अध्यक्ष और सचिव के हटाए जाने के बाद एक बार फिर से बीसीसीआई पर गिर सकती है सर्वोच्च न्यायालय की गाज 1

अलग अलग राज्यों के पास उनके खुद के स्टेडियम हैं खेलने को लेकर, लेकिन उनके पास उस पर खेलने का अधिकार नहीं है. मैदान पर खेलने के लिए किसी भी राज्य असोसिएशन को पहले बीसीसीआई से उसके लिए पूछना पड़ता है और अगर बीसीसीआई उसकी अनुमति नहीं देता है तो वह उस मैदान पर नहीं खेल सकते हैं.

सर्वोच्च न्यायालय ने 2 जनवरी को बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और पूर्व सचिव अजय शिर्के को उनके पद से निलंबित कर दिया था. ऐसा इसलिए हुआ था, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने अनुराग ठाकुर को लोढ़ा समिति से माफ़ी माँगने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया जिसके बाद से उन्हें उनके पद से हटा दिया गया.

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अब बीसीसीआई ने एक बार फिर से सर्वोच्च न्यायालय के खिलाफ जाते हुए कदम उठाया है और अब फिर से उसे इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है.

असोसिएशन सिक्रेटरी ने कहा,

“यह हमारी प्रापर्टी है इसे हम बीसीसीआई के हाथों में नहीं दे सकते हैं और न ही उनका कहा मान सकते हैं ज्यादा से ज्यादा क्या होगा हमारा उनके साथ करार खत्म हो जायेगा, तो हो जाने दो हमे इसकी कोई परवाह नहीं है. हम बीसीसीआई से इसकी इजाजत नहीं ले सकते हैं, कि मैदान पर किसे खेलना है किसे नहीं.”

30 असोसिएशन में से 24 ऐसे हैं जिन पर बीसीसीआई का कब्जा है और अब असोसिएशन के अधिकारी इस करार को खत्म करना चाहते हैं. बीसीसीआई का झगड़ा अभी लोढ़ा समिति से ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा था उसी बीच अब उसके लिए एक और बुरी खबर आ सकती है, अगर असोसिएशन बीसीसीआई से करार रद्द करता है, तो उसे काफी नुकसान होगा.

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अमिताभ चौधरी ने बीसीसीआई के साथ एक पदाधिकारी के रूप में 9 साल पूरे कर लिए हैं और अब उनके लिए आगे यह रास्ता काफी कठिन होने वाला है. भारत और इंग्लैंड सीरीज से ठीक पहले अध्यक्ष और सचिव के बर्खास्त होने के बाद अभी तक अधिकारिक रूप से किसी को भी अध्यक्ष नियुक्त नहीं किया गया है.