिंग मैच को कानूनी रूप से गुनाह नहीं माना जाता इसलिए कोर्ट ने सभी खिलाडियों को बरी कर  दिया.

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नियमो के अनुसार, यह मूल रूप से न्यायिक विवादों की बात थी, इससे यह सिद्ध नहीं होता कि श्रीसंथ और उसके साथी खिलाडी स्पॉट फिक्सिंग के दोषी नहीं है. यह केवल MCOCA के अनुसार, पर्याप्त सबूतों के न मिलने से खिलाडियों को छोड़ा गया है. और यह इन मामलो में फैसला लेने का अच्छा उदाहारण है. जो कि आगे ऐसे मामलो में निर्णय लेने में कारगर होगा.

इसलिए श्रीसंथ और उसके साथी खिलाडियों को कानूनी रूप से मुक्त कर दिया लेकिन बीसीसीआई ने अपने जाँच को बरक़रार रखा है. और पूर्व दिल्ली पुलिस चीफ नीरज कुमार जो कि बीसीसीआई के एंटी-करप्शन और सिक्यूरिटी विभाग के मुख्य नियुक्त किया गया है, वो इस स्पॉट फिक्सिंग के केश को देख रहे है और इन खिलाडियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत भी  पेश किये हैं.

इसी तरह के आरोप में भारतीय क्रिकेट के पूर्व कप्तान मोहम्मद अहरुद्दीन को सन 1999-2000 में इसी मामले में दोषी पाए जाने पर कोर्ट ने इनको भी आरोप  मुक्त किया था, पर वहा पर भी बीसीसीआई ने इन पर अपना बैन नहीं हटाया था. इसी बात पर तीन पूर्व जजों से पूछने पर उन्होंने भी ये कहा कि मैच फिक्सिंग और स्पोर्ट्स फ्रॉड कानूनी रूप से कोई न्यायिक गुनाह नहीं है.

इसी बात को जोर देते हुए रवि सावनी ,जो कि बीसीसीआई के लिए काम करते थे (इस समय बोर्ड के साथ नहीं है) ने बंगलोर में कहा कि बीसीसीआई के अनुसार मैच फिक्सिंग एक विशिष्ट गुनाह है और भारतीय कानून के अनुसार यह कोई विशिष्ट गुनाह नहीं है. उन्होंने कहा कि बोर्ड के पास पर्याप्त सबूत है जिससे वो कोई निर्णय ले. अनुराग ठाकुर ने कहा कि भले ही श्रीसंथ और उनके बाकी साथी कानूनी रूप से तो छुट गए लेकिन बीसीसीआई के नजर में यह गुनाह है. और उन्हें न खेलने के आरोप से मुक्त नहीं किया जायेगा.

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