भारतीय क्रिकेट का इतिहास बहुत ही पुराना है। भारतीय क्रिकेट टीम ने इंटरनेशनल क्रिकेट का आगाज 1932 में किया था। भारतीय क्रिकेट टीम के पहले इंटरनेशनल कप्तान कर्नल सीके नायडू थे। सीके नायडू ने भारतीय क्रिकेट को एक शुरूआती पहचान दिलायी थी। भारत के पहले कप्तान कर्नल सीके ने भारतीय क्रिकेट में बड़ा योगदान दिया है। आज जब भी भारतीय क्रिकेट इतिहास का ज्रिक होता है तो सीके नायडू का नाम अपने आप ही सामने आ जाता है।
भारत के पहले कप्तान सीके नायडू हैं नागपुर के
भारतीय क्रिकेट टीम के पहले कप्तान सीके नायडू की जब भी बात होती है तो सबसे पहले होल्कर टीम और इँदौर शहर का जिक्र हो ही जाता है। क्योकिं पूरी दुनिया भारतीय क्रिकेट टीम के पहले कप्तान सीके नायडू को इंदौर का ही समझती है। लेकिन सीके नायडू वास्तविक तौर पर नागपुर शहर के रहने वाले थे।
नागपुर में नायडू साहब को नहीं मिली पहचान
सीके नायडू नागपुर के रहने वाले थे जिसके बाद भी आज वो नागपुर में अपनी पहचान को मोहताज हैं। सीके नायडू अपने ही घर में पराए से हो गए हैं। भारत के पहले कप्तान से जुड़ी विरासत को उनके घर नागपुर में संभाल कर नहीं रखा गया है।
भारत और श्रीलंका के बीच तीन मैचों की टेस्ट सीरीज का दूसरा मैच नागपुर के जामठा में खेला जा रहा है लेकिन इस जामठा मैदान में सीके नायडू की याद के रूप में कोई चीज नहीं है। न तो जामठा मैदान की कोई गैलेरी और ना ही कोई और चीज।
सीके नायडू को इंदौर का ही समझती है दुनिया
आपको बता दे कि सीके नायडू को तुकोजीराव होल्कर ने इंदौर में क्रिकेट खेलने के लिए बुलाया था। तुकोजीराव के बेटे यशवंतराव ने सीके नायडू के साथ होल्कर टीम बनायी थी। जिसके बाद से सीके नायडू के परिजन भी अब इंदौर में ही रह रहे हैं। लेकिन इनको नागपुर में उनके पुश्तैनी घर के बारे में कोई जानकारी नहीं है। एक अखबार नई दुनिया ने इस बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश की।
कर्नल नायडू की नागपुर हवेली में भी नहीं है खास यादें
सीके नायडू जिस पुश्तेनी घर में रहते थे, जिसे अब गणपतराव चाल के नाम से जाना जाता है। गणपतराव का कर्नल के साथ चचेरे भाई का रिश्ता था।
इस हवेली में कर्नल सीके नायडू के हिस्से को गणपतराव ने धन्नाराम नाम के शख्स को बेच दिया था। जिनसे बाद में श्यामराव नायडू ने खरीदा। इस घर में फिलहाल तो श्यामराव के तीन बेटे रहते हैं। जिसमें एक विजय नाम के बेटे ने बताया कि “कर्नल नायडू से कोई रिश्तेदारी नहीं है लेकिन उनका आईने के साथ ही कुछ सामान अब भी यहां मौजूद है।”
कर्नल के नाम से नागपुर में नहीं होती कोई टूर्नामेंट
इसके साथ ही गणपतराव के पोते अश्विन ने इसको लेकर बताया कि “कर्नल नायडू अपनी पत्वनी के निधन के बाद इंदौर चले गए थे जिसके बाद उन्होंने वहां पर दूसरी शादी की। हमे खराब लगता है कि नायडू साहब के नाम से यहां कोई टूर्नामेंट नहीं होता है और उनके गृहनगर में उनकी कोई पहचान है। परिवार में एकजूटता की कमी के कारण हम भी कभी क्रिकेट संघठन से ऐसी मांग नहीं करते हैं।”