दानिश कनेरिया
Danish Kaneria

पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व स्पिन गेंदबाज दानिश कनेरिया ने एक बार फिर पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड पर निशाना साधा है। अब उन्होंने बोर्ड के दोहरे बर्ताव के बारे में बात करते हुए कहा है कि उनका रवैया बाकी खिलाड़ियों के साथ बहुत अच्छा है लेकिन उनकी बात आती है तो  व्यवहार बदल जाता है। ये पहली बार नहीं है जब दानिश ने पीसीबी पर निशाना साधा है, बल्कि वह इससे पहले भी कई बार ऐसा कर चुके हैं।

मेरी बात आते ही बदल जाता है बोर्ड का रवैया

दानिश कनेरिया

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पाकिस्तान क्रिकेट टीम का हिस्सा रहे हिंदू धर्म के क्रिकेटर्स दानिश कनेरिया ने पीसीबी के दोहरे रवैया को लेकर अपना पक्ष रखा है। दरअसल, दानिश पर कई साल पहले स्पॉट फिक्सिंग के चलते आजीवन बैन लगा दिया था। उसके बाद खिलाड़ी वापसी नहीं कर सका। अब इंडिया टीवी के साथ खास बातचीत में दानिश कनेरिया ने कहा,

‘लोग मेरे ऊपर आरोप लगाते हैं कि मैं रिलीजन कार्ड खेलता हूं लेकिन मैंने ऐसा कभी नहीं किया है। मेरी शिकायत केवल पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड और उनके दोहरे रवैये से है। पीसीबी का रवैया बाकी खिलाड़ियों के साथ बहुत अच्छा है लेकिन जब मेरी बात आती है तो उनका व्यवहार बदल जाता है। मुझे इस बात का काफी दुख है।’

पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व करना सम्मान की बात

दानिश कनेरिया ने पाकिस्तान के लिए 61 टेस्ट व 18 वनडे मैच खेले हैं। इस दौरान उन्होंने 261, 16 विकेट अपने नाम किए। अपने क्रिकेट करियर की बात करते हुए कनेरिया ने कहा,

‘पाकिस्तान क्रिकेट टीम के लिए खेलना मेरे लिए काफी सम्मान की बात रही। एक हिंदू क्रिकेटर होने के बावजूद पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व करना और टीम को मैच जिताना मेरे लिए एक अचीवमेंट की तरह है और साथ ही काफी गर्व की भी बात है।’

पहले भी लगा चुके हैं बोर्ड पर भेदभाव का आरोप

दानिश कनेरिया

पाकिस्तान के पूर्व स्पिनर दानिश कनेरिया अक्सर ही पीसीबी के भेदभाव वाले व्यवहार पर बोलते नजर आते हैं। हाल ही में जब पीसीबी ने उमर अकमल पर लगे बैन को आधा कर किया था। तभी दानिश ने बोर्ड पर हमला करते हुए कहा था कि

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भ्रष्ट्राचार में जीरो टोलरेंस की नीति की बात करके उमर अकमल का बैन आधा कर दिया गया। वे दोषी भी साबित हो गए थे। आमिर और आसिफ को भी वापसी का मौका मिला। मेरे मामले में ऐसा क्यों नहीं किया गया। मेरे बारे में कहते हैं कि मैं मजहब की बात करता हूँ। पक्षपात सबके सामने दिखता है तो मैं क्यों न बोलूं।