भारतीय टीम का दक्षिण अफ्रीका दौरा कई महीने पहले ही तय हो गया था, दौरे का समय नजदीक आते-आते टीम ने वहां की पिचों के लिए तैयारी भी शुरू कर दी. जैसे-जसे दौरे का समय नजदीक आ रहा था, कुछ अलग तरह की सुगबुगाहट नजर आने लगी थी, लग रहा था कि यह दौरा कुछ अलग है, और हो भी क्यों न यदि हम भारत का दक्षिण अफ्रीका इतिहास उठा कर देखें तो पता चलता है, कि टीम ने 25 साल वहां के 6 दौरे किये हैं. लेकिन एक में भी जीत दर्ज नहीं हुई.
टीम ने इस दौरे की तैयारी श्रीलंका के खिलाफ सीरीज से ही शुरू कर दी थी. कोलकाता की पिच तैयारी के लिए बनवाई गयी, तो भारतीय टीम की कमजोरी खुल कर सामने आई. श्रीलंका के गेंदबाज लकमल ने टीम को बुरी तरह परेशान किया. उसके बाद धर्मशाला ममे पहले वनडे में भी वैसी ही पिच बनवाई गयी, वहां क्या हुआ वह किसी से छिपा नहीं है.
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर वह कौन से कारण हैं, जिस कारण भारतीय टीम के बल्लेबाज दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्ट की पहली पारी में नाकाम रहे हैं, दूसरी पारी में पहले 5 बल्लेबाज पवेलियन लौट चुके हैं.
हालात
भारतीय टीम ने पूरे साल भारतीय जमीं पर खेला, इसके बाद वह दक्षिण अफ्रीका दौरे पर गयी. भारत में जहां इस समय शीत ऋतू है, वहीं दक्षिण अफ्रीका में गर्मी ऐसे में किसी के लिए भी हालातों से सामंजस्य स्थापित करना आसान नहीं होता. ऐसे में वहां पर जाकर प्रदर्शन करना कठिन होता है.
आ बैल मुझे मार (तकनीक में खामी)-
भारतीय टीम की बल्लेबाजी देख कर लगा कि बल्लेबाजों ने दक्षिण अफ्रीका के गेंदबाजों का सामना जिस तकनीक के साथ किया वह बेहद गलत थी. यदि हम चेतेश्वर पुजारा और रोहित की बल्लेबाजी को देखें, तो जमीं आसमान का अंतर दिखा, रोहित ने कैसे ऑफ स्टम्प कवर करते हुए बॉलर के लिए एलबीडब्ल्यू करार देने के लिए गेंदबाजों को न्योता सा दिया.
ऐसा पहली दफा नहीं है कि रोहित अंदर आती गेंद पर ऐसे एलबीडब्ल्यू आउट हुए. साफ समझ में आ रहा था कि अफ्रीका ने तो रोहित पर होमवर्क किया था, लेकिन रोहित ने खुद के विदेशी दौरे पर नहीं.
मानसिकता –
भारतीय बल्लेबाजी के फ्लॉप होने का एक बड़ा कारण है मानसिकता. यदि आप सकारात्मक मानसिकता के साथ बल्लेबाजी करते हैं तो प्रदर्शन अलग होता है. 12 रन पर तीन विकेट गंवाने के बाद प्लेसिस और डीविलियर्स ने यही दिखाया.