प्रशासकों की समिति ने सोमवार (11 सितंबर) को जम्मू कश्मीर क्रिकेट संघ (जेकेसीए) सचिव इकबाल शाह को कोष की कमी के कारण आगामी रणजी ट्रॉफी से ‘हटने’ पर विचार करने के लिए बाध्य होने संबंधित ‘भ्रामक’ टिप्पणी के प्रति चेताया. जेकेसीए सचिव ने कहा था कि बीसीसीआई ने वार्षिक अनुदान रोक दिया है इसलिए रणजी ट्राफी के लिए टीम उतारना मुश्किल होगा जिसके बाद सीओए ने इसे दबाव बनाने की रणनीति करार दिया है जबकि संघ ने उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का पालन नहीं किया है.
सीओए ने न्यायालय के आदेशों का पालन करने को कहा-
सीओए ने कड़े शब्दों में लिखे पत्र में जेकेसीए सचिव को उच्चतम न्यायालय के आदेशों का पालन करने को कहा है. सीओए के शाह को लिखे पत्र की प्रति में लिखा गया है, ‘माननीय उच्चतम न्यायालय के सात अक्तूबर 2016 और 21 अक्तूबर 2016 के आदेशों के तहत बीसीसीआई को आदेशों का पालन नहीं करने वाले राज्य संघों को कोष जारी करने से रोका गया है.’
मीडिया में आई ख़बरों से गया समिति का ध्यान-
उन्होंने कहा, ‘प्रशासकों की समिति ने उन मीडिया रिपोर्ट पर भी गौर किया है जिसमें कहा गया है कि जेकेसीए कोष की कमी के कारण बीसीसीआई टूर्नामेंटों से हट सकता है जिसमें आपके हवाले से कहा गया है कि यह बीसीसीआई और/या प्रशासकों की समिति की निष्क्रियता के कारण है.’
सीओए ने कहा, दबाव बनाने की कोशिश न करें-
पत्र में कहा गया, ‘यह आपके द्वारा तैयार पूरी तरह से भ्रामक तस्वीर है और ऐसा लगता आपका प्रशासकों की समिति पर दबाने बनाने का प्रयास है जिससे कि माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश के विपरीत तरीके से कोष जारी किया जा सके जो किसी भी हालात में नहीं होगा.’ सीओए ने इसके साथ ही कहा कि आदेशों का पालन नहीं करने के कारण ही कोष रोका गया है.
क्या था पूरा मामला?-
जेकेसीए सचिव इकबाल अहमद शाह कहा था, ‘हमारे बैंक खाते को नियमित करने के लिए और करीब 34 करोड़ रुपए का उपयोग करने के लिए हमें बीसीसीआई का पत्र बैंक को दिखाने की जरुरत होती है. मगर न तो बोर्ड अधिकारीयों, न सीईओ और न ही प्रशासकों की समिति ने पत्र जारी किया है.’ उन्होंने आगे कहा, ”इसका परिणाम यह है कि हमारे खाते का बैलेंस शून्य है.
हम जमा फंड्स का इस्तेमाल नहीं कर सकते और न ही मार्च 2012 के बाद से कोई रकम दी है. 2015 और 2016 के खर्चों के मामूली रीइम्बर्समेंट के अलावा बीसीसीआई ने 150 करोड़ से अधिक रुपए जमा कर रखे हैं. पूरे सीजन में सभी टीमों के खर्चे प्रबंध करने के लिए 7-8 करोड़ रुपए का खर्च आता है. बोर्ड इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है. हमें कुछ टूर्नामेंट्स से बाहर होना पड़ सकता है.