बद्री की जगह कोहली को चुनना मुझे महंगा पड़ा : वेंगसरकर 1

मुंबई, 8 मार्च; भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पूर्व मुख्य चयनकर्ता दिलिप वेंगसरकर ने राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली को लेकर हैरान कर देने वाला खुलासा किया है। वेंगसरकर ने कहा कि 2008 में कोहली को सुब्रमण्यम बद्रीनाथ के स्थान पर भारतीय टीम में शामिल करने की कीमत उन्हें अपना पद गंवा कर चुकानी पड़ी।

वेंगसरकर ने बद्रीनाथ के स्थान पर कोहली को तवज्जो दी जिसके कारण तत्कालीन कोषाध्यक्ष एन. श्रीनिवासन नाराज हो गए और मुख्य चयनकर्ता के रूप में उनका कार्यकाल कम हो गया।

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वेंगसरकर ने मुंबई में एक समारोह के दौरान यह खुलासा करते हुए कहा, “2008 में आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड और भारत के बीच एक इमर्जिग टूर्नामेंट था। मैंने टूर्नामेंट के लिए टीम में अंडर-19 विश्व कप जीतने वाले कप्तान विराट कोहली को जगह दी। टूर्नामेंट में कई दिग्गज टेस्ट क्रिकेट खिलाड़ी भी खेल रहे थे और न्यूजीलैंड के खिलाफ एक मैच में कोहली 123 रन बनाकर नाबाद लौटें।”

वेंगसरकर ने कहा, “मुझे महसूस हुआ कि श्रीलंका के खिलाफ होने वाली वनडे सीरीज के लिए विराट को टीम में शामिल करना चाहिए। अन्य चार चयनकर्ता भी मुझ से सहमत थे लेकिन तत्कालीन कोच गैरी कर्स्टन और कप्तान धोनी सहमत नहीं थे क्योंकि उन्होंने कोहली को खेलते हुए नहीं देखा था। मैंने उनसे कहा कि आपने इस लड़के को खेलते हुए नहीं देखा है। इसका खेलना जरूरी है।”

वेंगसरकर ने आगे कहा, “मैं जानता था कि बद्रीनाथ दक्षिण भारत के हैं और वह श्रीनिवासन की टीम चेन्नई सुपर किंग्स का हिस्सा थे लेकिन फिर भी मैंने बद्रीनाथ के स्थान पर कोहली को चुना।”

हालांकि, श्रीलंका के खिलाफ हुई वनडे सीरीज में उस वक्त के सलामी बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर नहीं खेले और बद्रीनाथ को भी टीम में जगह मिल गई। कोहली ने पांच मैचों में 31.50 की औसत से रन बनाए जबकि तीन मैचों में बद्रीनाथ का औसत 19.5 ही रहा।

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वेंगसरकर ने कहा, “कोहली को चुनने के बाद श्रीनिवासन ने मुझसे बद्रीनाथ को टीम से बाहर रखने कारण पूछा। मैंने उनसे कहा कि विराट को मैंने खेलते हुए देखा है, वह एक अतुल्य खिलाड़ी है लेकिन उन्होंने कहा कि बद्रीनाथ ने तमिलनाडु के लिए 800 रन बनाए है। मैंने कहा था कि बद्रीनाथ को मौका मिलेगा, जिस पर श्रीनिवासन ने कहा कि कब मौका मिलेगा? वह 29 वर्ष के हैं।”

वेंगसरकर ने आगे कहा, “अगले ही दिन वह (एन श्रीनिवासन) कृष्णामाचारी श्रीकांत को शरद पवार के पास ले गए, जो उस वक्त के अध्यक्ष थे और बस, चयनकर्ता के रूप में मेरे कार्यकाल का अंत हो गया।”