भारतीय क्रिकेट कन्ट्रोल बोर्ड ऑफ़ इंडिया (बीसीसीआई) दुनिया के सबसे अमीर बोर्ड में से एक मानी जाती है, लेकिन बीसीसीआई की अमीरी का एक काला चेहरा सबके सामने आ रहा है.
भले ही बीसीसीआई ने हाल ही में भारतीय टीम के खिलाड़ियों की वेतन बढ़ोतरी की मांग मान ली थी, लेकिन रणजी खिलाड़ी अभी भी बीसीसीआई से वेतन पाने के लिए तरस रहे है.
रणजी खिलाड़ियों को 2016-17 का भी नहीं मिला अबतक वेतन
रणजी खिलाड़ियों की खराब हालत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, कि भारतीय क्रिकेट कन्ट्रोल बोर्ड ऑफ़ इंडिया (बीसीसीआई) ने रणजी खिलाड़ियों को रणजी ट्रॉफी 2016-17 का भी वेतन नहीं दिया है. आपको बता दे, कि पिछले मार्च से रणजी के कुछ टीमों के खिलाड़ियों को उनको वेतन नहीं मिल पा रहा है.
इन राज्यों के खिलाड़ियों को नहीं मिला अबतक पैसा
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार उड़ीसा, हैदराबाद, आसाम और त्रिपुरा के खिलाड़ी अभी भी अपने पिछले रणजी सीजन के वेतन का सिर्फ इंतेजार ही कर रहे है.
कुछ खिलाड़ियों को उनकी आधी कमाई दी जा चुकी है, लेकिन अन्य खिलाड़ियों को अभी तक कुछ नहीं मिला है. सूत्रों के मुताबिक आसाम और उड़ीसा के खिलाड़ीयों को तो पिछले साल से एक भी रुपया हासिल नहीं हो पाया है.
40,000 रूपये मिलते है एक रणजी मैच खेलने का
आपको बता दे, कि रणजी खेलने वाले हर खिलाड़ी को एक मैच खेलने के लिए 40,000 रूपये मिलते है. वही विजय हजारे वनडे टूर्नामेंट खेलने वाले खिलाड़ियों को 10,000 रूपये मिलते है. वही सयद मुश्ताक अली टी20 टूर्नामेंट खेलने वाले खिलाड़ियों को 5000 रूपये एक मैच खेलने को मिलते है.
उड़ीसा टीम के एक अधिकारी ने न्यूज़ एजेंसी टीओआई से बात करते हुए कहा, “यह रणजी खिलाड़ियों के लिए बहुत मुश्किल है, कि वह रणजी मैच खेलकर अधिक पैसा नहीं कमा पा रहे है और हमें तो मार्च से बीसीसीआई की तरफ से कोई फंड जारी नहीं हुआ है. हम नहीं जानते है, कि पेमेंट होने में देरी क्यों हो रही है. हमे पिछले सत्र का विजय हजारे टूर्नामेंट खेलने का भी पैसा नहीं मिला है.”
बीसीसीआई दे रहा है यह सफाई
बीसीसीआई के एक शीर्ष अधिकारी के इसके पीछे का कारण बताते हुए कहा, “हम सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं, कि खिलाड़ियों को बीसीसीआई से सीधे सबकुछ मिले.
देरी का कारण यह है, कि कुछ खिलाड़ियों के दस्तावेज की वजह से चैक वितरण में दिक्कत आ रही है इसलिए खिलाड़ियों को उनका पैसा देरी से मिल रहा है. हम भी यह चाहते है, कि घरेलू खिलाड़ियों को समय पर उनका बकाया मिल जाए, क्योंकि वे निश्चित तौर पर बहुत मेहनत करते है.”