पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर का मानना है, कि भारतीय टीम और साथ ही क्रिकेट से प्यार करने वाले लोगों को ऑस्ट्रेलियाई मीडिया की पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग से परेशान नहीं होना चाहिए. उन्होंने इन्हें टीम का सहायक स्टाफ बताया हैं.
गावस्कर ने बुधवार को एनडीटीवी से कहा, “हमें आस्ट्रेलियाई मीडिया को ज्यादा महत्व नहीं देनी चाहिए और वे क्या लिख रहे हैं इस पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए, क्योंकि वे अपनी क्रिकेट टीम के सहायक स्टाफ ही हैं. अब टीम को मैदान से बाहर की घटनाओं से ध्यान हटाकर सारा ध्यान मैदान पर लगाना चाहिए.”
बैंगलोर टेस्ट में डीआरएस विवाद के बाद भारतीय कप्तान विराट कोहली और ऑस्ट्रेलिया के कप्तान स्टीव स्मिथ आपस में भीड़ गए थे, जिसे ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने गलत तरीके से पेश किया था. सचिन नहीं बल्कि इस भारतीय खिलाड़ी के फैन है माइकल क्लार्क, कराया अपनी आत्मकथा का विमोचन
“कोई भी इसके बारे में कुछ नहीं बोल रहा था, लेकिन मीडिया ने लगातार इस विवाद को जिंदा रखा, जबकि कोहली और स्मिथ के बीच कुछ भी नहीं हुआ. अब समय क्रिकेट की ओर देखने का है. इस एक विवाद के कारण शुरुआती दो टेस्ट के दौरान हुए शानदार क्रिकेट से सबका ध्यान ही हट गया.”
गावस्कर का मानना है, कि शब्दों के बजाय खिलाड़ियों को बल्ले या गेंद से बात करना चाहिए. अंतर्राष्ट्रीय करियर में 17 साल बीत जाने पर भावुक हुए युवराज सिंह, मीडिया के सामने दिया दिल को छु लेने वाला बयान
गावस्कर ने कहा, “आक्रामक होना चाहिए, लेकिन क्रिकेट के संदर्भ में, अन्यथा नहीं. युवा खिलाड़ी आक्रामकता को व्यक्त करते हुए गलत तरीके से समझते हैं और बल्ले और गेंद के बजाय उनके मुंह से ऐसा करते हैं. मैदान पर बात करने पर अंकुश लगाया जाना चाहिए और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) को इस पर कड़े रुख करना पड़ता है.”