भारतीय टीम के पूर्व क्रिकेटर राहुल द्रविड़ वर्तमान समय में नेशनल क्रिकेट अकादमी (एनसीए) के अध्यक्ष है. इसी बीच उन्होंने क्रिकबज को अपना एक बयान दिया है, जिसमे उन्होंने कई रोचक बातें कही है. उन्होंने अपने इस इंटरव्यू में माना है कि अब दुनियाभर के कोचों को रचनात्मक बनना पड़ेगा.
पत्रकार : क्या एनसीए ने भारत की अंडर -19 और ‘ए’ टीमों के लिए लॉकडाउन की अवधि के दौरान कोई कार्यक्रम तैयार किया है?
राहुल द्रविड़ : हमारी स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग विशेषज्ञ (एस एंड सी एस) और फिजियो लगातार खिलाड़ियों के संपर्क में हैं, खिलाड़ियों के मानसिक कार्यक्रमों की निगरानी कर रहे हैं. चूंकि कुछ क्रिकेटर चोटों से उबर रहे हैं, इसलिए उन्हें एक अलग स्तर पर ध्यान देने की आवश्यकता है.
हालांकि अभी की परिस्थितीयों को देखते हुए खिलाड़ियों का अभ्यास संभव नहीं है, इसलिए अब समय आ गया है कि कोचों को रचनात्मक बनना पड़ा पड़ेगा एथलीटों को सर्वश्रेष्ठ संभव समाधान प्रदान करना होगा.
पत्रकार : उनकी फिटनेस पर कैसे नजर रखी जा रही है?
राहुल द्रविड़ : प्रशिक्षण अलग-अलग व्यक्तियों के लिए अलग-अलग होता है और यह काफी हद तक इस बात पर आधारित होता है कि क्या उपलब्ध है और हम इसका सबसे अच्छा उपयोग कैसे कर सकते हैं.
हमें अपने दृष्टिकोण में लचीला होना होगा. सामान्य स्थिति में हम जिन मेट्रिक्स का उपयोग करते हैं, उनमें वेट ट्रेनिंग और कुछ अन्य ट्रेनिंग शामिल है. ये हमारे एथलीट मैनेजमेंट सिस्टम (AMS) पर अपलोड हो जाते हैं, जिसका उपयोग हम सभी एथलीटों को ट्रैक करने के लिए करते हैं.
पत्रकार : क्या चोट के प्रबंधन के मामले में पिछले सत्र के लिए कोई फिटनेस ऑडिट हुआ?
राहुल द्रविड़ : आशीष कौशिक (एनसीए फिजियो) और उनकी टीम ने सीजन के पहले विजय हजारे (ट्रॉफी) के दौरान सभी घरेलू टीमों के चिकित्सकों के साथ कार्यशाला की थी.
उन्होंने बहुत सारे राज्य क्रिकेटरों के चिकित्सा और चोट-संबंधी डेटा एकत्र किया था. इससे हमें खिलाड़ियों को ट्रैक करने और चोटों को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने का मौका मिलता है. एस एंड सी कार्यशाला के संचालन का प्रमुख उद्देश्य यही था कि खिलाड़ियों की फिटनेस संबंधी डेटा एकत्रित हो सके.
पत्रकार : एनसीए के निदेशक के रूप में, आप अगले सत्र की योजना कैसे बना रहे हैं?
राहुल द्रविड़ : इस बात के लिए आपकों इंतजार करना होगा. फिलहाल क्रिकेट को लेकर अभी किसी को कुछ पता नहीं हैं और भविष्य अनिश्चित है. गर्मियों के लिए हमारे सभी शिविर, जो एनसीए के लिए एक व्यस्त समय है, को रोकना पड़ा है. जून से भारत के अधिकांश हिस्सों में आने वाला मानसून चुनौतियों में इजाफा करेगा.
हमारे पास कुछ आकस्मिक योजनाएँ हैं. सुरक्षा अभी सभी के लिए प्राथमिकता है. एक बार जब चीजें स्पष्ट हो जाएंगी, तो हम प्रतिक्रिया कर पाएंगे. मुझे लगता है कि यह दुनिया में सभी खेल का सच है.