बीसीसीआई (BCCI) हर खिलाड़ी को उसकी काबिलियत के हिसाब से सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट में शामिल करते हुए मैच फीस का भुगतान करती है. मगर क्या आप सोच सकते हैं कि कोई ऐसा खिलाड़ी जिसने डेढ़ साल में सिर्फ 13 रन बनाए हों और उसे बीसीसीआई (BCCI) हर साल 3 करोड़ रूपए देती हो.
ये बात आपके गले से भी नहीं उतरेगी, लेकिन सच यही है कि भारतीय टीम में एक सीनियर खिलाड़ी का दर्जा हासिल कर चुके इस क्रिकेटर ने बीते 3 साल में यही बल्लेबाज़ी प्रदर्शन किया है. इस आर्टिकल में हम बात करेंगे उसी खिलाड़ी जिसने करोड़ों की सैलरी के बाद भी उम्मीदों के मुताबिक़ प्रदर्शन नहीं किया है.
बीसीसीआई देती है ऋद्धिमान साहा को सालाना 3 करोड़ रूपए
इस बात में कोई दो राय नहीं कि ऋद्धिमान साहा एक बेहतरीन विकेटकीपर हैं लेकिन बात जब बल्लेबाजी की आती है तो वहां पर वो पूरी तरह से फेल हो जाते हैं. खराब प्रदर्शन के बावजूद बीसीसीआई (BCCI)उन्हें सैलरी के रूप में मोटी रकम देती है. ऋद्धिमान साहा के बल्लेबाजी आंकड़ो पर अगर नजर डाली जाए तो वो बेहद ही खराब है.
साल 2018 से साल 2020 तक उन्होंने कुल 7 मैच भारतीय टेस्ट टीम के लिए खेले, जिसमें उनके बल्ले से महज 95 (क्रमशः 0, 8, 21, 24, 12, 17*, 9, 4) रन निकले। साहा को बीसीसीआई (BCCI) के सालाना कॉन्ट्रैक्ट में ग्रेड बी में रखा गया है, जिसके तहत उन्हे सालाना 3 करोड़ सैलरी बीसीसीआई से मिलती है.
ऋषभ पंत के बेहतरीन प्रदर्शन के चलते कटा साहा का पत्ता
ऋद्धिमाना साहा के जो आंकड़े हैं उनको देख कर ये बिल्कुल भी नहीं कहा जा सकता है कि उन्हें बल्लेबाजी करने का मौका नहीं मिला. ऋद्धिमान साहा के पास बल्लेबाजी में खुद को साबित करने का बेहतरीन मौका था, लेकिन वो इसका फायदा नहीं उठा पाए. भले ही उन्होंने विकेट के पीछे बेहद शानदार विकेटकीपिंग की हो लेकिन बल्लेबाजी में उन्होंने हमेशा निराश किया.
खराब बल्लेबाजी के कारण ही अब ऋद्धिमान साहा को ज्यादातर मौकों पर टीम इंडिया की प्लेइंग इलेवन से बाहर बैठना पड़ रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण ऋषभ पंत की दमदार बल्लेबाजी है. विकेटकीपिंग में भले ही पंत साहा के मुकाबले खुद को ना साबित कर पाए हों, लेकिन बल्लेबाजी में जब भी टीम को उनकी जरूरत थी, उन्होंने दमदार प्रदर्शन करते हुए टीम की जीत में अहम किरदार निभाया.
इसलिए ऋद्धिमान साहा को बीसीसीआई देती है सालाना 3 करोड़ रूपए
साहा को बीसीसीआई (BCCI)के सालाना कॉन्ट्रैक्ट में ग्रेड बी में रखा गया है, जिसके तहत उन्हे सालाना 3 करोड़ सैलरी बीसीसीआई (BCCI) द्वारा मिलती है. बीसीसीआई से जब भी किसी खिलाड़ी का करार होता है उसे सैलरी मिलना निश्चित रहता है. करार की शर्तों के मुताबिक खिलाड़ी प्लेइंग इलेवन का हिस्सा हो या ना हो वो बस टीम का सदस्य होना चाहिए.
वैसे ऋद्धिमान साहा का क्रिकेट करियर अब लगभग खत्म होने की कगार पर ही है. एक तो उनकी उम्र भी काफी हो गई है दूसरी तरफ उनका प्रदर्शन भी खराब रहा है. ऑस्ट्रेलिया में एडिलेड टेस्ट में अंतिम 11 में जगह मिलने के बाद से उन्हें टीम इंडिया की प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं मिली है. हर बार मैनेजमेंट उनकी जगह ऋषभ पंत को पहली प्राथमिकता देता है.