80 साल की उम्र तक भारतीय क्रिकेट की सेवा करने वाले बीसीसीआई के पिच क्यूरेटर और पूर्व क्रिकेटर दलजीत सिंह ने मैदान से दूर रहने और रिटायरमेंट ले लिया। 31 अगस्त से बीसीसीआई ने उन्हें रिटायरमेंट दे दिया है। दलजीत 1997 से लगातार पिच क्यूरेटर के पद से जुड़े हुए थे।
देश को पहली बाउंसी पिच देने वाले दलजीत ने लिया रिटायरमेंट
पूर्व भारतीय क्रिकेटर और 22 साल से बीसीसीआई के पिच क्यूरेटर के पद पर रहने के बाद अब 80 साल की उम्र में उन्होंने चुपचाप रिटायरमेंट ले लिया है। दलजीत की निगरानी में बोर्ड के घरेलू टूर्नामेंटों और अंतरराष्ट्रीय मैचों में पिचों का निर्माण होता आ रहा था। आपको बता दें, 1994 में मोहाली में देश को पहली बाउंसी विकेट देने वाले भी दलजीत सिंह ही थे।
1991 में पहली बार क्रिकेट मैदान पर रखा था कदम
दलजीत सिंह का करियर बतौर क्रिकेटर कुछ खास नहीं रहा लेकिन बतौर पिच क्यूरेटर उन्होंने काफी नाम कमाया। साल 1961 से उन्होंने पहली बार क्रिकेट के मैदान पर अपना पहला कदम रखा था।
घरेलू क्रिकेट में चार रणजी टीम के साथ खेल चुके दलजीत ने अपने संन्यास की घोषणा की। वह सर्विसेज, नार्दन पंजाब, डीडीसीए और बिहार केलिए रणजी ट्राफी में खेले। दलीप ट्राफी में उन्होंने उत्तर, पूर्व और मध्य क्षेत्र की टीमों का प्रतिनिधत्व किया।
इसके बाद वह कर्नाटक और पंजाब की उन टीमों के कोच रहे जिसमें अनिल कुंबले, राहुल द्रविड, सुजीत सोमसुंदर, जवागल श्रीनाथ, वेंकटेश प्रसाद, डेविड जॉनसन, डोडा गणेश, युवराज सिंह, हरभजन सिंह, वीआरवी सिंह, हरविंदर सिंह, भूपिंदर सिंह सीनियर जैसे बड़े-बड़े खिलाड़ियों ने खेला। वह 1975-76 में रणजी ट्राफी के फाइनल में पहुंचने वाली बिहार टीम के कप्तान भी रह चुके हैं।
सुरक्षित हाथों में छोड़कर जा रहे पिच क्यूरेटर का पद
इस बात का ख्याल तो आप सभी के मन में आया होगा कि अब बीसीसीआई में पिच क्यूरेटर का काम कौन संभालेगा। इसपर खुद दलजीत सिंह ने अमर उजाला से बात करते हुए बताया, पूर्व बोर्ड अध्यक्ष आईएस बिंद्रा ने उन्हें इस पद की जिम्मेदारी सौंपी थी। वह उसे शरद पवार और अन्य अध्यक्षों के जरिए बेहद सुरक्षित हाथों में छोड़कर जा रहे हैं।
उन्होंने उस समय पिच बनाने का काम शुरू किया था जब इसे माली और ग्राउंड्समैन तैयार करते थे। आज यह नियमित काम है। उन्होंने डीडीसीए के क्यूरेटर अंकित और मोहाली के राकेश का नाम लेते हुए कहा कि पिचों का काम इस वक्त बेहद सुरक्षित हाथों में है।