मैच रेफरी ने किया खुलासा 'मंकी प्रकरण' में सचिन तेंदुलकर ने अपनी गवाही में बोली थी ऐसी बात, जिससे हरभजन सिंह पर लगा था प्रतिबंध 1

जनवरी 2008 में सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर हरभजन सिंह और एंड्रयू सायमंड्स के बीच ‘मंकी प्रकरण’ कांड हुआ था. यह विवाद क्रिकेट के सबसे चर्चित विवादों में से एक है. इस कांड में ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग ने रेफरी माइक प्रॉक्टर से शिकायत की थी, कि हरभजन सिंह ने एंड्रयू साइमंड्स को एक ‘बंदर’ कहने की बात सामने आई थी.

इस सुनवाई में, सचिन तेंदुलकर भी शामिल थे जो इस घटना के दौरान नॉन-स्ट्राइक पर थे. इस घटना के बारे में सचिन ने बताया था, कि हरभजन सिंह ने सायमंड्स को ‘बंदर’ नहीं कहा था. बल्कि उन्हें एक हिंदी गाली दी थी, लेकिन हरभजन ने सायमंड्स को एक नस्लवादी स्लेज नहीं किया था. उनका दावा था, कि वह ज्यादा अंग्रेजी नहीं बोल सकता है.

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वही उस समय भारतीय प्रबंधक रहे चेतन चौहान ने कहा था, कि बंदरों को भारत में देवता के समान पूजा जाता है इसलिए कोई भारतीय उन्हें अपमानित नहीं करेगा. हालाँकि इस सुनवाई के बाद हरभजन सिंह पर एक टेस्ट मैच ना खेलने का प्रतिबंध लगाया गया था. 

माइक प्रोक्टर ने अपनी पुस्तक के जरिये किया सचिन के बयान का खुलासा 

मैच रेफरी ने किया खुलासा 'मंकी प्रकरण' में सचिन तेंदुलकर ने अपनी गवाही में बोली थी ऐसी बात, जिससे हरभजन सिंह पर लगा था प्रतिबंध 2

माइक प्रोक्टर की आत्मकथा ‘काँट इन द मिडल’ अब बाजार में आ चुकी है. इस पुस्तक में उन्होंने उन विषयों को छुआ है. जिनपर उन्होंने अपने लंबे करियर के दौरान कभी बात नहीं की. वह आज तक उन बातों और तथ्यों को समझ नहीं पाये है, जो मंकीगेट कांड की सुनवाई के दौरान सचिन तेंदुलकर द्वारा उन्हें बताई गई थी.

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सचिन ने कहा था हरभजन ने माँ की गाली दी मंकी नहीं कहा 

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इस पुस्तक में माइक प्रोक्टर ने सचिन द्वारा बताई गई बातों को लेकर लिखा,  “यह बहुत ही निराशाजनक प्रकरण था. सचिन ने हरभजन की सुनवाई में कहा था, कि हरभजन ने सायमंड्स को ‘मंकी’ नहीं कहा था. बल्कि उन्हें एक हिंदी गाली तेरी माँ की *** दी थी.

अगर सचिन ने यह कहा था और उसने यह सुना है, तो यह भी एक बहुत ही निराशाजनक शब्द थे. इसलिए हरभजन के नस्लवाद के आरोपों को सही माना गया. 

हरभजन का प्रतिबंध सही था 

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प्रोक्टर ने आगे अपनी पुस्त में लिखा हैं, “‘बंदर’ शब्द और ‘माँ की गाली’ दोनों ही मैदान पर नहीं होनी चाहिए, ये दोनों ही खेल के लिए खराब है. इसलिए अगर हरभजन ने ‘माँ की गाली’ जितने खराब शब्द कहे थे, तो उन पर यह प्रतिबंध सही था.”

प्रोक्टर ने आगे अपनी पुस्तक में लिखा हैं, “भारतीय टीम के मैनेजर चेतन चौहान हमें इस घटना के बाद राजाओं की बंदरों के साथ फोटो दिखा रहे थे और सफाई दे रहे थे, कि भारत में बंदरों को उनके देश में देवता का दर्जा दिया जाता है तो भला कोई भारतीय बंदरों को अपमानित कैसे करेगा.”

माइक प्रोक्टर ने अपनी किताब में सचिन का बयान आगे लिखते हुए लिखा, “यह घटना तब घटी, क्योंकि जब एंड्रयू सायमंड्स लगातार भज्जी को भड़काने की कोशिश कर रहे थे.

हालाँकि, जब मैं भज्जी को शांत करने की कोशिश करने जा रहा था. तब मैंने सुना कि ‘तेरी माँ की’ जो एक अभिव्यक्ति थी सायमंड्स को बार-बार भड़काने की. अक्सर उत्तर भारत में अपना गुस्सा उभाराने के लिए लोग इस बात को बोल जाते है और मेरे लिए यह खेल का एक हिस्सा था.”

उन्होंने अपनी पुस्तक में लिखा “तेंदुलकर सुनवाई के बाद खुश नहीं थे, क्योंकि मैंने मैच रेफरी, के रूप मैंने उनकी बातों को झूठ माना था, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया खिलाड़ियों का एक समूह मंकी कहने की बात पर जोर दे रहा था और इसलिए बाद में भज्जी पर प्रतिबंध लगाया गया था, हमें पता था, कि कोई एक समूह झूठ बोल रहा है. झूठ बोले जाने से मैं बहुत गुस्सा था. और अंत में मैं कहूँगा, कि न्याय प्रबल हुआ.”

कांड बेहद ही निराशजनक था

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हालाँक, प्रोक्टर बड़े सम्मान के साथ मानते है, 2001 से 2008 के बीच भारतीय टीम इतनी अच्छी रही थी जितनी इतिहास में कोई दुसरी टीम अच्छी नहीं रही है. मेरे उनसे संबंध रहे है. मैं सचिन, सौरव, राहुल सभी भारतीय खिलाड़ियों को लम्बे समय से जानता हूं, लेकिन बतौर एक मैच रेफ़री, मैं क्या कर सकता था? निजीतौर पर मैं भारत को बहुत ही प्रेमभाव रिश्तों के लिए जानता हूं, लेकिन वह कांड बेहद ही निराशाजनक था.

उन्होंने अपनी पुस्तक में आगे लिखा, “मैंने हमेशा भारत में आनंद लिया है, मैं वहां लोगों के साथ मिला हूं. मैं दक्षिण अफ्रीकी टीम का कोच था जब 1991 में भारत गया था. मैं ग्लूस्टरशायर के लिए भारत के खिलाफ खेला था. मुझे मैच का मजा आया था, लेकिन हरभजन सिंह की घटना के बाद से मेरी भारत के लोगों से दोस्ती नही बन पाई. मैं किसी भी नाम का उल्लेख नहीं करना चाहता, लेकिन मैंने एक या दो पूर्व खिलाड़ियों को देखा है, वे भी वास्तव में मेरे साथ मैत्रीपूर्ण नहीं थे.”

मुझे एक महिला ने फोन किया था और बताया था कि आईपीएल में मुझे अंपायर और मैच रेफरी की भूमिका को संभालना है. उन्होंने मुझे यात्रा कार्यक्रम भेजा उस समय ललित मोदी आईपीएल प्रभारी थे, मुझे सिर्फ उनके संकेत का इंतेजार करना था और अपना काम शुरू करना था, लेकिन बाद में मुझे अंतिम मौके पर ‘नहीं’ कहा गया और मुझे ये बात मेंरे एक दोस्त ने बताई थी मैं इससे निराश था. मुझे लगता है इस पुरे प्रकरण में मुझे और एंड्रयू सायमंड्स को दोषी माना गया उनका करियर भी इस घटना के बाद ज्यादा नहीं चल सका.”

vineetarya

cricket is my first and last love, I know cricket only cricket, I love watching cricket because cricket is my passion and my passion is my work my favourite player Mike Hussey and Kl Rahul