धोनी

भारतीय क्रिकेट टीम के विस्फोटक बल्लेबाज महेंद्र सिंह धोनी को विश्व के सर्वश्रेष्ठ फिनिशर खिलाड़ी के तौर पर देखा जाता है. जी हां, यदि किसी से भी विश्व के सर्वश्रेष्ठ फिनिशर के बारे में पूछा जाता है तो अधिकतर लोगों के जेहन में पहला नाम माही का ही आता है. अब पूर्व भारतीय कोच ग्रेग चैपल ने भी एमएस की फिनिशिंग क्षमताओं की तारीफ करते हुए बताया कि उन्होंने कैसे धोनी की फिनिशिंग स्किल को औऱ बेहतर बनाया था.

ग्रेग चैपल ने की धोनी की तारीफ

धोनी

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ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान ग्रेग चैपल भारत के सबसे विवादित कोच रहे हैं. सौरव गांगुली ने 2003 में चैपल को भारत का कोच बनवाया था, जिसके बाद चैपल ने लगभग 4 साल तक भारत की कोचिंग की. इस दौरान 2004 में माही ने भी भारतीय टीम के लिए डेब्यू किया और आते ही माही छा गए. अब ग्रेग चैपल ने प्लेराइट फाउंडेशन के फेसबुक पेज पर बात करते हुए कहा,

मुझे आज भी याद है, जब मैंने धोनी को पहली बार खेलते हुए देखा था, वह शानदार बल्लेबाजी कर रहे थे. माही उस दौर के सबसे विस्फोटक बल्लेबाज थे.

उस वक्त वो निश्चित तौर पर भारत के सबसे ज्यादा उत्सुकता पैदा करने वाले क्रिकेटर थे. वो गेंद को सबसे कम उपयोग में लाए जाने वाले पोजिशन से हिट किया करते थे. मैंने जितने भी बल्लेबाजों को देखा वो उनमें से सबसे ज्यादा ताकतवर हैं.

जमीनी शॉट्स क्यों नहीं खेलते?

महेंद्र सिंह धोनी ने 31 अक्टूबर 2005 को अपने एकदिवसीय करियर की सर्वश्रेष्ठ पारी खेली. जयपुर के मैदान पर खेली गई इस पारी से माही ने हर किसी को अपना मुरीद बना लिया. अब इस शानदार पारी को याद करते हुए ग्रेग चैपल ने कहा,

श्रीलंका के खिलाफ खेली गई उनकी 183 रन की पारी और किस तरह से उन्होंने गेंदबाजों की पिटाई की वो भी मुझे याद है. यह अब तक कब सबसे सर्वश्रेष्ठ पावर हिटिंग का नजारा था. अगला मैच पुणे में था और मैंने एमएस से पूछा था आप हर एक गेंद को चौके के लिए मारने की जगह नीचे जमीनी शॉट्स क्यों नहीं खेलते हैं.

आखिरी गेंद पर छक्का लगाकर जिताया था मैच

धोनी

चैपल ने आगे मैच को याद करते हुए कहा,

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हम 260 रन का ही पीछा कर रहे थे और काफी अच्छी स्थिति में थे और धोनी बिल्कुल वैसी की धमाकेदार पारी खेल रहे थे जैसी उन्होंने कुछ दिन पहले खेली थी.

हमें जीत के लिए अब भी 20 रन की जरूरत थी और धोनी ने 12वें खिलाड़ी आरपी सिंह द्वारा मुझसे पूछा था क्या वो छक्का लगा सकते हैं. मैने उन्हें कहलवाया था कि नहीं जब तक कि लक्ष्य एक अंक में नहीं आ जाता. जब हमें जीत के लिए 6 रन की जरूरत थी तो उन्होंने छक्का लगाकर जीत दिलाई थी.