भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी आज अपना 38वां जन्मदिन मना रहे हैं। भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे सफलतम कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी का जन्म 7 जुलाई 1981 को रांची में हुआ। क्रिकेट में अपनी जबरदस्त स्किल्स के बूते एमएस धोनी ने साल 2004 में भारतीय क्रिकेट टीम में अपनी जगह बनायी।
इन पांच वजहों से धोनी बन गए महान क्रिकेटर
महेन्द्र सिंह धोनी ने इसके बाद तो कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपने नाम के साथ कामयाबी को जोड़ दिया। धोनी ने अपने क्रिकेट करियर के पूरे 14-15 सालों में जबरदस्त सफलता हासिल की है।
भारत के पूर्व कप्तान एमएस धोनी आज भारत की नहीं बल्कि विश्व क्रिकेट के सबसे महान खिलाड़ियों में से एक माने जाते हैं जिन्होंने बल्लेबाजी से लेककर कप्तानी और विकेटकीपिंग तक में अपना लोहा मनावाया।
आज आपको उनके जन्मदिन के मौके पर बताते हैं वो पांच कारण जिससे धोनी बन गए महान….
आईसीसी की तीनों प्रतिष्ठित ट्रॉफी जीतने वाले एकमात्र कप्तान
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी ने अपने पूरे करियर में कप्तान के तौर पर कई कीर्तिमान स्थापित किए। धोनी ने भारत को अपनी अगुवायी में जबरदस्त कामयाबी दिलायी।
जिसमें धोनी कप्तान के तौर पर ऐसा कुछ कर गए जो विश्व क्रिकेट इतिहास का कोई कप्तान नहीं कर सका। एमएस धोनी ने अपनी कप्तानी में आईसीसी की तीनों ही प्रतिष्ठित ट्रॉफी दिलायी हैं। उन्होंने साल 2007 में विश्व टी20 का खिताब जीता। तो वहीं 2011 में आईसीसी क्रिकेट विश्व कप अपनी कप्तानी में भारत के नाम किया। इसके बाद साल 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी को जीतकर वो ऐसे पहले कप्तान बन गए जिन्होंने ये तीनों ट्रॉफी अपने नाम की हो।
वनडे में बतौर नंबर 5-6 पर कमाल का प्रदर्शन
महेन्द्र सिंह धोनी ना केवल कप्तान बल्कि एक बल्लेबाज के तौर पर भी खासे सफल रहे। धोनी को विश्व क्रिकेट का सबसे बेहतरीन फिनिशर के रूप में माना जाता है। जिन्होंने बल्लेबाजी से भारतीय क्रिकेट को काफी कामयाबी दिलायी है।
महेन्द्र सिंह धोनी वनडे क्रिकेट इतिहास में 10 हजार से ज्यादा रन बना चुके हैं। इनमें से धोनी ने नंबर 5 और 6 पर सबसे ज्यादा बल्लेबाजी की। इस नीचे क्रम पर आकर भी धोनी ने अपने वनडे करियर की 212 पारियों में 7333 रन बनाए। इससे साबित होता है कि वो इन निचले क्रम पर भी कैसा योगदान देने में क्षमता रखते थे।
भारतीय टीम को टेस्ट क्रिकेट में पहली बार नंबर वन का दिलाया ताज
भारतीय क्रिकेट का टेस्ट इतिहास सालों पुराना है। भारत ने अपना पहला टेस्ट मैच साल 87 साल पहले खेला था। उसके बाद तो टीम को कई महान खिलाड़ी और कप्तान मिले लेकिन भारतीय टीम वो नहीं कर सकी जो महेन्द्र सिंह धोनी ने अपनी कप्तानी में किया।
यानि भारतीय क्रिकेट टीम को टेस्ट क्रिकेट में नंबर वन रैंकिंग पर पहुंचाना। ये काम भारतीय क्रिकेट इतिहास के 77 सालों के बाद महेन्द्र सिंह धोनी की कप्तानी में पहली बार 2009 में किया। धोनी की कप्तानी में भारतीय टीम ने टेस्ट क्रिकेट में पहली बार नंबर वन रैंकिंग हासिल की।
खेल की जबरदस्त समझ
महेन्द्र सिंह धोनी बिना किसी शक के क्रिकेट इतिहास के सबसे बुद्धिमान खिलाड़ी कहे जा सकते हैं। धोनी ने अपनी बुद्धिमानी इतने सालों में क्रिकेट जगत के सामने साबित की है। महेन्द्र सिंह धोनी में खेल को परखने की जबरदस्त समझ मौजूद है।
तभी तो उन्होंने अपने पूरे क्रिकेट करियर में अपनी दिमागी करामात से काफी सफलता हासिल की है। ये चाहे कप्तानी में हो या विकेट के पीछे या बल्लेबाजी में हर जगह पर धोनी ने दिखाया है कि उनके पास खेल और खेल की परिस्थितियों को समझने की जबरदस्त काबिलियत है।
विकेट के पीछे बिजली जैसी तेजी
क्रिकेट इतिहास में जब कभी भी सबसे बेहतरीन और महान विकेटकीपर की बात होगी तो महेन्द्र सिंह धोनी को उससे दूर नहीं रखा जा सकता है। क्योंकि विकेटकीपर के तौर पर महेन्द्र सिंह धोनी ने जो किया है वो गिने-चुने ही विकेटकीपर कर चुके हैं।
लेकिन उनकी विकेटकीपिंग में सबसे खास बात उनके विकेट के पीछे की चुस्ती है। खासकर महेन्द्र सिंह धोनी स्पिन गेंदबाजी के खिलाफ तो बिजली या यूं कहें कि चीते सी फुर्ती लिए मैदान में उतरते हैं। तभी तो पलक झपकते ही उनके हाथों से स्टंप की गिल्लियां बिखर जाती हैं।